By नीरज कुमार दुबे | Jan 04, 2024
कश्मीर को परिवारवादी राजनीति ने लूटा भी और बुनियादी सुविधाओं से लंबे समय तक वंचित भी रखा। आपको यकीन नहीं होगा कि कश्मीर में सीमाई क्षेत्रों में ऐसे गांव अब भी थे जहां आज तक बिजली नहीं पहुँची थी। दूरदराज के गांवों के लोगों को भाग्य भरोसे छोड़ दिया गया था। कहने को अब्दुल्ला-मुफ्ती और गांधी परिवार के लोग कश्मीर के बारे में बड़ी-बड़ी बातें करते थे लेकिन लोगों की बुनियादी जरूरतें पूरी करने का काम अब हो रहा है। मोदी सरकार ने समृद्ध सीमा योजना बना कर सीमाई गांवों की तकदीर और तस्वीर बदलने का जो अभियान शुरू किया था उससे सीमा पर रहने वाले गांवों के लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव आया है।
हम आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर में केरन सेक्टर पर नियंत्रण रेखा के पास स्थित दो गांवों में आजादी के 75 साल बाद पहली बार बिजली पहुंची है। कुपवाड़ा जिले के केरन इलाके में कुंडियां और पतरू गांवों के निवासियों ने 75 वर्षों में पहली बार बिजली आती देखी तो उनकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। जैसे ही लोगों के घर बिजली पहुंची, माहौल खुशी और उल्लास से भर गया, जो दशकों के लंबे इंतजार के अंत का प्रतीक था। पहले इन गांवों को डीजी सेट से बिजली मिलती थी जो सिर्फ तीन घंटे के लिए होती थी। अब इस क्षेत्र को बिजली ग्रिड से जोड़ने के बाद उन्हें पूरे समय बिजली मिलेगी।
कश्मीर के मंडलायुक्त वी.के. भिदुरी ने समृद्ध सीमा योजना के तहत स्थापित 250 केवी के दो उप बिजली घरों का उद्घाटन किया। इस दौरान स्थानीय निवासियों ने मोदी सरकार और उपराज्यपाल प्रशासन के प्रति आभार व्यक्त किया। हम आपको यह भी बता दें कि कश्मीर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (केपीडीसीएल) इलेक्ट्रिक डिवीजन, कुपवाड़ा द्वारा विद्युतीकरण परियोजना को रिकॉर्ड दो महीने में पूरा किया गया है।