By अंकित सिंह | Sep 13, 2022
बिहार में अब धन को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। एनडीए से अलग होने के बाद नीतीश सरकार ने बजट को लेकर केंद्र पर आरोप लगाना शुरू कर दिया है। नीतीश सरकार में वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने साफ तौर पर कहा है कि केंद्र की ओर से पैसे नहीं दिए जा रहे हैं और खर्च पर लगाम लगाने को कहा जा रहा है। अपने बयान में विजय कुमार चौधरी ने दावा किया कि बिहार अपना उचित बकाया पाने के लिए लगातार संघर्ष कर रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार योजनाओं को लेकर राजनीति कर रही है। इसके साथ ही जदयू नेता ने आरोप लगाया कि बिहार के सामाजिक शिक्षा और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में विभिन्न योजनाओं के लिए केंद्र ने अपने हिस्से का धन देना बंद कर दिया है।
भाजपा का पलटवार
भाजपा नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी पिछले 2 दिनों से तथ्यों की पूरी जांच पड़ताल किए बिना केंद्र के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा शासित हरियाणा के 23 लाख, उत्तर प्रदेश के 40 लाख, गुजरात के 14 लाख, असम के 17 लाख अतिरिक्त लाभार्थियों को पेंशन राज्य सरकार अपने बजट से प्रदान करती है न कि केंद्र सरकार देती है। इसके साथ ही भाजपा नेता ने कहा कि अधिकांश राज्य सरकारें 500 से 1 हजार रुपया प्रति लाभार्थी राज्यांश के रूप में व्यय करती है जबकि बिहार केवल 200-300 रुपया वहन करता है। उन्होंने कहा कि फंड रिलीज राज्य के शुरुआती बैलेंस, खर्च की गति, ऑडिट रिपोर्ट जमा करने और अन्य मानदंडों के साथ उपयोगिता प्रमाण पत्र पर भी निर्भर करता है।
माना जा रहा है कि बिहार में इसको लेकर आने वाले दिनों में राजनीति और देखने को मिलेगी। वित्त मंत्री लगातार फंड को लेकर केंद्र पर आरोप लगा रहे हैं। विजय कुमार चौधरी का यह भी दावा है कि केंद्र ने चालू वित्त वर्ष में समग्र शिक्षा अभियान (एसएसए) के तहत अपने हिस्से का एक पैसा भी जारी नहीं किया है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि चालू वित्त वर्ष (2022-23) में राज्य सरकार ने अब तक इस योजना के तहत शिक्षकों को वेतन भुगतान के लिए 3,777 करोड़ रुपये जारी किए हैं। लेकिन केंद्र की ओर से अब तक कोई फंड जारी नहीं किया गया है। उन्होंने दावा किया कि 2015-16 से पहले केंद्र से सहायता प्राप्त विभिन्न योजनाओं में केंद्र की हिस्सेदारी 90 से 60 प्रतिशत के बीच थी। हाल ही में बिहार ने विभिन्न योजनाओं पर अपना खर्च बढ़ाया है क्योंकि केंद्र ने अपने हिस्से में काफी कमी की है।