पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और जर्मनी के तानाशाह एडॉल्फ हिटलर के नाम अक्सर अपनी नीतियों के लिए सुर्खियों में रहे हैं। लेकिन इस बार यह बाबा कहलाए जा रहे है, क्यों? आइये आपको बताते है इसकी बड़ी वजह। प्रयागराज के माघ मेले में हमेशा से अलग-अलग नामों से बाबाओं का नाम रखा जाता है, इस साल भी नए जामने के उपनामों से बाबा का नाम रखा जा रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, 'हिटलर बाबा' के उपनाम से अन्यथा दिगंबर अनी अखाड़े के महामंडलेश्वर माधव दास हैं। उनके शिष्यों ने उनके 'सख्त' व्यवहार के कारण उन्हें 'हिटलर' कहना पसंद किया है।
सैदाबाद, प्रयागराज के मूल निवासी, हिटलर बाबा अपने गुरु रघुवर दास द्वारा अपने प्रमुख दृष्टिकोण के कारण नामित किया गया था। हिटलर बाबा ने कहा, मैंने हमेशा वही किया है जो मुझे लगता है कि सही है और यह बाद में सही साबित हुआ है। सन्यास लेना मेरा निर्णय था, और जब से मैं इसके लिए अडिग हुआ, तब से मेरे गुरु ने मुझे हिटलर बाबा नाम दिया"।बता दें कि दास के हिटलर उपनाम के कारण कुछ लोग उनसे हटी तरीके से मिलते हैं, लेकिन वे अपनी तपस्या और रहन-सहन की अपनी शैली जारी रखते हैं।
इसी तरह, साकेत धाम आश्रम के एमसीओएम, महंत कंचन दास, डोनाल्ड ट्रम्प के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद साकेत धाम उनके प्रबल अनुयायी बन गए। साकेत के अंग्रेजी के कारण उनके गुरु, विनायक बाबा ने उन्हें 'ट्रम्प बाबा' नाम दिया जिसके बाद वह काफी प्रसिद्ध हो गए। बता दें कि साकेत धाम उर्फ ट्रंप बाबा ही तय करते हैं कि भंडारे में क्या पकाया जाएगा। इसी तरह, खाक चौक के मारुति बाबा और धुंधकारी बाबा भी मेला मैदान में डेरा डाले हुए हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा “एक अद्वितीय उपनाम रखने की परंपरा नई नहीं है। गुरु ने अनुयायियों की गुणवत्ता और व्यवहार के अनुसार उपनाम दिया और यह अभी भी जारी है। इस तरह के नाम श्रद्धालुओं की जिज्ञासा को बढ़ाते हैं,"।