By अनुराग गुप्ता | Jun 07, 2022
नयी दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि 2 दर्जन से भी ज़्यादा जनजातीय अनुसंधान संस्थान अलग-अलग नाम से काम कर रहे हैं लेकिन उसको राष्ट्रीय रूप से जोड़ने वाली कड़ी नहीं है। हमारी जनजातीय समाज में बहुत सारी विविधता है।
उन्होंने कहा कि इन विविधताओं को अगर एक कड़ी नहीं जोड़ती है तो समग्र देश के जनजातीय समाज के विकास का सपना अधूरा ही रहता है। आज राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान जो बन रहा है वो एक कड़ी बनने वाला है और हमारी कल्पना का जनजातीय विकास को साकार करने में बड़ी भूमिका निभाने वाला है।
इसी बीच अमित शाह ने कहा कि अनुसंधान के आधार पर विकास और विकास के मीठे फल हमने योजना आयोग के देखे हैं। जब किसी ने भेल की स्थापना की होगी, तब उसे महज एक विद्युत उत्पादन के उपकरणों को बनाने वाले कारखानों के रूप में देखा होगा। लेकिन 60 साल बाद जब हम विश्लेषण करते हैं तो पता चलता है कि देश के 91 फीसदी विद्युत बनाने वाले कारखानों में जो संयंत्र हैं वो भेल के बनाए गए हैं।
उन्होंने कहा कि जब एलआईसी की स्थापना हुई होगी लगा होगा सरकार ने एक इंश्योरेंस कंपनी बना दी। लेकिन जब एलआईसी को 60 साल बाद मुड़कर देखते हैं तो समाज के निम्न और मध्यम वर्ग को सामाजिक सुरक्षा देने में एलआईसी का योगदान दिखाई देता है।
वहीं केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि जब तक आदिवासी पहले पंक्ति में नहीं आएंगे तब तक भारत विकसित नहीं हो सकता। प्रधानमंत्री का लक्ष्य पिछड़ी जाति और आदिवासी को मुख्यधारा में लाना है।