Vegetarian City Palitana: दुनिया के पहले शाकाहारी शहर देखने के लिए करें गुजरात यात्रा, जानिए मांस-अंडे पर कैसे लगा बैन

By अनन्या मिश्रा | Jun 16, 2023

आपको शायद यह पता होगा कि दुनिया का पूर्ण रूप से शाकाहारी शहर गुजरात में है। इस शहर का को पलिताना कहा जाता है। बता दें कि यह जैन धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल है। गुजरात के भावनगर जिले में स्थित है। यहां पर जैन समुदाय के लोग रहते हैं। इस शहर में जानवरों को मारना गैरकानूनी समझा जाता है। यदि आप ऐसा करते हुए पकड़े जाते हैं तो कड़ी सजा का प्रावधान है। गुजरात के भावनगर जिले में जैन समाज के मंदिर हैं। यहां का चौमुखा मंदिर सबसे बड़ा मंदिर है।


मांस और अंडा बेचने पर रोक

दुनिया के इकलौते शाकाहारी शहर में अंडा और मांस बेचने पर प्रतिबंध है। इस शहर की एक और खासियत है कि यहां पर स्थित पर्वत पर 900 से अधिक मंदिर मौजूद हैं। यहां पर जैनधर्म के पहली तीर्थकर ऋषभदेव का मंदिर मौजूद है। यहां पर आपको कुमारपाल, विमलशाह, संप्रतिराजा आदि के मंदिर देखने को मिलेंगे। इन मंदिरों की नक्काशी और मूर्तिकला पूरी दुनिया में काफी ज्यादा फेमस है। जैन धर्म को मानने वालों के सबसे सम्मानित और शुद्ध गंतव्य स्थानों में पलिताना का नाम शामिल है। पलिताना जैन धर्म के 5 प्रमुख तीर्थों में से एक है। जैन समुदाय को मानने वाला व्यक्ति अपने जीवन में एक बार इस शहर जरूर आना चाहते हैं।

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शत्रुंजय पहाड़ी

नौ सौ मंदिर शत्रुंजय पहाड़ी पर मौजूद है। इस स्थान पर पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 3950 सीढ़िया चढ़नी पड़ती हैं। यह मंदिर सफेद संगमरमर से बना हुआ है। साथ ही यह 3.5 किमी के एरिया में फैला हुआ है। यह इस शहर का सबसे पुराना मंदिर मौजूद है। बताया जाता है कि 11वीं और 12वीं सदी में निर्माण किया गया है। पहली बार में इस मंदिर के ढांचे को बनाकर तैयार किया था। जिसके बाद 16वीं में इस मंदिर की साज-सज्जा की गई थी। 16 बार इन मंदिर का पुर्ननिर्माण कराया गया है।


साल 2014 में बना यह कानून 

यहां के 200 साधु 250 कसाई खानों के विरोध में हड़ताल पर चले गए थे। इसके बाद साधुओं के आगे सरकार को भी झुकना पड़ा था। सरकार ने इस शहर को मीट फ्री जोन में घोषित कर दिया था। साल 2014 में यहां पर मीट के लिए एक कानून बनाया गया था। बता दें कि यहां पर डेयरी प्रोडक्ट उपलब्ध रहते हैं।


रात में रुकने की नहीं है इजाजत

जैन धर्म की मान्यता के अनुसार, यहां पर मौजूद पहाड़ों पर इन मंदिरों का निर्माण ईश्वर के निवास के तौर पर कराया गया था। बताया जाता है कि इस स्थान पर रात में भगवान विराजमान होते हैं। इसलिए यहां पर रात में किसी भी व्यक्ति को रुकने की इजाजत नहीं है।


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