By दिनेश शुक्ल | Dec 16, 2020
भोपाल। विगत चार दिनों तक बादलों में छिपे रहने के बाद के बुधवार 17 दिसम्बर की शाम को सूरज के विदा होते ही पश्चिमी आकाश में गुरू और शनि के घनिष्ठ मिलन का गवाह बनने चांद उपस्थित होने जा रहा है। लगभग 400 सालों बाद बृहस्पति और शनि ग्रह के इतने नजदीकी कंजक्शन संयोजन के सामने 13 प्रतिशत आकार में चमकता हुआ हासियाकार क्रिसेंट मून उपस्थित रहेगा।
नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया कि खाली आंखों से यह त्रिमूर्ति दर्शन अत्यंत मनोहारी रहेगा। अगर आपके पास टेलिस्कोप है, तो आकाश दर्शन का यह बहुत खास अवसर होगा जब एक ही क्रम में तीन खगोलीय पिंड होंगे। इसमें शनि ग्रह अपने रिंग के साथ दिखेगा तो बृहस्पति ग्रह के साथ उसके चार बड़े चंद्रमाओं को देख सकेंगे। इस दौरान चंद्रमा के क्रेटर को भी देखा जा सकेगा।