By अंकित सिंह | Mar 04, 2024
भोजपुरी स्टार पवन सिंह जबरदस्त तरीके से सुर्खियों में है। इसका बड़ा कारण यह है कि भाजपा ने उन्हें पहले पश्चिम बंगाल की आसनसोल सीट से उम्मीदवार बनाया। अपनी उम्मीदवारी को लेकर पवन सिंह ने जबरदस्ती तरीके से जश्न भी मनाया। लेकिन अगले 15 16 घंटे के भीतर ही उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। ऐसे में सवाल यह है कि आखिर पवन सिंह ने खुद मैदान छोड़ है या उन्हें मैदान छोड़ने के लिए भाजपा की ओर से ही कहा गया है? आखिर पवन सिंह को लेकर भाजपा अचानक ही बैकफुट पर क्यों आ गई? टीएमसी ने कैसे भाजपा की टेंशन बढ़ा दी? कैसे पवन सिंह के टिकट को महिलाओं की अस्मिता से भी जोड़ दिया?
2 मार्च को भाजपा ने शाम में आसनसोल से पवन सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया। आसनसोल में बड़ी संख्या में बिहार और भोजपुरी भाषी रहते हैं। भाजपा यह सीट 2014, 2019 में जीत चुकी थी। ऐसे में पवन सिंह को एक मजबूत उम्मीदवार बताया गया जहां उन्हें बिहारी बाबू यानी कि शत्रुघ्न सिन्हा के खिलाफ चुनाव लड़ना था। टिकट मिलने के बाद पवन सिंह ने जबरदस्ती तरीके से उत्साह भी व्यक्त किया। वह बेहद खुश भी नजर आए। विभिन्न टीवी चैनलों पर अपना इंटरव्यू भी दिया। लेकिन अगले ही दिन उन्हें आसनसोल से चुनाव लड़ने से इनकार करना पड़ा। दरअसल पवन सिंह के गानों को लेकर तृणमूल कांग्रेस ने एक अभियान चला दिया। उनके गानों को टीएमसी ने बंगाल की अस्मिता और संस्कृति के लिए खतरा बताया। उनके कई वीडियो साझा किए गए। फिर सोशल मीडिया पर बवाल शुरू हो गया। यहां तक की भाजपा नेता और पूर्व गवर्नर तथागत राय ने भी पवन सिंह को टिकट देने पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ऐसे माना जा रहा है कि भाजपा ने डैमेज कंट्रोल करते हुए पवन सिंह चुनाव लड़ने से इनकार करवा दिया। पवन सिंह ने अपने पोस्ट में लिखा कि भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का दिल से आभार प्रकट करता हूं। पार्टी ने मुझ पर विश्वास जताते हुए मुझे आसनसोल से उम्मीदवार घोषित किया, लेकिन किसी कारणवश मैं आसनसोल से चुनाव नहीं लड़ पाऊंगा…। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात पर बीजेपी नेता पवन सिंह का कहना है, "मुलाकात हो गई है। मैंने अपनी बातें रख दी हैं... आगे जो भी होगा मैं आप सभी से जरूर साझा करूंगा।"
संदेशखाली मसले को लेकर भाजपा टीएमसी पर जबरदस्ती तरीके से हमलावर है। खुद प्रधानमंत्री ने ममता बनर्जी की सरकार पर महिलाओं के उत्पीड़न का आरोप लगा दिया। संदेशखाली को लेकर टीएमसी पूरी तरीके से बैक फुट पर नजर आ रही थी। ऐसे में पवन सिंह की उम्मीदवारी भाजपा के खिलाफ टीएमसी को बड़ा हथियार दे दिया। पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि सिंह के कई गाने असभ्य हैं और उनमें राज्य की महिलाओं सहित सभी महिलाओं को अश्लील तरीके से चित्रित किया गया है। ओ ब्रायन ने कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बंगाली विरोधी हैं। वह यहां आए, महिला शक्ति पर व्याख्यान दिया और फिर ऐसे व्यक्ति को टिकट दिया जिसने बंगाली महिलाओं को गलत तरीके से चित्रित किया है। टीएमसी नेता बाबुल सुप्रियो ने कहा कि एक कलाकार के तौर पर मेरे मन में उनके खिलाफ कुछ भी नहीं है।' लेकिन खासकर एक व्यक्ति के वीडियो और फिल्मों में बंगाली महिलाओं को निशाना बनाया जाता है, ऐसे व्यक्ति को भाजपा आसनसोल से कैसे मैदान में उतार सकती है? ये बात सच है कि पवन सिंह का निजी जीवन भी कई विवादों से जुड़ा हुआ है। वहीं, उनके कई गानों पर बवाल होता रहता है। विवाद बढ़ने के बाद भाजपा ने पहले पवन सिंह का बचाव जरूर किया था।
पश्चिम बंगाल में महिला वोटर काफी मायने रखती हैं। पश्चिम बंगाल में महिलाओं का एक सॉफ्ट कॉर्नर ममता बनर्जी की तरफ है। संदेशखाली को बड़ा मुद्दा बनाकर भाजपा महिलाओं को अपने पाले में करने की लगातार कोशिश कर रही है। ऐसे में टीएमसी ने पवन सिंह और उनके गाने को मुद्दा बनाकर भाजपा को बैकफुट पर ला दिया। भाजपा इस बार पश्चिम बंगाल में अपने आंकड़े को आगे बढ़ना चाहती है। पिछली बार भाजपा ने राज्य के 18 सीटों पर जीत हासिल की थी। भाजपा 370 सीट अपने दम पर जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है। ऐसे में वह किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहती।
पवन सिंह के समर्थकों की ओर से इस बात की भी चर्चा की जा रही है कि भाजपा की ओर से टिकट देने के बाद उन्हें दिन में चार से पांच रैलियों के लिए कहा गया। पवन सिंह ने इसको लेकर असमर्थता जताई। साथ ही साथ चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। एक चर्चा यह भी है कि हाल में उन्होंने नीतीश कुमार से भी मुलाकात की थी ऐसे में अगर बिहार में उन्हें भाजपा सेट करने में असफल रहती है तो नीतीश कुमार की पार्टी से भी वह चुनाव लड़ सकते हैं।