By एकता | Sep 22, 2024
आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के प्रसाद के लड्डुओं में पशुओं की चर्बी के कथित इस्तेमाल को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर इस मामले की विशेष जांच दल से जांच कराने का अनुरोध किया गया है। इन सब के बीच आध्यात्मिक नेता और ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने मामले पर टिप्पणी की है। उन्होंने इसे मंदिर के प्रसाद में गोमांस की चर्बी का इस्तेमाल करने को घृणित से भी बदतर बताया है।
सद्गुरु ने क्या कहा?
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में सद्गुरु ने लिखा, 'मंदिर के प्रसाद में भक्तों द्वारा गोमांस का सेवन करना घृणित है। इसलिए मंदिरों को भक्तों द्वारा चलाया जाना चाहिए, न कि सरकारी प्रशासन द्वारा। जहाँ भक्ति नहीं है, वहाँ पवित्रता नहीं रह सकती। अब समय आ गया है कि हिंदू मंदिरों को सरकारी प्रशासन द्वारा नहीं, बल्कि धर्मनिष्ठ हिंदुओं द्वारा चलाया जाए।'
जनहित याचिका दायर कर क्या मांग की गयी?
हिंदू सेना के अध्यक्ष एवं किसान सुरजीत सिंह यादव ने उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है। उन्होंने कहा है कि तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में श्रद्धालुओं को घी के बजाय पशुओं की चर्बी से तैयार ‘‘लड्डू प्रसादम’’ प्रदान कर हिंदू धर्म का उपहास किया है और हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। यह याचिका आम लोगों के हित में दायर की गई है, जो वित्तीय और कानूनी रूप से पूरी तरह लैस न होने के कारण स्वयं न्यायालय तक नहीं पहुंच सकते हैं और इस प्रकार वे ‘जनहित याचिका’ का सहारा लेने की स्थिति में नहीं हैं।