मुंबई। बॉलीवुड अभिनेता प्रतीक बब्बर का कहना है कि अब समय आ गया है कि भारत में लोग जाति, धर्म, संप्रदाय, लिंग और लैंगिक रुझान के आधार पर भेदभाव बंद करें। मुंबई में जारी लैक्मे फैशन वीक विंटर/ फेस्टिव 2018 में ‘चोला’ लेबल के लिए आज रैंप पर चले प्रतीक ने कहा कि किसी राष्ट्र के विकास के लिए जरूरी है कि लोग अपने व्यक्तित्व को गर्व से स्वीकार सकें।
प्रतीक बब्बर ने बताया, “समावेशन इस समय की जरूरत है। एक समाज के तौर पर हमें उदार बनने की जरूरत है। हमारे समाज में पक्षपात दकियानूसी मानसिकता की देन है। हमारे देश में इसकी जड़ें बहुत गहरी हैं पर अब हमें जागने की जरूरत है। इस समाज में बहुत से अलग-अलग प्रकार के लोग हैं। केवल समलैंगिक या महिलाओं की वेशभूषा धारण करने वाले पुरुष (बहरूपिए) नहीं, हर कोई एक-दूसरे से अलग है। हमें अपने व्यक्तित्व को गर्व से स्वीकारना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “मेरी हालिया फिल्म ‘मुल्क’ में भी एक तरह के भेदभाव को दिखाया गया है। लेकिन यह पक्षपात होना नहीं चाहिए। हमें, जियो और जीने दो की नीति को अपनाने की जरूरत है।” बब्बर ने कहा कि डिजाइनर सोहाया मिश्रा सामाजिक नियमों को चुनौती दे रही हैं यह जान कर ही उन्हें शो का शोस्टॉपर बनने की प्रेरणा मिली। मिश्रा का शो ‘बाय फेलिसिया’ ड्रैग संस्कृति से प्रेरित है जो समाज तथा सामान्यता की उसकी परिभाषा के खिलाफ एक मौन विरोध जाहिर करता है।