टीआईएफआर ने शुरू की कोविड-19 पर जागरूकता फैलाने की पहल

By ज्योति सिंह | Apr 03, 2020

चीन से उपजे कोविड-19 के प्रकोप ने अब पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा महामारी घोषित यह बीमारी अब दुनिया के 204 देशों में फैल गई है। किसी महामारी के फैलने के साथ-साथ उससे जुड़ी भ्रांतियां, अंधविश्वास और डर भी लोगों के बीच तेजी से फैलने लगता है। कोविड-19 के मामले में एक महत्वपूर्ण चुनौती यह है कि अलगाव, क्वारांटाइन और लॉक-डाउन जैसे चरम उपायों की समझ कैसे विकसित की जाए! और लोगों को यह कैसे समझाया जाए कि ऐसी स्थिति में एक-दूसरे से दूरी बनाए रखना क्यों जरूरी है? 


मिथकों को दूर करने और महामारी से निपटने के लिए अपनाए जा रहे सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी बुनियादी वैज्ञानिक समझ प्रदान करने के लिए टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) ने संचार सामग्री का एक पैकेज पेश किया है। टीएफआईआर के शोधकर्ताओं ने बहु-भाषी संसाधनों (यूट्यूब वीडियो) का एक सेट बनाया है, जिसमें बताया गया है कि कोविड-19 जैसे वायरस के प्रकोप से निपटने के लिए सामाजिक दूरी बनाए रखना क्यों आवश्यक है। 

 

इसे भी पढ़ें: कोविड-19 के लिए परीक्षण किट विकसित कर रहा है सीसीएमबी

कोविड-19 के बारे में जागरूकता के प्रसार के लिए तैयार की गई यह सामग्री वाशिंगटन पोस्ट में हैरी स्टीवंस द्वारा प्रकाशित मूल सिमुलेशन पर आधारित है। टीआईएफआर द्वारा शुरू की गई इस सार्वजनिक आउटरीच पहल को 'चाय ऐंड व्हाई?' नाम दिया गया है। यह एक ऐसा मंच है, जहां वैज्ञानिक सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों के साथ संवाद करते हैं और गलत सूचनाओं की वास्तविकता को स्पष्ट करते हैं। इसके साथ-साथ वे वायरस के पीछे के विज्ञान की व्याख्या भी करते हैं। 


टीआईएफआर के वैज्ञानिक प्रोफेसर अर्नब भट्टाचार्य ने बताया कि “फैकल्टी, छात्रों और परिवारों के स्वैच्छिक प्रयासों से हमने नौ भाषाओं- अंग्रेजी, हिंदी, बंगाली, कोंकणी, मराठी, मलयालम, उड़िया, तमिल और तेलुगू में जागरूकता प्रसार की पहल शुरू की है।” जल्द ही यह प्रचार सामग्री गुजराती, पंजाबी, हरियाणवी और असमिया में भी जारी की जाएगी। 

 

इसे भी पढ़ें: वैज्ञानिकों ने किया मधुमक्खियों के छत्ते में सुधार, मिलेगा गुणवत्तापूर्ण शहद

इस पहल को शुरू करने का उद्देश्य सही सूचना को प्रसारित करना और विभिन्न मिथकों को दूर करने में मदद करना है। इसके अंतर्गत सूचनाएं कुछ इस तरह से पेश जाती हैं, जिससे उन्हें आसानी से समझा जा सके। डॉ भट्टाचार्य ने कहा, "यह बीमारी विदेशों से उभरी है, लेकिन हमें अपने नागरिकों को इसके बारे में जागरूक करना है, तो स्थानीय भाषा एवं जरूरतों के मुताबिक संचार सामग्री विकसित विकसित करना महत्वपूर्ण हो सकता है।" 


इस पहल के अगले चरण में हमारी टीम घरेलू सामग्री द्वारा मास्क बनाने की कोशिश कर रही है। इसके लिए पोस्टर और वीडियो जल्द ही जारी किए जाएंगे। 


इंडिया साइंस वायर 


भाषांतरण : उमाशंकर मिश्र

प्रमुख खबरें

भाजपा ने राजनीतिक परिवार से आने वाले Satyajit Deshmukh को शिराला विधानसभा सीट से घोषित किया अपना उम्मीदवार

Jhansi Medical College fire: पहले शॉर्ट सर्किट को किया नजरअंदाज? जांच के लिए 4 सदस्यीय कमेटी का गठन

Weekly Love Horoscope 18 to 24 November 2024 | इन 3 राशि वाले रिश्ते में बढ़ेगी गलतफहमी, अनावश्यक बहस से बचें, प्रेमी जोड़ों के लिए कैसा रहेगा आने वाला सप्ताह?

वेश्यावृत्ति के आरोप में मां-बेटी को घसीटा गया, पड़ोसियों ने दोनों के साथ की बुरी तरह मारपीट