By नीरज कुमार दुबे | Mar 22, 2023
वैसे लोकतांत्रिक व्यवस्था में यह जायज है कि किसी की सत्ता को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया जाये या किसी राजनीतिक दल अथवा नेता के खिलाफ पोस्टरबाजी की जाये। लेकिन यह जायज नहीं है कि पोस्टर लगाने वाला उसमें अपना नाम ही नहीं लिखे। दिल्ली की सड़कों पर जो पोस्टर लगाये गये उसके चलते दिल्ली पुलिस ने सौ से ज्यादा एफआईआर कीं तो विपक्ष ने बखेड़ा खड़ा कर इसे तानाशाही करार दे दिया है। लेकिन पोस्टर लगाने के खिलाफ एफआईआर का विरोध करने वालों को सोचना चाहिए कि अनाम पोस्टर लगाने वाला अलगाववादी या आतंकवादी भी तो हो सकता है। आज देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ पोस्टर लगा है। यदि इस पर कार्रवाई नहीं हुई तो ऐसे तत्वों का हौसला बढ़ेगा और कल को किसी और के खिलाफ भी ऐसे पोस्टर लगाये जा सकते हैं।
वैसे, हम आपको याद दिला दें कि ऐसे ही पोस्टर तब भी सामने आये थे जब कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भारत वैक्सीन मैत्री अभियान के तहत अन्य देशों को भी कोरोना रोधी वैक्सीन मुहैया करा रहा था। तब दिल्ली में प्रधानमंत्री के खिलाफ अमर्यादित बातें कहते हुए पोस्टर लगाये गये थे। उस समय भी और इस समय भी, दोनों ही बार इसके पीछे आम आदमी पार्टी का हाथ माना गया। रिपोर्टों के मुताबिक, दिल्ली पुलिस ने तो कहा भी है कि कम से कम 2,000 पोस्टर हटाए गए और आईपी एस्टेट में एक वैन से उस समय इतनी ही संख्या में पोस्टर जब्त किए गए थे, जब वह आम आदमी पार्टी के मुख्यालय से निकल रही थी। वैन को जब्त कर लिया गया है और मामले में दो प्रिंटिंग प्रेस के मालिकों सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
यहां सवाल उठता है कि यदि आम आदमी पार्टी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध करना ही है तो मोदी विरोधी पोस्टरों में वह अपना नाम लिखने से घबरा क्यों रही है? आम आदमी पार्टी ने यदि पोस्टर लगवाये हैं तो उसमें अपना नाम नहीं देकर उसने खुद को राजनीतिक रूप से डरपोक भी साबित कर दिया है। इस मामले में आम आदमी पार्टी का साथ दे रही कांग्रेस से भी सवाल पूछा जाना चाहिए कि अराजक तत्वों का साथ देने की उसकी क्या मजबूरी है? हम आपको बता दें कि पोस्टर छपवाने का जो नियम है उसके तहत उसे छपवाने वाले का नाम और पोस्टर को छापने वाली प्रिंटिंग प्रेस का पूरा पता भी उसमें होना चाहिए। लेकिन दिल्ली में लगे पोस्टरों में इस नियम की अनदेखी की गयी। ऐसे में दिल्ली पुलिस यदि एफआईआर कर रही है तो उसमें क्या गलत है?
बहरहाल, जी-20 की अध्यक्षता कर रहे भारत की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली इस समय अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों का केंद्र बनी हुई है। ऐसे में सरकार के साथ ही सभी राजनीतिक दलों और जनता का प्रयास रहना चाहिए कि देश के विभिन्न भागों में हो रही जी20 की बैठकों के लिए जो विदेशी मेहमान दिल्ली आ रहे हैं या दिल्ली के रास्ते अन्य शहरों की ओर जा रहे हैं वह भारत की एक सशक्त और संपन्न देश की छवि अपने मन में लेकर जायें। देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ पोस्टरबाजी से अच्छा संदेश नहीं जाता। यदि सरकार की किसी नीति के प्रति विरोध करना है तो लोकतंत्र में उसके लिए जो स्वीकार्य तरीके हैं उनका उपयोग किया जाना चाहिए।
- नीरज कुमार दुबे