By अशोक मधुप | Jan 11, 2022
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा पांचों राज्यों के लिए विधान सभा चुनाव का कार्यक्रम चुनाव आयोग ने घोषित कर दिया। कोराना को देखते हुए रैली और जनसंपर्क पर प्रतिबंध भी लगाए हैं। कोरोना के बीच होने वाले ये चुनाव इन पांच प्रदेश का राजनैतिक भविष्य ही तय नहीं करेंगे, अपितु देश की राजनीति को भी प्रभावित करेंगे। सबसे बड़ा काम करेंगे देश के चुनाव के डिजीटाइजेशन का। इस चुनाव के बाद आने वाले चुनाव नई तरह से होंगे, नए तरह से प्रचार होगा।
चुनाव के पहले चरण के लिए नामजदगी की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। दस मार्च को चुनाव परिणाम आ जाएंगे। आयोग ने बढ़ते कोरोना के केस को देखते हुए 15 जनवरी तक चुनावी रैली, साइकिल, बाइक रैली, नुक्कड़ सभाओं पर रोक लगा दी है। विजय जुलूस पर पहले भी रोक रहती थी। इस बार भी रोक रहेगी। पांच व्यक्ति ही घर−घर जाकर जनसंपर्क कर सकेंगे। हालात देखते हुए 15 जनवरी के बाद फिर निर्णय होंगे। यह भी आदेशित किया गया है कि सर्विस वोटर के अलावा 80 से अधिक उम्र के लोगों और बीमार मतदाताओं को घर से वोट डालने की सुविधा होगी। मतदान अधिकारी उनके घर जाकर वोट डलवाएंगे। प्रत्याशी अपनी नामजदगी ऑनलाइन करा सकेंगे। चुनावी रैली पर 15 जनवरी तक रोक रहेगी। चुनावी रैली की जगह वर्चुअल रैली होगी।
आयोग के निर्णय से लगता है कि इस बार चुनाव नये तरह का होगा। प्रचार होगा पर शोर नहीं होगा। चुनावी रैली होंगी, पर उनमें जनता नहीं होगी। वाहनों का शोर और प्रदूषण नहीं होगा, बदला–बदला होगा चुनाव। कोरोना ने कक्षाएं ऑनलाइन करा दीं। परीक्षाएं ऑनलाइन करा दीं। अब चुनावों के लिए नामजदगी ऑनलाइन होगी। ऐसे माहौल में ऑनलाइन चुनाव नयी दिशा दिखा रहा है। मोबाइल लगभग प्रत्येक व्यक्ति पर पहुंच गए हैं। हो सकता है कि आने वाले समय में वोट भी मोबाइल से डालें जा सकें। मतदान अपने घर से किया जा सके। लगता है समय बदलेगा। आगे चलकर बहुत कुछ बदलेगा। अब ऑनलाइन मीटिंग, सभाएं और गोष्ठियां शुरू हो गईं। आगे चलकर रैली की जगह वर्चुअल रैली होंगी। आगे चलकर वर्चुअल रैली होने लगेंगी।
चुनाव आयोग के निर्देश से चुनाव के प्रचार और रैली में निकलने वाली भीड़ पर लगाम लगेगी। लोग और राजनैतिक व्यक्ति घर से बैठकर संपर्क करेंगे। रैली की भीड़ जुटाने के लिए वाहन नहीं चलेंगे। नेताओं के वाहन कम दौड़ेंगे। प्रशासन को रैली के लिए व्यवस्थाएं नहीं करनी होंगी। फोर्स नहीं लगानी होंगी। इससे डीजल पेट्रोल बचेगा तो प्रदूषण भी कम होगा। यह वास्तव में कोरोना को बढ़ने से रोकने के साथ ही प्रदूषण को भी रोकने में सहायक होगा।
चुनाव में रैली आदि के नाम पर श्रमिक काफी मजदूरी कर लेते थे। प्रचार−प्रसार से उन्हें अच्छी आय हो जाती थी। रैलियों और सभाओं पर रोक लगने से इनके सामने संकट पैदा होगा। कोरोना काल में बहुतों के रोजगार गए। रोटी−रोजी की समस्या बढ़ी। अब उनका जीवन और कष्टप्रद होगा। हाथ से लिखे होर्डिंग, बैनर की जगह फलेक्सी ने ले ली। ऐसे ही अब प्रचार के नए रास्ते निकलेंगे। समय खुद परिवर्तन ला देता है। यह समय का चक्र चलता रहेगा। लगता है कि ऐसा ही आगे होगा। आगे चलकर बहुत कुछ बदलेगा। चुनाव आयोग के निर्णय अच्छे हैं किंतु जरूरी है कि इनका सख्ती से पालन भी कराया जाए। लापरवाही पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।
-अशोक मधुप
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)