By गौतम मोरारका | Dec 30, 2022
मातृ वियोग से बढ़कर कोई दुख नहीं होता। किसी भी पुत्र या पुत्री के जीवन में सबसे कठिन क्षण अपनी माता या पिता को कंधा देना होता है। जिन माता पिता के कंधों पर बैठ कर बच्चा दुनिया देखता है, जब उनका साथ छूटता है तो उससे बड़ा कोई गम नहीं होता।
आदरणीय प्रधानमंत्री जी की 100 वर्षीय माता जी का निधन दुखद है। लेकिन हीरा बा का जीवन हर भारतीय के लिए प्रेरणा भी है। कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए उन्होंने जिस तरह अपने बच्चों की परवरिश की, अपने बच्चों को जो संस्कार दिए, साधारण जीवन जीते हुए जीवन के उच्च मानदंड निर्धारित किए, वह सदा अविस्मरणीय रहेंगे।
प्रधानमंत्री जी ने राजनीति में आने से काफी समय पहले परिवार को छोड़ कर देश के लिए खुद को समर्पित कर दिया था। लेकिन मां के लिए उनका प्यार सदा बना रहा। हर जन्मदिन पर मां का आशीर्वाद लेने जाना, गुजरात दौरे पर मां से जरूर मिलना, मां के पांव पखारना, मां की आरती उतारना, किसी चुनाव के समय नामांकन से पहले और चुनाव परिणाम के तुरंत बाद मां का आशीर्वाद लेना आदि दर्शाता है कि नरेंद्र मोदी के जीवन में मां कितना महत्व रखती थीं।
मां के लिए सभी बच्चे समान होते हैं वो ये नहीं देखती कि कौन किस पद पर है। मोदी को मुलाकात के समय गीता भेंट करना, हाथ में 11 रुपए देना, सर पर हाथ फेरना, मुंह मीठा कराना, अपने हाथ से खाना खिलाना और अपने 100वें जन्मदिन पर यह सीख देकर जाना कि काम करो बुद्धि से और जीवन जियो शुद्धि से...हीरा बा की महानता को प्रदर्शित करता है।
हीरा बा की अंतिम यात्रा और क्रिया को साधारण रख कर मोदी परिवार ने हीरा बा की ओर से दिए संस्कारों को दर्शाया है जिसके तहत जीवन चलते रहने का नाम है और जीवन में दिखावा कभी नहीं करना चाहिए।
बहरहाल, मां के प्रति फर्ज निभा कर प्रधानमंत्री जिस तरह अपने पूर्व निर्धारित कर्तव्यों के निर्वहन में लग गए, वह दर्शाता है कि भारत माता की सेवा करते रहने की जो जिम्मेदारी मां देकर गई हैं, उनको निभाने में वह कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे।
-गौतम मोरारका