उत्तर प्रदेश के पांचवें चरण के लोकसभा चुनाव में कांटे का होगा संघर्ष, कम अंतर वाली सीटों पर सबकी नजर

By संजय सक्सेना | May 15, 2024

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अब पांचवें चरण की बिसात बिछ गई है। इस चरण की आधा दर्जन सीटों पर कांटे का मुकाबला देखने को मिल रहा है। पिछले चुनाव में पांचवें चरण की 14 सीटों में 13 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी, लेकिन पिछले चुनाव में भाजपा की जोरदार घेरेबंदी के बावजूद रायबरेली सीट पर कांग्रेस का कब्जा हो गया था। इस बार वह रायबरेली में राहुल गांधी को घेरने के लिये कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। बीजेपी पिछली बार कम अंतर से जीतने वाली सीटों मोहनलालगंज, अमेठी, फैजाबाद, बांदा और कौशांबी में एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। इन सीटों पर 2019 में बीजेपी की जीत का अंतर पचास हजार के आसपास रहा था। पांचवें चरण की 14 लोकसभा सीटों में 71 विधानसभा सीटें हैं। इनमें से 41 सीटों पर भाजपा का और 30 सीटों पर विपक्ष का कब्जा है। इसलिए लड़ाई अपेक्षाकृत कठिन होने के आसार हैं।


माना जा रहा है कि यदि पिछले चरणों की तरह पांचवें चरण में भी मतदान प्रतिशत में गिरावट रही तो इसका भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसलिए भाजपा के सामने मतदान बढ़ाना ही एक ऐसा विकल्प है, जिसके जरिए कम अंतर वाली सीटों पर कब्जा बरकरार रखा जा सकता है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने वोट प्रतिशत बढ़ाकर ही इन सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2009 में हुए लोकसभा चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि उस चुनाव में मतदान का प्रतिशत काफी कम रहा है। इसका असर कई सीटों पर पड़ा। जिसका लाभ सपा, बसपा और कांग्रेस को मिला था। उस चुनाव में कई सीटों पर सपा ने बाजी मारी थी। अपनी परंपरागत सीट रायबरेली और अमेठी पर कब्जा बरकार रखने के साथ कांग्रेस ने भी फैजाबाद, गोंडा, बाराबंकी और झांसी में जीत दर्ज कर ली थी। वहीं, बसपा के खाते में हमीरपुर लोकसभा सीट गई थी।

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पांचवें चरण में बसपा को भी ने भी सुरक्षित सीटों से बड़ी आस है। उसे मोहनलालगंज, हमीरपुर, बांदा, जालौन और बाराबंकी में त्रिकोणीय मुकाबला होने पर फायदा मिलने की उम्मीद है। इसी वजह से पार्टी ने इन सीटों पर प्रत्याशी चयन में अपने सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले का बखूबी इस्तेमाल किया है। इसी के तहत पार्टी ने गोंडा, कैसरगंज, फैजाबाद, हमीरपुर में ब्राह्मण प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा और सपा के बीच इन सीटों का बंटवारा हुआ था। सपा के हिस्से में लखनऊ, बाराबंकी, फैजाबाद, कौशांबी, झांसी, गोंडा, बांदा सीटें आईं थीं, जबकि बसपा ने फतेहपुर, हमीरपुर, जालौन, मोहनलालगंज, कैसरगंज में चुनाव लड़ा था। अमेठी और रायबरेली सीट पर गठबंधन ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था। बसपा भले ही इन सीटों पर फतह हासिल नहीं कर सकी थी, लेकिन उसके प्रत्याशियों ने भाजपा को कड़ी चुनौती दी थी। इस बार बसपा इन सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ रही है।


पांचवें चरण की सीटों पर जीत हासिल करने के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती ने खुद प्रचार की कमान अपने हाथों में ली है। मायावती ने सोमवार 13 मई को लखनऊ में जनसभा की। जल्द उनकी जालौन, कैसरगंज, रायबरेली में भी सभाएं होंगी।

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