By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 07, 2023
श्रीलंका के न्याय मंत्री विजयदास राजपक्षे ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि संसद में नए आतंकवाद निरोधक विधेयक को पेश करने में कुछ और देरी होगी, जो मौजूदा कठोर आतंकवाद निरोधक कानून की जगह लेगा। इससे एक दिन पहले अधिवक्ताओं के एक शक्तिशाली निकाय ने कहा था कि वह किसी भी कानून को चुनौती देने में संकोच नहीं करेगा, जो शासन को और नागरिकों की स्वतंत्रता को कमजोर करेगा। नया आतंकवाद निरोधक अधिनियम (एटीए) 1979 के बेहद कठोर और कुख्यात आतंकवाद की रोकथाम कानून (पीटीए) का स्थान लेगा।
इससे पहले एक अप्रैल को श्रीलंकाई प्रधानमंत्री दिनेश गुनावर्धने ने संवाददाताओं को बताया था कि नया आतंकवाद निरोधक कानून इस महीने के अंत तक पेश किया जायेगा। हालांकि, कानून मंत्री ने बृहस्पतिवार को कहा कि इस विधेयक को पेश करने में देरी हो सकती है, और इसे अप्रैल के आखिर में अथवा मई की शुरूआत तक पेश किया जा सकता है। श्रीलंका में बढ़ते तमिल अलगाववादी उग्रवाद का मुकाबला करने के लिए एक अस्थायी उपाय के रूप में 1979 में लागू किए गए पीटीए को निरस्त करने के लिए श्रीलंका को अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना करना पड़ा है।
राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने इससे पहले कहा था कि नया एटीए विधेयक जून तक पेश किया जायेगा। आज की घोषणा ऐसे समय में हुयी है जब अधिवक्ता निकाय श्रीलंका बार एसोसिएशन ने बुधवार को सरकार से इस विधेयक को पेश करने में और देर करने के लिये कहा था और दावा किया कि इसका मसौदा तैयार करते समय हितधारकों से कोई मशविरा नहीं किया गया था। इससे पहले 17 मार्च को 97 पृष्ठ के नये आतंकवाद निरोधक अधिनियम (एटीए) का सरकारी गजट में प्रकाशन किया गया था। विपक्ष और नागरिक समाज समूहों ने नए एटीए कानून पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह मौजूदा आर्थिक संकट से निपटने में पूर्व सरकार की विफलता पर पिछले साल के मध्य में हुए नागरिक समाज के विरोध को निशाना बनाने के लिये तैयार किया गया है।