By अभिनय आकाश | Sep 30, 2024
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने वादी द्वारा राहत न देने के लिए जज के खिलाफ इन हाउस जांट की मांग करने को लेकर आपत्ति जताई। वादी ने याचिका में पूर्व सीजेआई रंजन गोगई को प्रतिवादी के रूप में पेश किया गया। उन्होंने कहा कि याचिका मई 2018 में दायर की गई थी। याचिका पर आश्चर्य जताते हुए सीजेआई ने कहा कि आप जज को प्रतिवादी बनाकर जनहित याचिका कैसे दायर कर सकते हैं? कुछ गरिमा होनी चाहिए। आप ये नहीं कह सकते कि मैं जज के खिलाफ इन हाउस जांच चाहता हूं। मुख्य न्यायधीश ने कहा कि क्या यह अनुच्छेद 32 की याचिका है? आप प्रतिवादी के रूप में किसी न्यायाधीश के समक्ष जनहित याचिका कैसे दायर कर सकते हैं? कुछ गरिमा होनी चाहिए।
डीवाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता के अनौपचारिक लहजे पर आपत्ति जताई और पीठ को संबोधित करते हुए हाँ शब्द के इस्तेमाल पर असहमति व्यक्त की। सीजेआई ने कहा कि हां-हां मत कहो। यह कोई कॉफ़ी शॉप नहीं है। मुझे 'हाँ' कहने वाले लोगों से थोड़ी एलर्जी है। इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने सवाल किया कि क्या यह मामला अनुच्छेद 32 की याचिका के लिए उपयुक्त है, जो मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के लिए सर्वोच्च न्यायालय में सीधे अपील की अनुमति देता है।
जब याचिकाकर्ता, जिसने कहा कि वह पुणे का रहने वाला है, मराठी में दलीलें देने लगा तो सीजेआई ने भी उसी भाषा में जवाब देना शुरू कर दिया। मराठी में सीजेआई ने पक्षकार को यह समझाने की कोशिश की कि किसी जज के खिलाफ केवल राहत देने से इनकार करने पर याचिका दायर नहीं की जा सकती। सीजेआई ने स्पष्ट किया कि जब किसी हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाती है तो मामले का फैसला करने वाले हाईकोर्ट जज को पक्षकार नहीं बनाया जाता।