By अंकित सिंह | Jan 20, 2024
वर्तमान में देखा जाए तो देश भर में राम भक्त की धुन सवार है। हालांकि यह बात भी सच है कि इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर पर्दे के पीछे राजनीति भी खूब हो रही है। इंडिया गठबंधन में लगातार सीट बंटवारे को लेकर बातचीत हो रही है। वहीं, एनडीए की ओर से भी यह खुलासा नहीं किया गया है कि कौन कहां कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा। हर तरफ स्थिति कन्फ्यूजन वाली दिखाई दे रही है। हालांकि, विपक्षी इंडिया गठबंधन में दरार कुछ ज्यादा दिखाई दे रही है। इसका बड़ा कारण ममता बनर्जी का वह फैसला है जिसकी चर्चा फिलहाल कल से लगातार हो रही है।
दरअसल, ममता बनर्जी की पार्टी की ओर से पश्चिम बंगाल में ऐलान कर दिया गया है कि वह सभी 42 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। इसका मतलब साफ है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच कोई सीट समझौता नहीं होने जा रहा है। तृणमूल कांग्रेस अधीन रंजन चौधरी के खिलाफ भी अपने उम्मीदवार उतारेगी। वहीं, अखिलेश यादव ने राष्ट्रीय लोक दल और जयंत चौधरी के साथ उत्तर प्रदेश में गठबंधन को लेकर अपनी स्थिति फाइनल कर ली है। यह कांग्रेस पर दबाव बनाने की कोशिश है कि हमने यहां अपना गठबंधन फाइनल कर लिया है, आप बातचीत में तेजी लाइए वरना हम चुनाव लड़ने की तैयारी कर चुके हैं।
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दिल्ली में मिलकर चुनाव लड़ने को लेकर अपनी तैयारी कर रही है। तो वहीं पंजाब में दोनों दल एक दूसरे पर जबरदस्त तरीके से हमलावर है। दोनों दलों की ओर से दावा किया जा रहा है कि वह सभी 13 सीटों पर अपने-अपने उम्मीदवार उतारेगी। ऐसे में पंजाब में आप और कांग्रेस का कोई गठबंधन होता दिखाई नहीं दे रहा है। इतना ही नहीं, आम आदमी पार्टी ने गुजरात और गोवा में भी कांग्रेस से सीट मांग ली है। वहीं, अगर महाराष्ट्र के बात करें तो वहां महा विकास आघाडी में सीट बंटवारे को लेकर बयान बाजी खूब हो रही है। उद्धव ठाकरे की शिवसेना 23 सीटों से कम पर तैयार नहीं है। वहीं कांग्रेस 20 सीटों पर ढावा ठोक रही है। ऐसे में शरद पवार की पार्टी को कितनी सीटे मिलेगी, इस पर भी पेंच फंसता दिखाई दे रहा है।
बिहार में कंफ्यूजन की स्थिति कुछ ज्यादा ही है। यहां नीतीश कुमार को लेकर ही कंफ्यूजन है। बड़ा सवाल यही है कि इंडिया गठबंधन की नींव डालने में अहम भूमिका निभाने वाले नीतीश कुमार विपक्षी गठबंधन में रहेंगे या फिर से अपने पुराने सहयोगी भाजपा के खेमे में लौट जाएंगे। इसने बिहार के राजनीति को तेज कर रखा है। खुद लालू यादव और तेजस्वी यादव ने इस खबर के बाद नीतीश कुमार से मुलाकात की। हालांकि, नीतीश कुमार की चुप्पी अभी भी कई सवालों को जन्म दे रही है। इसके अलावा भाजपा में भी कन्फ्यूजन की स्थिति है। बिहार में उपेंद्र कुशवाहा, चिराग पासवान, जीतन राम मांझी जैसे नेताओं को इस बात का डर है कि अगर नीतीश कुमार एनडीए में वापसी करते हैं फिर हमारा क्या होगा? वही महाराष्ट्र में भी एनडीए में सीट समझौते नहीं हुए हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश को लेकर भी फिलहाल एनडीए में कोई बातचीत नहीं चल रही है।