By अंकित सिंह | May 01, 2024
लोकसभा चुनाव के मध्यनजर अमित शाह के एक फेक वीडियो को लेकर देश में जबरदस्त तरीके से सियासत हो रही है। हालांकि, यह भी देखा जा रहा है कि जैसे ही इस फेक वीडियो की शिकायत निर्वाचन आयोग से भाजपा ने की, उसके बाद लगातार कार्रवाई की जा रही है। गुजरात में दो लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। वहीं, दिल्ली पुलिस भी अपने स्तर से इसमें शामिल लोगों से पूछताछ कर रही है। इसी कड़ी में तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को भी समन भेजा गया है। भाजपा की ओर से साफ तौर पर कहा जा रहा है कि कांग्रेस डरी हुई है इसलिए फेक वीडियो का सहारा उनकी ओर से लिया जा रहा है। दूसरी तरफ कांग्रेस की ओर से कहा जा रहा है कि हम डरने वाले नहीं है। हम इसका जवाब देंगे। हालांकि यह देश में पहला मौका नहीं है जब फेक वीडियो को लेकर सियासत जारी है। इससे पहले भी ऐसे कई मौके आए हैं जब फेक वीडियो प्रसारित किए गए हैं। इसी को लेकर देश के प्रसिद्ध अधिवक्ता और भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात अश्विनी उपाध्याय ने अपनी बात रखी है, सुनते हैं।
अश्विनी उपाध्याय ने फेक वीडियो को रोकने के लिए सख्त कानून पर जोर दिया। अश्वनी उपाध्याय ने कहा कि जिन देशों में कानून सख्त है, वहां के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का फेक वीडियो वायरल नहीं होता। लेकिन हमारा कानून घटिया है, इसलिए इस तरह की चीजे हमारे देश में देखने को मिलती है। सिंगापुर में फेक वीडियो को लेकर सख्त कानून है, वहां कानून का खौफ है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां कानून जो घटिया है। यहां मुकदमे 40-50 साल चलते हैं, इसलिए प्रधानमंत्री और गृह मंत्री का फेक वीडियो वायरल हो रहा है। उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री और गृह मंत्री का फेक वीडियो वायरल किया जा सकता है, तब आम जनता की क्या औकात है। जनता इसे कैसे बचे यह बड़ा सवाल है। उन्होंने कहा कि कोई कोर्ट कचहरी में भी जाएगा तो मुकदमा 30 से 40 साल चलेगा। मुकदमा लड़ते-लड़ते इंसान परेशान हो जाएगा लेकिन समस्या का समाधान नहीं होगा। इसलिए मैं बार-बार कहता हूं कि कानून घटिया है, न्यायिक व्यवस्था सड़ी हुई है। इसलिए इसे बदलना बेहद जरूरी है।
उन्होंने कहा कि आश्चर्य की बात तो यह है कि इस फेक वीडियो पर आरोप-प्रत्यारोप खूब हो रहा है। लेकिन कोई पुलिस रिफॉर्म की बात नहीं कर रहा है, कोई ज्यूडिशल रिफॉर्म की बात नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि कानून घटिया है, इसलिए हमारे देश में पत्रकारों को भी जेल भेज दिया जाता है। उन्होंने कहा कि मीडिया वर्ग की ओर से भी पुलिस रिफॉर्म और ज्यूडिशल रिफॉर्म की बात नहीं उठाई जाती है। उन्होंने कहा कि अगर कानून घटिया रहेगा तो पुलिस जब मन चाहेगी किसी को भी गिरफ्तार कर सकती है। पुलिस घटिया कानून की वजह से सत्ता का गुलाम बन कर रह गई है। उन्होंने फेक वीडियो करने वालों के खिलाफ भी दंड की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर इस मामले में दंड नहीं मिलेगा तो इस तरह के मामले सामने आते रहेंगे।