मोदी सरकार आने के बाद भारत में ऊर्जा के क्षेत्र में हुई जोरदार क्रांति

By प्रहलाद सबनानी | Oct 09, 2020

अभी हाल ही में देश में ऊर्जा के उत्पादन से सबंधित जारी किए गए आँकड़ों से यह तथ्य उभर कर आया है कि भारत में ऊर्जा के कुल उत्पादन में स्वच्छ ऊर्जा का योगदान वित्तीय वर्ष 2020-21 के अगस्त माह तक 30 प्रतिशत हो गया है जो वित्तीय वर्ष 2019-20 के अंत में 24.9 प्रतिशत था। केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई नीतियों को चलते देश के ऊर्जा उत्पादन में पारम्परिक ऊर्जा का योगदान लगातार कम होता जा रहा है। पारम्परिक ऊर्जा को जीवाश्म ऊर्जा भी कहते है एवं इसके निर्माण में तेल, गैस और कोयला आदि का उपयोग होता है। वहीं स्वच्छ ऊर्जा में सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा भी शामिल है।

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दूसरी, एक अन्य महत्वपूर्ण जानकारी के अनुसार भारत अब ऊर्जा क्षेत्र में इस दृष्टि से आत्म निर्भर हो चुका है कि देश में ऊर्जा की कुल आवश्यकता के 99.6 प्रतिशत भाग की उपलब्धता होने लगी है, जो वर्ष 2012-13 में 91.3 प्रतिशत ही हो पाती थी। वर्ष 2013-14 से प्रतिवर्ष ऊर्जा की कुल आवश्यकता एवं ऊर्जा की उपलब्धता के बीच का अंतर लगातार कम होता चला गया है, जो वर्ष 2012-13 के 8.7 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2020-21 (अप्रेल-अगस्त) में 0.4 प्रतिशत रह गया है। 


तीसरी, एक और अच्छी जानकारी यह उभर कर आई है कि माह सितम्बर 2020 में देश में ऊर्जा की माँग माह सितम्बर 2019 की तुलना में 3 प्रतिशत बढ़ गई है। जबकि अगस्त 2020 में ऊर्जा की माँग अगस्त 2019 की तुलना में 2 प्रतिशत कम थी। इससे भी यह झलकता है कि न केवल ऊर्जा की माँग में वृद्धि दृष्टिगोचर हो रही है बल्कि ऊर्जा की उपलब्धता में भी सुधार दिख रहा है।

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अन्तर्राष्ट्रीय ऊर्जा संस्थान द्वारा भी अपने एक समीक्षा प्रतिवेदन में बताया गया है कि भारत में 95 प्रतिशत लोगों के घरों में बिजली मुहैया कराई जा चुकी है और 98 प्रतिशत परिवारों की, खाना पकाने के लिए, स्वच्छ ईंधन तक पहुँच बन गई है। साथ ही, उक्त समीक्षा प्रतिवेदन में यह भी बताया गया है कि ऊर्जा के क्षेत्र में निजी निवेश की मात्रा भी बढ़ी है, जिससे भारत में ऊर्जा के क्षेत्र की दक्षता में सुधार हुआ है। उसकी वजह से ऊर्जा की क़ीमतों में प्रतिस्पर्धा बढ़ी है एवं ऊर्जा की क़ीमतें सस्ती हुई हैं। सामान्य लोगों की ऊर्जा तक पहुँच बढ़ी है। ऊर्जा की दक्षता बढ़ने के चलते ऊर्जा की माँग में 15 प्रतिशत की कमी आई है। ऊर्जा की माँग में कमी का मतलब 30 करोड़ कार्बन के उत्सर्जन को टाला जा सका है। अन्तर्राष्ट्रीय ऊर्जा संस्थान द्वारा किया गया उक्त मूल्याँकन एक स्वतंत्र मूल्याँकन है अतः इस समीक्षा प्रतिवेदन का अपने आप में बहुत बड़ा महत्व है।


भारत सरकार ने ऊर्जा के क्षेत्र के भविष्य को सुरक्षित, सस्ता और व्यावहारिक बनाने के उद्देश्य से कई नीतिगत निर्णय लिए हैं। साथ ही, देश के परिवहन क्षेत्र में इलेक्ट्रिक वाहनों को उतारने की जो पहल की जा रही है, उससे स्वच्छ परिवहन की शुरुआत होगी। हाल ही के समय में भारत सरकार ने ऊर्जा भंडारण निदान, स्वच्छ ईंधन और विपणन क्षेत्र को उदार बनाने की दिशा में ज्यादा ध्यान दिया है। “भारत 2020 ऊर्जा नीति समीक्षा रिपोर्ट” के अनुसार, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना और शहरी गैस वितरण नेटवर्क के जरिये रसोई घरों तक पाइप से सीधे गैस पहुंचाने जैसे कदमों से भारत में 28 करोड़ परिवार इसके दायरे में आ गये हैं। भारत ऊर्जा के क्षेत्र में बदलाव की दिशा में काफी मेहनत से काम कर रहा है। केंद्र सरकार ने बिजली और खाना पकाने के स्वच्छ ईंधन तक पहुंच सुनिश्चित करने को अपनी शीर्ष प्राथमिकता में रखा हुआ है और उसके इस दिशा में लगातार प्रयासों से इस क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति दिख भी रही है। 


मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से दो बड़ी क्रांतियाँ ऊर्जा के क्षेत्र में हुई हैं। पहिले तो LED सम्बंधी क्रांति भारत में हुई है। दुनिया के कई देश आज भारत आकर देख रहे हैं और यह समझने का प्रयास कर रहे हैं कि भारत ने किस प्रकार इतना बड़ा कार्य आसानी से कर लिया है। दूसरी क्रांति LPG सम्बंधी हुई है। भारत ने LPG को गाँव गाँव एवं घर-घर तक पहुँचा दिया है। अब भारत के गावों में गृहणियाँ गैस के चूल्हे पर खाना पकाती है, लकड़ी नहीं जलाती है।


ऊर्जा दो प्रकार की होती है। एक, पारम्परिक ऊर्जा और दूसरे, नवी ऊर्जा। हमारे देश में बहुत बड़ी हद्द तक पारम्परिक ऊर्जा का उपयोग होता है। इसके निर्माण में तेल, गैस और कोयला आदि का उपयोग होता है। पारम्परिक ऊर्जा को जीवाश्म ऊर्जा भी कहते है। वहीं दूसरी ओर नवी ऊर्जा के उत्पादन पर आज भारत सरकार का काफ़ी ज़ोर है। नवी ऊर्जा में सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा शामिल है। अन्य विकसित देशों की तुलना में भारत में प्रति व्यक्ति ऊर्जा की खपत बहुत कम है, यह विश्व के औसत का एक तिहाई ही है। अतः भारत सरकार लगातार यह कोशिश कर रही है कि देश में ऊर्जा की कमी को ख़त्म कर स्वच्छ ऊर्जा की उपलब्धता को बढ़ाया जाये।

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भारत आज वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे अधिक पेट्रोलियम पदार्थों का इस्तेमाल करने वाला देश है। वर्ष 2024 तक हमारे देश में पेट्रोलियम पदार्थों की माँग चीन की माँग से भी अधिक हो जाने की सम्भावना है। अतः आज आवश्यकता इस बात की है कि हम पेट्रोलियम पदार्थों के उपयोग में कमी करें क्योंकि इसके ज़्यादा प्रयोग से वायु प्रदूषण भी हो रहा है। आज बिजली से चालित वाहनों की ओर हमारे देश में जो रुझान देखने में आ रहा है उसे तेज़ करना ज़रूरी है। इस सम्बंध में आक्रामक एवं अद्वितीय नीतियों को लागू करने की आज आवश्यकता है। सार्वजनिक वाहनों को भी बिजली से ही चलाया जाना चाहिए। LNG ईंधन से चलने वाले ट्रकों का उपयोग ज़्यादा से ज़्यादा होना चाहिए। गुजरात ने सफलतापूर्वक यह कर दिखाया है अतः आज गुजरात का कुल ऊर्जा में गैस का उपभोग विश्व के औसत से ऊपर है। उसकी सफलता का कारण यह है कि उन्होंने आधारिक संरचना का ढाँचा विकसित किया और गैस की आपूर्ति सुनिश्चित की। अतः अब भारत को पेट्रोल एवं डीज़ल के स्थान पर गैस की ओर मुड़ना होगा। कुल ऊर्जा उपयोग में स्वच्छ ऊर्जा का योगदान बढ़ाना आज एक आवश्यकता बन गया है। कश्मीर से कन्याकुमारी एवं कामरूप से कच्छ तक गैस पाइप लाइन का जाल बिछाने की योजना है जिससे गैस ग्रिड विकसित किया जा सके। देश में गैस आधारित अर्थव्यवस्था विकसित करना होगी। अभी कुल ऊर्जा में गैस का योगदान केवल 6 प्रतिशत के आसपास ही है इसको 15 प्रतिशत तक ले जाना है। राष्ट्रीय स्तर पर योजना तो बना ली गई है परंतु इसके क्रियान्वयन की ओर ध्यान देना होगा।


एक अच्छी बात जो हाल ही के समय में देखी जा रही है वो यह है कि विशेष रूप से ऊर्जा के क्षेत्र में केंद्र सरकार एवं विभिन्न राज्य सरकारों के बीच अच्छा तालमेल हो रहा है। जिसके कारण ग्रामीण स्तर पर बिजली पहुंचाने में केंद्र ने सफलता हासिल की है। यह एक सराहनीय उपलब्धि है। इसके साथ ही, तकनीकी क्षेत्र में हुई क्रांति के चलते ऊर्जा की दक्षता में बहुत सुधार हुआ है। सबसे पहले तो सामान्य बल्ब से CFL में स्थानांतरित हुए और फिर LED के उपयोग पर आ गए हैं। इससे देश में ऊर्जा की खपत बहुत कम हो गई है। देश के कई घरों में तो ऊर्जा का उपयोग लगभग आधा हो गया है। इससे वितरण कम्पनियों पर भी दबाव कम हुआ है। केंद्र का लगातार यह प्रयास है कि गाँव के प्रत्येक घर में सस्ती दरों पर बिजली उपलब्ध हो सके। भारत चूँकि आकार में बहुत बड़ा है अतः हमारे देश की केंद्र सरकार में ऊर्जा से सम्बंधित 5 मंत्रालय हैं। कोयला मंत्रालय, ऊर्जा मंत्रालय, पेट्रोलियम मंत्रालय, नवी ऊर्जा मंत्रालय एवं परमाणु ऊर्जा मंत्रालय। इन सभी विभागों का आपस में मज़बूत सामंजस्य होना बहुत ही ज़रूरी है, जिसके लिए केंद्र सरकार द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है।


देश में नवी ऊर्जा के निर्माण को बढ़ाने के लिए जिन अवयवों की आवश्यकता पढ़े उन्हें स्थानीय स्तर पर ही निर्मित किया जाना चाहिए। सौर ऊर्जा में भी हमारे देश की क्षमता बढ़ाए जाने के लगातार प्रयास केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहे हैं। इससे देश में ही इसके अवयवों का निर्माण किया जाएगा एवं मेक इन इंडिया के साथ-साथ रोज़गार के भी कई नए अवसर निर्मित होंगे। सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा के मामले में भारत में उल्लेखनीय प्रगति हो रही है। नवी ऊर्जा के भंडारण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से देश में बैटरी के उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि ग्रिड का विस्तार किया जा सके।


पूरी दुनिया में बिजली का उपयोग भी, ऊर्जा के रूप में, बढ़ता जा रहा है। पहले डीज़ल, पेट्रोल एवं गैस का उपयोग सबसे अधिक होता रहा है। परंतु, अब ऊर्जा सम्बंधी जो भी नीति आगे बने वह बिजली को केंद्र में रखकर बनाई जानी चाहिए। अब समय आ गया है कि भारत बैटरी स्टोरेज के क्षेत्र में भी दुनिया को रास्ता दिखाए जिस प्रकार सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारत दुनिया को राह दिखा रहा है। 


-प्रहलाद सबनानी

सेवानिवृत्त उप-महाप्रबंधक

भारतीय स्टेट बैंक

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