By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 12, 2020
कोलकाता। कोलकाता में पुनर्विकसित की गई अंग्रेजों के समय की चार इमारतों को देश को समर्पित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि देश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से दुनिया को रू-ब-रू कराया जाएगा। मोदी ने कहा कि आज़ादी के बाद लिखे गए देश के इतिहास में कई पहलुओं की अनदेखी की गई है और यह वह नहीं है जो हम पढ़ते हैं या परीक्षा में लिखते हैं। उन्होंने कहा कि हिंसा से भरे इस युग में राष्ट्र की अंतरात्मा को जगाना बहुत अहम है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इस कार्यक्रम में शामिल होना था लेकिन वह वहां नहीं गईं। शहर के मेयर तथा वरिष्ठ नेता फरहाद हाकिम ने इसमें हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री ने यहां कहा, ‘‘ परंपरा और पर्यटन का हमारी संस्कृति से सीधा संबंध है। भारत को सबसे आगे रखने के लिए हम धरोहर पर्यटन को बढ़ावा देंगे जिसमें रोजगार सृजन की भी गुंजाइश है। हम भारत को धरोहर पर्यटन का केंद्र बनाना चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा कि कोलकाता के भारतीय संग्रहालय जैसे कुछ पुराने संग्रहालयों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विकसित किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने 1833 में स्थापित एवं पुनर्विकसित की गई करेंसी बिल्डिंग के उद्घाटन कार्यक्रम में कहा , ‘‘भारतीय धरोहर संस्थान की भी स्थापना की जाएगी जिसको डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा दिया जाएगा।’’
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भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, कोलकाता के मुताबिक, यह तीन मंजिला इमारत है जिसकी डिजाइन इतावली शैली की है। शुरू में इसमें एक बैंक होता था। सरकार ने 1868 में अपने मुद्रा विभाग के लिए इस इमारत के बड़े हिस्से को अपने कब्जे में ले लिया था जिसके बाद इसका नाम करेंसी बिल्डिंग रखा गया था। इसके अलावा मोदी ने बेल्वेदेरे हाउस, मेटकॉफ हॉल और विक्टोरिया मेमोरियल हॉल को भी राष्ट्र को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि खुदीराम बोस, रास बिहारी बोस, विनय बादल और दिनेश, ऋषि अरविंद और नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे बंगाल के देशभक्तों के लिए विक्टोरिया मेमोरियल हॉल में एक गैलरी आरक्षित की जाएगी।
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मोदी ने कहा, ‘‘यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि ब्रिटिश शासन के दौरान और आजादी के बाद भी जो इतिहास लिखा गया उनमें कई महत्वपूर्ण अध्यायों की अनदेखी की गयी।’’ रवींद्रनाथ टैगोर का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत का इतिहास वो नहीं है जो हम याद करते हैं और परीक्षाओं में लिखते हैं। हमने देखा है कि बेटे ने पिता की हत्या कर दी और भाई आपस में लड़ रहे हैं। यह भारत का इतिहास नहीं है।’’ इस संदर्भ में, उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि भारत के स्वदेशी लोग तब क्या कर रहे थे। ‘ऐसा लगता है कि वे अस्तित्व में ही नहीं थे।’’ फिर से टैगोर का हवाला देते हुए मोदी ने कहा कि जब भी तूफान जैसा मुश्किल वक्त आता है तो हमें डटकर खड़े रहकर उसका सामना करना चाहिए, लेकिन वे लोग जो इसे बाहर से देखते हैं, वे सिर्फ तूफान देखेंगे।’’ संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) पर विवाद के बीच प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ हिंसा के इस समय में, राष्ट्र की अंतररात्मा को जगाना जरूरी है। इससे ही हमारी संस्कृति, इतिहास और दर्शन का उदय हुआ है।’’ मोदी ने कहा कि देश के लोगों ने सैन्य शक्ति की मदद से नहीं, बल्कि आंदोलनों के माध्यम से बदलाव लाया है।
मोदी ने कहा कि लेखक शरत चंद्र चटर्जी, समाज सुधारक केशब सेन और ईश्वर चंद्र विद्यासागर, स्वामी विवेकानंद और रवींद्रनाथ टैगोर जैसे लोगों ने दुनिया को भारत की ताकत दिखाई थी। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि 21वीं सदी भारत की होगी। ‘‘मैं खुद तथा सरकार इसका समर्थन करती है और बंगाल के लोगों से सीखने की कोशिश भी करते हैं।’’ बंगाल से एक अन्य पुनर्जागरण शख्सियत राजा राममोहन राय पर, मोदी ने कहा कि देश को उनके सिद्धांतों का पालन करने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम उनकी 250वीं जयंती (2022 में) सालभर चलने वाले कार्यक्रम के जरिए मनाएंगे। हमारे धरोहर को संरक्षित करना हमारा कर्तव्य है और यह राष्ट्र निर्माण के प्रमुख पहलुओं में से एक है।’’