By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 23, 2022
कोच्चि (केरल)। केरल उच्च न्यायालय ने इस्लामी संगठन ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (पीएफआई) द्वारा राज्यभर में शुक्रवार को की गई हड़ताल का स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा कि यह इस तरह के प्रदर्शनों को लेकर 2019 में जारी उसके आदेश की प्रथम दृष्टया अवमानना प्रतीत होती है। न्यायमूर्ति ए. के. जयशंकरण नांबियार ने कहा कि उनके 2019 के आदेश के बावजूद पीएफआई ने बृहस्पतिवार को अचानक हड़ताल का आह्वान किया। यह एक ‘‘अवैध’’ हड़ताल है। अदालत ने इस दक्षिणी राज्य में आज हड़ताल का आह्वान करने को लेकर पीएफआई और उसके प्रदेश महासचिव के खिलाफ स्वत: संज्ञान लिया।
अदालत ने कहा, ‘‘ इन लोगों द्वारा हमारे पूर्व के आदेश में दिए एक निर्देशों का पालन किए बिना हड़ताल का आह्वान करना प्रथम दृष्टया, उपरोक्त आदेश के संदर्भ में इस न्यायालय के निर्देशों की अवमानना के समान है।’’ मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए अदालत ने हड़ताल के आह्वान का समर्थन नहीं करने वालों की सार्वजनिक व निजी संपत्ति को किसी भी तरह की क्षति पहुंचाए जाने से रोकने के लिए पर्याप्त उपाय करने का पुलिस को निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति नांबियार ने कहा, ‘‘खासकर, पुलिस अवैध हड़ताल के समर्थकों द्वारा ऐसे कृत्यों को रोकने के लिए कदम उठाए और अदालत के समक्ष एक रिपोर्ट पेश करे, जिसमें सार्वजनिक/निजी संपत्ति को यदि नुकसान पहुंचाने के कोई मामले सामने आएं तो उसकी जानकारी दी जाए।’’ अदालत ने कहा, ‘‘यह जानकारी अपराधियों से इस तरह के नुकसान की भरपाई कराने के वास्ते अदालत के लिए जरूरी होगी।’’ अदालत ने पुलिस से कहा कि वह उन सभी जन सेवाओं को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करें, जिन्हें अवैध हड़ताल का समर्थन करने वाले निशाना बना सकते हैं। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि मीडिया घराने अदालत के उस आदेश की जानकारी दिए बिना ही ‘‘अचानक आहूत हड़ताल’’ से जुड़ी खबरें चला रहे हैं, जिसमें उसने इस तरह की हड़ताल की सात दिन पूर्व सार्वजनिक रूप से जानकारी ना दिए जाने पर उन्हें अवैध घोषित करने का फैसला सुनाया था।
अदालत ने कहा, ‘‘इसलिए, हम मीडिया से एक बार फिर अनुरोध करते हैं कि जब भी अचानक ऐसी अवैध हड़तालों का आह्वान किया जाए, तब लोगों को इस बात की सही से जानकारी दी जाए कि हड़ताल अदालत के आदेश का उल्लंघन है।’’ अदालत ने कहा कि यह काफी हद तक आम जनता की हड़ताल के आह्वान की वैधता के संबंध में आशंकाओं को दूर करने के लिए पर्याप्त होगा। अदालत ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 29 सितंबर की तारीख तय की है।
उच्च न्यायालय ने सात जनवरी 2019 को स्पष्ट कर दिया था कि हड़ताल से सात दिन पहले उसकी सार्वजनिक तौर पर जानकारी दिए बिना, ऐसे अचानक हड़ताल का आह्वान करना अवैध/असंवैधानिक माना जाएगा और हड़ताल का आह्वान करने वालों को इसके प्रतिकूल परिणाम भुगतने होंगे। गौरतलब है कि देश में आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने के आरोप में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) तथा अन्य एजेंसियों द्वारा पीएफआई के कार्यालयों और उसके नेताओं से जुड़े परिसरों पर छापे मारे जाने के विरोध में पीएफआई ने शुक्रवार को हड़ताल करने का आह्वान किया था।