भोपाल। मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग ने सतना जिले में कुछ महिलाओं को बेहोशी का इंजेक्शन लगाने के बावजूद नसबंदी का ऑपरेशन किए बिना लौटाए जाने पर संज्ञान लिया है। इस मामले में आयोग ने कलेक्टर सतना, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सतना एवं संचालक, लोक स्वास्थ्य संचालनालय, भोपाल से तीन सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है।
मानव अधिकार आयोग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार सतना जिले में नसबंदी ऑपरेशन को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र रामपुर बाघेलान में विगत बुधवार को नसबंदी शिविर का आयोजन किया गया। यहां 22 महिलाओं को बुलाया था। सभी को एंटीबायोटिक और अर्धबेहोशी का इंजेक्शन दिया गया। नसबंदी करने आए सर्जन ने कोविड-19 का हवाला देकर 10 से अधिक नसबंदी ऑपरेशन करने से इनकार कर दिया। ऐसे में 12 महिलाओं को अर्धबेहोशी की हालत में घर वापस भेज दिया गया। इनमें से दो की तबीयत बिगड़ गई।
इधर सर्जन एस.एम. पाण्डेय ने आरोप लगाया कि कोविड-19 प्रोटोकाल के विपरीत सभी ऑपरेशन करने का दबाव बनाया जा रहा था। ऑपरेशन नहीं करने पर कमरे का दरवाजा बाहर से बंद करा दिया गया। इधर, सी.एम.एच.ओ डॉ. अशोक कुमार अवधिया ने डॉ. पाण्डेय को नोटिस जारी किया है। तो वही डीएचओ डॉ. चरण सिंह के नेतृत्व में जांच टीम गठित की गई है।