देश में आने वाले वर्षों में आम आदमी का जीवन स्तर तेजी से सुधरेगा : Nirmala Sitharaman

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 04, 2024

नयी दिल्ली । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार के उपायों और अगले कुछ साल में प्रति व्यक्ति आय को दोगुना करने के प्रयासों के साथ आम आदमी के जीवन स्तर में तेजी से सुधार आएगा। कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन के तीसरे संस्करण को यहां संबोधित करते हुए सीतारमण ने कहा कि भारत में असमानता में कमी आई है। असमानता को मापने के लिए सांख्यिकीय उपाए गिनी गुणांक शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सुधार दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह असमानता में कमी के साथ हासिल किया जा रहा है, क्योंकि ग्रामीण भारत के लिए गिनी गुणांक (आय असमानता सूचकांक) 0.283 से घटकर 0.266 हो गया है, जबकि शहरी क्षेत्रों के लिए यह 0.363 से घटकर 0.314 हो गया है। 


सीतारमण ने कहा, ‘‘ मुझे उम्मीद है कि ये सुधार जारी रहेंगे।पिछले 10 वर्षों के आर्थिक तथा संरचनात्मक सुधारों के प्रभाव आने वाले वर्षों में आंकड़ों में अधिक स्पष्ट रूप से प्रकट होंगे क्योंकि अर्थव्यवस्था से कोविड-19 वैश्विक महामारी का असर कम हो जाएगा।’’ मंत्री ने कहा कि आगामी दशकों में ‘‘ आम आदमी के जीवन स्तर में तेज से सुधार देखने को मिलेगा, जो वास्तव में भारतीयों के लिए जीवन जीने का एक युग होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुमानों के अनुसार हमें 2,730 अमेरिकी डॉलर की प्रति व्यक्ति आय तक पहुंचने में 75 साल लगे, लेकिन इसमें 2,000 अमेरिकी डॉलर और जोड़ने में केवल पांच साल लगेंगे। आने वाले वर्षों में आम आदमी के जीवन स्तर में सबसे तेजी से सुधार देखने को मिलेगा, जो वास्तव में भारतीयों का एक युग होगा....।’’ 


सीतारमण ने कहा कि भारत वैश्विक चुनौतियों के बावजूद... अपनी 1.4 अरब की आबादी (जो वैश्विक कुल का 18 प्रतिशत है) के लिए कुछ वर्षों में प्रति व्यक्ति आय को दोगुना करने का प्रयास करेगा।’’ उन्होंने कहा कि 2047 तक जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे कर लेगा, तब नए भारतीय युग की मूल विशेषताएं विकसित देशों के समान होंगी। मंत्री ने कहा कि विकसित भारत विचारों, प्रौद्योगिकी तथा संस्कृति के जीवंत आदान-प्रदान का केन्द्र बनकर न केवल भारतीयों के लिए बल्कि शेष विश्व के लिए भी समृद्धि लाएगा। 


देश की वित्तीय प्रणाली पर उन्होंने कहा, ‘‘ परिसंपत्ति गुणवत्ता सुधार, खराब ऋणों के लिए प्रावधान में वृद्धि, निरंतर पूंजी पर्याप्तता तथा लाभप्रदता में वृद्धि पर लगातार नीतिगत ध्यान से देश के बैंक मजबूत और सुदृढ़ हैं।’’ एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) अनुपात कई साल के निचले स्तर पर है और बैंकों के पास अब ऋण वसूली की कुशल व्यवस्था है। मंत्री ने कहा, ‘‘ यह सुनिश्चित करना हमारी मुख्य नीति प्राथमिकताओं में से एक है कि वित्तीय प्रणाली बेहतर बनी रहे..।’’ भारतीय युग को आकार देने वाली ताकतों का जिक्र करते हुए सीतारमण ने कहा कि देश की युवा आबादी उत्पादकता में सुधार, बचत व निवेश के लिए एक बड़ा आधार प्रदान करती है।

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