Prajatantra: Rahul Gandhi की वापसी से I.N.D.I.A में होगी रार! अब क्या करेंगे ममता-नीतीश-केजरीवाल

By अंकित सिंह | Aug 04, 2023

आज का दिन कांग्रेस और खास करके राहुल गांधी के लिए काफी शुभ है। मोदी सरनेम मानहानि मामले में सूरत की निचली अदालत ने राहुल गांधी को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई थी। कोर्ट के फैसले के बाद राहुल गांधी की लोकसभा से सदस्यता भी चली गई थी। हालांकि, आज सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को दोषी ठहराए जाने वाली सजा पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई पूरी नहीं हो जाती, तब तक दोष सिद्धि पर रोक रहेगी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद राहुल गांधी के लिए संसद के दरवाजे फिर से खुल गए हैं। राहुल गांधी संभवत सोमवार से लोकसभा में जाने भी लगेंगे। इतना ही नहीं, उनके 2024 में लोकसभा चुनाव लड़ने का भी रास्ता साफ हो गया है। कहीं ना कहीं कांग्रेस पार्टी और विपक्षी गठबंधन इंडिया के लिए सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला काफी मायने रखता है। 

 

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राहुल गांधी के लिए संजीवनी

राहुल गांधी के लिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला किसी संजीवनी से कम नहीं है। राहुल गांधी पर कोर्ट के फैसले का इंडिया गठबंधन के नेताओं की ओर से भी स्वागत किया जा रहा है। राजनीतिक तौर पर एक बार फिर से देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनाम राहुल गांधी की लड़ाई देखने को मिलेगी। इस फैसले के बाद कांग्रेस तो नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर आक्रमक है। वहीं, राहुल गांधी को और भी आक्रमक होकर प्रहार करने का बड़ा मौका मिल सकता है। साथ ही साथ कांग्रेस इस बात को लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करेगी कि राहुल गांधी को षड्यंत्र के तहत सजा दिलवाई गई थी। राहुल को लेकर लोगों में एक सिंपैथी भी दिख सकती है। 


इंडिया गठबंधन में हो सकता है रार

राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल हो जाने और 2024 चुनाव लड़ने का रास्ता साफ होने के बाद कहीं ना कहीं कांग्रेस के लिए जबरदस्त खुशी की बात है। तो वही विपक्षी गठबंधन इंडिया में शामिल कई दलों के लिए अंदरखाने में यह किसी झटके से कम नहीं है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इसमें कोई दो राय नहीं है कि राहुल गांधी तमाम विपक्षी नेताओं की तुलना में फिलहाल देश में सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं। वह सीधे-सीधे प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा से लोहा लेते हैं, उन पर निशाना साधते हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री पद की दावेदारी को लेकर कांग्रेस एक बार फिर से राहुल गांधी के नाम को आगे बढ़ाने की कोशिश करेगी। भले ही कांग्रेस की ओर से यह दावा किया जा रहा है कि उसके लिए प्रधानमंत्री पद और सत्ता मायने नहीं रखती, लेकिन कहीं ना कहीं कांग्रेस राहुल गांधी को हर कीमत पर आगे करना चाहेगी। ऐसे में शायद गठबंधन के दूसरे नेताओं के लिए स्थिति सहज नहीं होगी। कहा जा सकता है कि इंडिया बनाम मोदी से पहले राहुल बनाम इंडिया हो सकता है। 


केजरीवाल-ममता-नीतीश पर नजर 

अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी, नीतीश कुमार की पार्टी की ओर से लगातार यह दावा किया जाता रहा है कि इन नेताओं में प्रधानमंत्री बनने के सभी गुण हैं। कांग्रेस ने जब कहा कि उसे प्रधानमंत्री पद नहीं चाहिए, तब सब तृणमूल कांग्रेस ने ममता बनर्जी को लेकर अपनी दावेदारी ठोक दी। फिलहाल अंदर खाने में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के संयोजक बनने की रेस में सबसे आगे हैं। इसका मतलब साफ है एक कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री उम्मीदवार को लेकर अपनी दावेदारी मजबूत कर सकते हैं। आम आदमी पार्टी साफ तौर पर कहती रही है कि 2024 का चुनाव अरविंद केजरीवाल बनाम नरेंद्र मोदी होगा। गठबंधन में शामिल कुछ नेताओं को यह बात भी लग रहा था कि राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल नहीं होती है और उन्हें कोर्ट से राहत नहीं मिलती है तो उनके लिए रास्ते खुल जाएंगे। हालांकि राहुल गांधी को राहत पर मिल गई और सदस्यता भी बहाल हो जाएगी। ऐसे में विपक्ष के कई दूसरे दलों के लिए स्थिति सहज नहीं रहेगी। 

 

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INDIA पर नजर

ममता बनर्जी हो या फिर अरविंद केजरीवाल या कहीं और अन्य नेता समय-समय पर यह सभी राहुल गांधी की आलोचना करते रहे हैं। राहुल गांधी के अयोग्य घोषित होने और 2024 चुनाव को लेकर संशय की स्थिति होने के बाद ही सभी दल एक मंच पर आए थे। बीजेपी के खिलाफ हुंकार भर रहे थे। लेकिन अब परिस्थितियों में अंतर दिखेगा। नेताओं के बोल बदल सकते हैं। राजनीति में बिना स्वार्थ सिद्धि के कोई गठबंधन नहीं होता। नेता अपने बयानों में कुछ और कहते हैं लेकिन डील किसी और मुद्दे को लेकर करते हैं। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में इंडिया गठबंधन यूं ही एकजुट रहता है या फिर किसी प्रकार की उठापटक की संभावना बनती है। लेकिन इतना तो तय है कि राहुल गांधी की संसद में वापसी कई विपक्षी नेताओं के महत्वकांक्षी पर पानी फेर सकता है। राजनीति में ज्यादातर लोग महत्वाकांक्षा के लिए ही रहते हैं। यही तो प्रजातंत्र है।

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