राज्यपाल का पद महत्वपूर्ण, उन्हें संविधान के तहत काम करना चाहिए : Justice B V Nagarathna

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 31, 2024

हैदराबाद। पंजाब के राज्यपाल से जुड़े मामले का जिक्र करते हुए उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश बी.वी. नागरत्ना ने निर्वाचित विधायिकाओं द्वारा पारित विधेयकों को राज्यपालों द्वारा अनिश्चितकाल के लिए ठंडे बस्ते में डाले जाने की घटनाओं के प्रति आगाह किया है। न्यायमूर्ति नागरत्ना ने यहां एनएएलएसएआर (राष्ट्रीय कानूनी अध्ययन एवं अनुसंधान अकादमी) विधि विश्वविद्यालय में शनिवार को आयोजित ‘न्यायालय एवं संविधान सम्मेलन’ के पांचवें संस्करण के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए महाराष्ट्र विधानसभा के उस मामले को राज्यपाल द्वारा अपने अधिकारों से परे जाने का एक और उदाहरण बताया, जब सदन में शक्ति परीक्षण की घोषणा करने के लिए राज्यपाल के पास पर्याप्त सामग्री का अभाव था। 


उन्होंने कहा, ‘‘किसी राज्य के राज्यपाल के कार्यों या चूक को संवैधानिक अदालतों के समक्ष विचार के लिए लाना संविधान के तहत एक स्वस्थ प्रवृत्ति नहीं है।’’ न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि राज्यपालों को संविधान के अनुसार अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए ताकि इस प्रकार की मुकदमेबाजी कम हो सके। उन्होंने कहा कि राज्यपालों को किसी काम को करने या न करने के लिए कहा जाना काफी ‘‘शर्मनाक’’ है। न्यायमूर्ति नागरत्ना ने ये टिप्पणी ऐेसे समय में की है जब कुछ दिन पहले प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने द्रमुक (द्रविड़ मुनेत्र कषगम) नेता के. पोनमुडी को राज्य मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में फिर से शामिल करने से इनकार करने पर तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि के आचरण को लेकर ‘‘गंभीर चिंता’’ व्यक्त की थी। 


न्यायमूर्ति नागरत्ना ने नोटबंदी मामले पर अपनी असहमति को लेकर भी बात की। उन्होंने कहा कि उन्हें केंद्र सरकार के इस कदम के प्रति असहमति जतानी पड़ी क्योंकि 2016 में जब नोटबंदी की घोषणा की गई थी, तब 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोट कुल चलन वाली मुद्रा का 86 प्रतिशत थे और नोटबंदी के बाद इसमें से 98 प्रतिशत वापस आ गए। भारत सरकार ने अक्टूबर 2016 में 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोट को चलन से बाहर कर दिया था। 

 

इसे भी पढ़ें: ‘कलयुग का अमृतकाल’ है, अमृत कलश को बुरे लोगों के हाथ से वापस लाना होगा : Sitaram Yechury


न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा, ‘‘मेरे हिसाब से यह नोटबंदी पैसे को सफेद धन में बदलने का एक तरीका थी क्योंकि सबसे पहले 86 प्रतिशत मुद्रा को चलन से बाहर किया और फिर 98 प्रतिशत मुद्रा वापस आ गई और सफेद धन बन गई। सारा बेहिसाब धन बैंक में वापस चला गया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, मुझे लगा कि यह बेहिसाब नकदी का हिसाब-किताब करने का एक अच्छा तरीका था। आम आदमी की इस परेशानी ने मुझे वास्तव में परेशान कर दिया, इसलिए मुझे असहमति जतानी पड़ी।

प्रमुख खबरें

एक मौन तपस्वी श्रीयुत श्रीगोपाल जी व्यास का स्वर्गारोहण

बंगाल के मुख्यमंत्री बनेंगे अभिषेक बनर्जी? TMC में बदलाव के लिए ममता को सौंपा प्रस्ताव

BJP का आरोप, दिल्ली सरकार की मिलीभगत से हुआ डिस्कॉम घोटाला, शराब घोटाले से भी है बड़ा

Justin Trudeau की उलटी गिनती क्या शुरू हो गई है? मस्क ने बड़ी भविष्यवाणी यूं ही नहीं की