Prajatantra: 2024 की राह आसान नहीं, जीत के बाद भी BJP के सामने हैं कई बड़ी चुनौतियां

By अंकित सिंह | Dec 05, 2023

भाजपा ने हिंदी पट्टी के तीन राज्य मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनाव में जबरदस्त जीत हासिल की है। भाजपा ने जहां मध्य प्रदेश में अपनी सत्ता को बरकरार रखा है तो वहीं कांग्रेस को उसने छत्तीसगढ़ और राजस्थान से बेदखल किया है। 2024 के लिहाज से यह भाजपा की यह बड़ी जीत हैं। इस जीत का श्रेय पूरी तरीके से पीएम मोदी को दिया जा रहा है और कहीं ना कहीं दावा किया जा रहा है कि ब्रांड मोदी 2024 से पहले एक बार फिर से मजबूत हुआ है। हालांकि, इन तीनों ही राज्यों में बड़ी जीत के बावजूद भी भाजपा के लिए चुनौतियां अभी भी बरकरार है।

 

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2024 की अग्नि परीक्षा

जाहिर सी बात है कि इन नतीजों ने 2024 से पहले भाजपा के आत्मविश्वास को बढ़ा दिया है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान भाजपा के लिए 2024 की राह थोड़ी आसान हुई है। हालांकि भाजपा के लिए आने वाले तीन से चार महीने काफी चुनौती पूर्ण रह सकते हैं। इसका बड़ा कारण यह है कि मुख्यमंत्री को लेकर जो फैसला किया जाना है उसमें ऐसे नाम को आगे बढ़ाया जाए जो सभी को स्वीकार हो। इसके अलावा जो भी वादे किए गए हैं उसे जमीन पर उतारने की शुरूआत की जा सके। साथ ही साथ पार्टी के भीतर जिस तरह की एकता इन विधानसभा चुनावों के दौरान दिखी है वह लगातार बरकरार रहे। 


CM पर सस्पेंस जारी

राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में देखें तो सीएम को लेकर अभी भी सस्पेंस जारी है। नतीजे आए दो दिन हो गए हैं लेकिन अभी भी मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है। राजस्थान में मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा में टेंशन बढ़ती जा रही है। वसुंधरा राजे जहां अपनी ताकत दिखाने की कोशिश में हैं तो वही मुख्यमंत्री पद की रेस में गजेंद्र सिंह शेखावत, बाबा बालक नाथ, अर्जुन राम मेघवाल, दिया कुमारी जैसे नाम भी शामिल है। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव का भी नाम चर्चा में है। मध्य प्रदेश की बात करें तो जाहिर सी बात है कि वहां सीएम शिवराज सिंह चौहान को आगे नहीं किया गया था। लेकिन कहीं ना कहीं उन्होंने राज्य में पार्टी का पिछले 18 वर्षों से नेतृत्व किया है। ऐसे में उन्हें किनारे करना पार्टी के लिए आसान नहीं रहने वाला है। मध्य प्रदेश में नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, राकेश सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रहलाद सिंह पटेल भी मुख्यमंत्री पद की रेस है। छत्तीसगढ़ में भी मुख्यमंत्री का रेस दिलचस्प है। यहां रमन सिंह प्रबल दावेदारों में से जरूर हैं। लेकिन बृजमोहन अग्रवाल, रामविचार नेताम, अमर अग्रवाल, रेणुका सिंह, अरुण साव और ओपी चौधरी जैसे नाम की भी चर्चा तेज है।


वादों को पूरा करने की चुनौती

- मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा की ओर से लोक लुभावने वादे किए गए थे जिसे लोकसभा चुनाव से पहले पूरा करने की चुनौती होगी। मध्य प्रदेश में 450 रुपए में गैस सिलेंडर मुहैया कराना, गरीब परिवार की बच्चियों की 12वीं तक की पढ़ाई मुफ्त, हर महीने 100 यूनिट तक की बिजली सिर्फ ₹100 में, लाडली बहन योजना के तहत गरीब महिलाओं को हर महीने 1250 रुपए दिए जा रहे हैं, आने वाले समय में से 3000 तक करने का वादा किया गया है। किसान सम्मान के तहत ₹12000 देने की बात कही गई है। वहीं गेहूं की खरीद 2700 रुपए प्रति क्विंटल और चावल की खरीद 3100 रुपए प्रति क्विंटल खरीदने का भी वादा है। 


- छत्तीसगढ़ में महतारी वंदन स्कीम के तहत सालाना शादीशुदा महिलाओं को ₹12000 देने के वादा, किसानों को साल भर में 10000 रुपये देने की बात, 500 रुपये में सिलेंडर, छात्रों को हर महीने ट्रैवल एलाउंस और 2 साल में एक लाख सरकारी पदों को भरने का वादा है। 


- राजस्थान की बात करें तो यहां 450 रुपए में गैस सिलेंडर देने का वादा है। वहीं 5 साल में ढाई लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देने के बाद कही गई है। किसान सम्मन निधि के तहत मिलने वाली रकम को 12000 रुपये करने का वादा किया गया है। महिलाओं को लेकर कानून व्यवस्था दुरुस्त करने और एंटी रोमियो स्क्वायड के गठन करने की बात है। 12वीं की परीक्षा पास करने वाली मेधावी लड़कियों को फ्री स्कूटी देने की भी बात कही गई है। वहीं, गरीब परिवार की लड़कियों के लिए केजी से लेकर पीजी तक की मुफ्त शिक्षा का वादा किया गया है।

 

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी जीत के बाद कहा था कि जहां सभी गारंटी खत्म होती है, वहां से मोदी की गारंटी शुरू होती है। भाजपा की ओर से दावा किया जाता है कि मोदी की गारंटी है तो वह हर हाल में पूरी होगी। अपने घोषणा पत्र को भाजपा की ओर से मोदी की गारंटी बताया गया था। ऐसे में जनता ने इन गारंटीयों पर विश्वास करके भाजपा को वोट दिया है। भाजपा के समक्ष इन्हें पूरा करने की चुनौती है। वरना जनता 2024 में सबक सिखा सकती है। यही तो प्रजातंत्र है।

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