By अनन्या मिश्रा | Dec 25, 2024
आज ही के दिन यानी की 25 दिसंबर को भारत के सातवें राष्ट्रपति रहे ज्ञानी ज़ैल सिंह का निधन हो गया था। वह पहले सिख राष्ट्रपति थे और ज्ञानी जैल सिंह का जीवन भारतीय राजनीति के महत्वपूर्ण मोड़ और घटनाओं से जुड़ा रहा। उनके राष्ट्रपति रहते हुए कई ऐसी ऐतिहासिक घटनाएं घटीं, जैसे ऑपरेशन ब्लू स्टार, तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी की हत्या और साल 1984 में सिख विरोधी दंगे। ज्ञानी जैल सिंह का जीवन एक संघर्ष और बलिदान की कहानी है। जो उनके देश प्रेम और धर्म के प्रति समर्पण को दर्शाता है। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर ज्ञानी जैल सिंह के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और परिवार
फरीदकोट राज्य के संघवान गांव में 05 मई 1916 को ज्ञानी जैल सिंह का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम किशन सिंह और मां का नाम इंद्रा कौर था। देश के विभाजन के बाद उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की। साल 1947 के बाद उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ज्वॉइन किया और सिख समुदाय की भलाई के लिए काम करे लगे।
पंजाब के सीएम
इसके बाद साल 1949 में पंजाब सरकार में ज्ञानी जैल सिंह को मंत्री नियुक्त किया गया और फिर उन्होंने कृषि मंत्रालय संभाला। फिर साल 1972 में वह पंजाब के मुख्यमंत्री बनें। इस कार्यकाल में उन्होंने पंजाब के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने सिख धार्मिक सभाओं का आयोजन किया और गुरु गोबिंद सिंह के नाम पर राजमार्ग और बस्तियां बनवाई थीं। वहीं यह समय ज्ञानी जैल सिंह द्वारा सिख धार्मिक जागरुकता और संस्कृति के पुनर्निर्माण का काम था।
देश के राष्ट्रपति बनने का सफर
साल 1982 में कांग्रेस पार्टी ने ज्ञानी जैल सिंह को भारत का राष्ट्रपति बनने के लिए चुना। लेकिन कुछ लोगों को ऐसा महसूस हुआ कि उनको इस पद पर तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी के प्रति वफादारी के लिए चुना गया था। वहीं उन्होंने खुद कहा था कि 'अगर मेरे नेता उनको झाड़ू उठाने के लिए कहते, तो वह वही करते।' ज्ञानी जैल सिंह के राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने महात्मा गांधी को राज्य के मामलों की जानकारी दी और उन पर विशेष ध्यान दिया।
ऑपरेशन ब्लू स्टार और सिख विरोधी दंगे
बता दें कि ज्ञानी जैल सिंह के राष्ट्रपति बनने के बाद साल 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार हुआ, जोकि स्वर्ण मंदिर यानी गोल्डेन टेंपल पर भारतीय सेना द्वारा किए गए हमले का नाम था। इस ऑपरेशन ने सिख समुदाय के लोगों को गहरे जख्म दिए थे। इस दौरान भारतीय सेना ने पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर परिसर में छिपे आतंकवादियों को बाहर जून 1984 में इस ऑपरेशन को चलाया गया था। फिर साल 1984 में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगे भड़के। जोकि जैल सिंह के लिए व्यक्तिगत और राजनैतिक चुनौती बनकर उभरे। हालांकि इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा नहीं दिया।
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उनके बेटे राजीव गांधी देश के अगले प्रधानमंत्री बनें। राजीव गांधी को प्रधानमंत्री बनाने में ज्ञानी जैल सिंह ने अहम भूमिका निभाई। फिर उन्होंने भारतीय डाकघर विधेयक पर पॉकेट वीटो का प्रयोग किया और प्रेस की स्वतंत्रता पर भी कड़ा प्रतिबंध लगाया। इस कारण भी उनको काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
मृत्यु
वहीं 25 दिसंबर 1994 को ज्ञानी जैल सिंह की एक कार दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।