नयी दिल्ली। बल्लेबाजी के बादशाह सचिन तेंदुलकर के लिये अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपने 100 शतकों में सबसे मुश्किल शतक आज से ठीक आठ साल पहले शेरे ए बांग्ला स्टेडयिम में लगाया गया वह सैकड़ा था जिसके साथ उन्होंने महाशतक पूरा करके क्रिकेट इतिहास में नया अध्याय लिखा था।
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तेंदुलकर ने इस शतक के लिये पूरे एक साल चार दिन तक इंतजार किया था। अपने करियर में किसी भी शतक के लिये उन्हें इतना लंबा इंतजार नहीं करना पड़ा था। इससे पहले एक बार वह 315 दिन तक शतक नहीं लगा पाये थे लेकिन 99वें से 100वें शतक तक पहुंचने का इंतजार क्रिकेट जगत में चर्चा का विषय बन गया था और इसलिए इस स्टार क्रिकेटर ने इसे अपने सभी शतकों में मुश्किल शतक करार दिया था।
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एशिया कप में बांग्लादेश के खिलाफ 16 मार्च 2012 को ढाका में तेंदुलकर के बल्ले से वह पारी निकल गयी जिसकी धमक पूरी दुनिया में सुनायी दी थी। तेंदुलकर ने 114 रन बनाये थे जिससे इस बल्लेबाज के साथ क्रिकेट प्रेमियों ने भी राहत की सांस ली थी। तेंदुलकर ने यह शतक जड़ने के बाद कहा था, यह मेरे सभी शतकों में से सबसे मुश्किल शतक था, क्योंकि मैं कहीं भी जाता लोग इसी की चर्चा करते। कोई भी मेरे 99 शतकों के बारे में बात नहीं करता। असल में तेंदुलकर ने अपना 99वां शतक 12 मार्च 2011 को विश्व कप के दौरान दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ लगाया था। इसके बाद कम से कम छह अवसर ऐसे आये जबकि वह शतक के करीब पहुंचे लेकिन इंतजार खत्म नहीं कर पाये थे। इनमें से दो बार तो वह नर्वस नाइंटीज के शिकार बने थे।
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विश्व कप 2011 में ही पाकिस्तान के खिलाफ मोहाली में सेमीफाइनल में तेंदुलकर ने क्रिकेट प्रेमियों की धड़कनें बढ़ा दी थी लेकिन जब वह 85 रन पर खेल रहे थे तब सईद अजमल की गेंद पर शाहिद अफरीदी ने उनका कैच लपक दिया था। तेंदुलकर पूरी तरह फिट होने के कारण वेस्टइंडीज दौरे पर नहीं जा पाये थे लेकिन इंग्लैंड दौरे पर उनके पास शतक जड़ने का बेहतरीन मौका था। उस श्रृंखला में राहुल द्रविड़ को छोड़कर कोई भी भारतीय बल्लेबाज नहीं चल पाया था।
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तेंदुलकर केवल ओवल में खेले गये चौथे टेस्ट में लय में दिखायी दिये। मैच के चौथे दिन तेंदुलकर 35 रन पर खेल रहे थे और अगले दिन जब वह केविन पीटरसन की गेंद पर चौका जड़कर 90 रन के पार पहुंचे तो सभी की जुबान पर महाशतक था। लेकिन तभी टिम ब्रेसनन की अंदर आती गेंद पर वह पगबाधा आउट हो गये। वेस्टइंडीज के खिलाफ तेंदुलकर दिल्ली में 76 और अपने घरेलू मैदान मुंबई में 94 रन बनाकर आउट हुए थे। इसके बाद जब भारतीय टीम आस्ट्रेलिया दौरे पर गयी तो क्रिकेट आस्ट्रेलिया ने 100वें शतक के सम्मान के लिये विशेष ट्राफी तैयार की थी। तेंदुलकर जहां जाते वहां ट्राफी जाती लेकिन यह बल्लेबाजी का बादशाह केवल मेलबर्न (73) और सिडनी (80) में ही उम्मीद जगा पाया था।
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एशिया कप के लिये जब तेंदुलकर बांग्लादेश गये तो उन्होंने अपना हेयर स्टाइल बदल दिया था जिसे उनके शतक और अंधविश्वास से जोड़ा गया था। श्रीलंका के खिलाफ पहले मैच में तेंदुलकर छह रन ही बना पाये थे लेकिन बांग्लादेश के खिलाफ वह क्रीज पर टिके रहे और शतक पूरा करने में सफल रहे थे जो क्रिकेट इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण शतकों में शामिल हो गया था। यह वही दिन था जब भारत के तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने लोकसभा में बजट पेश किया था लेकिन शाम तक बजट नेपथ्य में चला गया था। यह संभवत: पहला अवसर था जबकि कोई क्रिकेटिया घटना बजट पर हावी हो गयी थी। तेंदुलकर ने तब युवाओं को विशेष संदेश दिया था। उन्होंने कहा था, हमेशा खेल का आनंद लो, सपनो का पीछा करो, सपने पूरे होते हैं। मैंने भी 22 वर्ष विश्व कप के लिये इंतजार किया था और मेरा सपना पूरा हुआ था।