रेगिस्तान का जिक्र होते है अक्सर लोगों को राजस्थान की याद आ जाती है, लेकिन सिर्फ राजस्थान ही नहीं, बल्कि गुजरात के कच्छ में भी रेगिस्तान हैं, हालांकि यह सफेद रेगिस्तान रेत का नहीं, बल्कि नमक का है। दरअसल कच्छ एक द्वीप है जो भारत की मुख्यभूमि से अलग है। कच्छ और मुख्यभूमि के बीच समुद्र का छोटा सा हिस्सा आता है जो बारिश के मौसम के बाद पूरी तरह से सूख जाता है और फिर यहां चारों तरफ दिखती है सफेद जमीन, जो नमक होता है। इसे ही कच्छ का र कहते हैं। यहां पर दो रण है एक बड़ा और दूसरा छोटा रण।
गुजरात आने के बाद अनोखे अनुभव के लिए द ग्रेट रण ऑफ कच्छ की सैर अवश्य करें। यहां का रण उत्सव पूरी दुनिया में मशहूर है। हर साल नवंबर से फरवरी के बीच रण महोत्सव मनाया जाता है। यह उत्सव धोरडो नामक गांव में होता है। रण उत्सव में कला, संस्कृति, संगीत का अनोखा संगम दिखेगा। इस उत्सव में देश ही नहीं दुनिया भर से लोग हिस्सा लेने आते हैं। नमक के इस रेगिस्तान में आप ऊंट की सवारी का भी लुत्फ उठा सकते हैं। द ग्रेट रण ऑफ कच्छ का उत्सव तो वर्ल्ड फेमस है ही इसके अलावा आप यहां कि कुछ खास खास जगहों की सैर भी कर सकते हैं।
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गिर वन राष्ट्रीय उद्यान
वन्य जीवों से प्यार है तो आप यहां ज़रूर जाएं, खासतौर पर बच्चों को यह जगह बहुत पसंद आएगी। गिर वन राष्ट्रीय उद्यान 'बाघ संरक्षित क्षेत्र' है, जो 'एशियाई बब्बर शेर' के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। यहां कई तरह के वन्य जीव देखे जा सकते हैं। यह वाइल्ड लाइफ सेंचुरी करीब 1424 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है। जानवरों के साथ ही यहां कई तरह के फूल, पक्षी आदि देखे जा सकते हैं।
द्वारका
यह मशहूर तीर्थ स्थलों में से एक है। गुजरात का द्वारकापूरी तीर्थ मोक्ष प्राप्ति के लिए जाना जाता है। कहा जाता है कि श्री कृष्ण कहने पर विश्वकर्मा ने इस जगह को बनाया था। यह जगह बहुत सुंदर है।
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सोमनाथ
पूरे गुजरात में एक से बढ़कर एक मंदिर है। कच्छ का सोमनाथ मंदिर अपनी कलात्मक शैली और नक्काशी के लिए पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। इस भव्य मंदिर को भगवान शिव का बारहवां ज्योतिर्लिंग माना जाता है।
भुज
यदि आपको हैंडीक्राफ्ट का शौक है, तो भुज ज़रूर जाएं। यहां ठप्पे की छपाई का कपड़ा, बंधेज, चांदी का सामान और कढ़ाई वाले कपड़ों के साथ ही आपको कच्छी हस्तशिल्प भी देखने को मिलेगा। यहां आकर कलाकारों से मिलने के साथ ही आपको हैंडीक्राफ्ट प्रदर्शनी भी देखने को मिलेगी।
- कंचन सिंह