मुम्बई। फिल्म ‘कबीर सिंह’में एक गुस्सैल व्यक्ति का किरदार निभाने वाले शाहिद कपूर का कहना है कि अगर दर्शक केवल अच्छे किरदार देखना चाहते हैं तो सिनेमा के लिए लंबा सफर तय कर पाना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि सिनेमा परिपूर्ण लोगों की बजाय सच्चाई से बिना लाग-लपेट के कहानी बयां करने का माध्यम है। ‘कबीर सिंह’संदीप रेड्डी वंगा द्वारा निर्देशित तेलुगू फिल्म ‘अर्जुन रेड्डी’ की रीमेक है। इसका निर्देशन भी संदीप ने ही किया है। फिल्म ‘अर्जुन रेड्डी’ के 2017 में रिलीज होने के बाद ही फिल्म में हीरो के गुस्सैल किरदार, महिलाओं और अन्य व्यक्तियों को गाली देने और गुस्से को हथियार की तरह इस्तेमाल करने की काफी आलोचना की गई थी।
आलोचनाओं पर सवाल किए जाने पर निर्देशक ने पत्रकारों से कहा, ‘‘ गुस्सा एक विशेष गुण है। गुस्से को हथियार की तरह इस्तेमाल किए जाने में कोई खराबी नहीं है। इसे जैसे चाहें वैसे इस्तेमाल कर सकते हैं। मुझे नहीं लगता कि तेलुगू फिल्म को लेकर समीक्षकों की राय मेरे दिमाग में कहीं भी थी।’’ शाहिद ने कहा कि हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनी फिल्मों को देखते हैं और फिर उनकी सच्चाई और तथ्यों की सराहना करते हैं। सिनेमा अलग-अलग लोगों को प्रस्तुत किए जाने का माध्यम है। यह बेहतरीन और परिपूर्ण लोगों के लिए नहीं है। मुझे लगता है कि अपने आप में हम सब परिपूर्ण हैं। हम सबमें कुछ बुराइयां हैं और हम सब अच्छे बुरे समय का सामना करते हैं।
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शाहिद ने फिल्म ‘कबीर सिंह’ को यू/ए प्रमाणपत्र मिलने की उम्मीद भी व्यक्त की। उन्होंने कहा, ‘‘ हम उम्मीद कर रह हैं कि फिल्म को यू/ए प्रमाणपत्र मिलेगा। हमें नहीं पता कि मिलेगा या नहीं। हमारा मानना है कि कोई ऐसा कारण नहीं है कि हमें यू/ए प्रमाणपत्र ना मिले। मेरा मानना हे कि आज यह महत्वपूर्ण है कि हम बिना लाग लपेट के सच्चाई से कहानी बयां कर पाएं।’’