By नीरज कुमार दुबे | Aug 06, 2024
बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार का तख्तापलट हो गया और कई मामलों में दोषी ठहराये जाने के बाद से अपने घर में नजरबंद खालिदा जिया की रिहाई का आदेश भी आ गया। यदि आप बांग्लादेश में हाल में घटी सारी घटनाओं की कड़ियों को जोड़ेंगे तो पाएंगे कि यह सब कुछ तय पटकथा के हिसाब से हुआ है। इसलिए शेख हसीना सरकार का जाना और खालिदा जिया का कैद से बाहर आना भारत के लिए चिंताजनक खबर है। पहले ही डुरंड लाइन के नाम से मशहूर भारत और अफगानिस्तान सीमा तथा पाकिस्तान व चीन से लगती सीमाओं पर हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं और अब बांग्लादेश से लगती सीमाओं पर भी सुरक्षा हालात चुनौतीपूर्ण हो गये हैं। बांग्लादेश में जो घटनाक्रम घटा है यदि उसे आप भारत के परिप्रेक्ष्य में देखेंगे तो पाएंगे कि हमें घेरने के लिए चीन और पाकिस्तान जो प्रयास लंबे अर्से से कर रहे थे उसमें वह कुछ हद तक कामयाब हो गये हैं।
दरअसल विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत करता और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ता हिंदुस्तान हमारे दुश्मनों को नहीं भा रहा है। इसलिए भारत में अशांति फैलाने के लिए तमाम प्रयास किये जाते हैं। दुश्मनों को लगता है कि भारत ने आतंक और उग्रवाद पर काबू पाने में जो सफलता पाई है कैसे उसे विफल करा जाये। इसके लिए वह तमाम तरह के हथकंडे अपनाते रहते हैं और सीधी लड़ाई से बचते हुए दायें या बायें से वार करना चाहते हैं।
दुश्मन को जम्मू-कश्मीर की शांति और पूर्वोत्तर क्षेत्र की प्रगति नहीं भा रही है। दुश्मनों ने जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में आतंक और उग्रवाद को हवा देने के लिए तथा भारत को इस दंश से जूझने के लिए जो कड़ी मेहतन की थी उस पर पिछले दस सालों में पानी फेर दिया गया है। जम्मू-कश्मीर में आतंकी कमांडरों और अलगाववादियों का सफाया हो चुका है। पूर्वोत्तर क्षेत्र भी अपेक्षाकृत शांत हो गया है। वहां के कई उग्रवादी संगठन सरकार से समझौता कर मुख्यधारा के जीवन में लौट आये हैं। उग्रवादी और आतंकी संगठनों को मिलने वाली टैरर फंडिंग पर भी रोक लग गयी है। जाहिर है यह सब पाकिस्तान और चीन को नहीं भा रहा था। खासतौर पर शेख हसीना के कार्यकाल में जिस तरह बांग्लादेश सरकार भारत को वरीयता देती थी उससे भी चीन नाखुश रहता था। ऐसे में चीन इस ताक में था कि कैसे इस स्थिति को बदला जाये। चीन को परेशान देख पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने मदद के लिए प्रस्ताव रखा और फिर योजनाबद्ध तरीकों से चीजों को आगे बढ़ाया गया।
बताया जा रहा है कि हाल के दिनों में बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी से जुड़े छात्र संगठन इस्लामी छात्र शिबिर (आईसीएस) को पाकिस्तान में काम कर रही कुछ चीनी कंपनियों की ओर से फंडिंग भी दी गयी थी। इन पैसों का इस्तेमाल बांग्लादेश सरकार के खिलाफ जनभावनाएं भड़काने और छात्रों का आंदोलन खड़ा करने में किया गया था। बताया जा रहा है कि चीन और आईएसआई की मिलीभगत से यह तय किया गया था कि बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार को गिराने के लिए कब क्या किया जाना है। इस्लामी छात्र शिबिर आईएसआई के बेहद नजदीकी माने जाने वाले देवबंदी आतंकी समूह हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी (हूजी) के साथ काम रहा था।
बताया यह भी जा रहा है कि भारतीय खुफिया एजेंसियां लंबे समय से इस्लामी छात्र शिबिर की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए थीं क्योंकि उन्हें खबर लगी थी कि भारत विरोधी एजेंडा आगे बढ़ाने की रणनीति बनाई जा रही है। बताया यह भी जा रहा है कि इस्लामी छात्र शिबिर के कुछ सदस्यों को पाकिस्तान और अफगानिस्तान में प्रशिक्षण भी दिलाया गया था। इस संबंध में कुछ वीडियो भी हाल के दिनों में खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों के हाथ लगे थे। बताया जा रहा है कि इन सबका एकमात्र उद्देश्य यही है कि बांग्लादेश में भी अफगानिस्तान के तालिबान जैसी सरकार बनाई जा सके। इस संबंध में आईएसआई ने पूरी मदद और समर्थन का भरोसा भी इस्लामी छात्र शिबिर को दिलाया था। यह सारे समूह चाहते थे कि दिन पर दिन जिस तरह भारत और बांग्लादेश के संबंध प्रगाढ़ होते जा रहे हैं उसको नुकसान पहुँचाया जा सके। चीन भी देख रहा था कि जिस तरह बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना विभिन्न मुद्दों पर चीन को वरीयता देने की बजाय भारत के साथ खड़ी हो जाती हैं उस स्थिति से तभी छुटकारा मिल सकता है जब बांग्लादेश में पाकिस्तान समर्थित सरकार बन जाये।
जहां तक बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बीएनपी की बात है तो उसने कभी भी भारत विरोधी रवैया अख्तियार करने का मौका नहीं गंवाया। बताया जा रहा है कि बीएनपी के कार्यकर्ताओं ने इस्लामी छात्र शिबिर के साथ मिलकर सरकार विरोधी आंदोलन को हवा दी और आखिरकार अपने लक्ष्य को हासिल करने में सफल रहे। इसके अलावा, बांग्लादेश सेना जिस तरह कट्टरपंथियों के आगे घुटने टेकती दिख रही है और देश को अराजकतावादियों के हाथों में जाते देख रही है उससे भारत की चिंता बढ़ना स्वाभाविक है।
बहरहाल, भारत को बांग्लादेश में हिंदुओं और हिंदू मंदिरों पर बढ़ते हमले रोकने की दिशा में कदम उठाने के अलावा पूर्वोत्तर क्षेत्र पर विशेष निगाह रखनी होगी। यहां किसी भी राज्य में सरकार विरोधी आंदोलन को अगर हवा दी जाती है तो उसे तत्काल थामना होगा। दरअसल, पूर्वोत्तर क्षेत्र में भारत ने शांति को स्थापित करने के लिए जो मेहनत की है उसको बाधित करने के लिए उग्रवादी संगठन और कट्टरपंथी एड़ी चोटी का जोर लगाएंगे इसलिए बहुत सतर्क रहना होगा। साथ ही, पिछले कुछ वर्षों में भारत ने बांग्लादेश से होने वाली घुसपैठ, नशीली दवाओं और मानव तस्करी पर लगाम लगाने और नकली मुद्रा से संबंधित मुद्दों के समाधान की दिशा में जो सफलता प्राप्त की है, उसे भी विफल करने के प्रयास किये जायेंगे। इसलिए सावधान रहने की जरूरत है।