बचपन में कहते थे कि जमीन को खोदो तो दूसरी तरफ अमेरिका में निकलोगे। दुनिया तो गोल है लेकिन मैप को जूम कर देखें तो अमेरिका एकदम पश्चिम में नजर आता है। आज बात उसी अमेरिका के लोकतांत्रिक पहलू और वहां के चुनाव की करेंगे। अमेरिका का संविधान तो बेशक सबसे पुराना है लेकिन यहां पर राष्ट्रपति से लेकर राज्य और सेनेट यानी उपरी सदन के सदस्यों तक के चुनाव की प्रक्रिया अर्जित यानी धीरे धीरे विकसित हुई है। अमेरिकी लोकतंत्र की नींव रखने वाले यानी फाउंडिंग फादर्स पार्टी पॉलिटिक्स के खिलाफ थे। इसी के चलते अमेरिका के पहले राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन भी किसी पार्टी विशेष के सदस्य नहीं थे। अमेरिका के गणतंत्र में जनता का लोकप्रिय समर्थन पाने को बहुत अहमियत दी गई है। इलेक्शन में भी पॉपुलर मैंडेट पाने पर जोर दिया गया है। अब जब चुनाव को जरूरी मान लिया गया तो राजनीतिक पार्टियां भी सामने आ गई।
फेडरलिस्ट पार्टी
ये नए नवेले अमेरिकी संविधान को अपानाना चाहती थी। दूसरी पार्टी आई डेमोक्रेटिक रिपब्लिकन पार्टी जिसे एंटी फेडरलिस्ट पार्टी भी कहा गया। ये एक ताकतवर सरकार के खिलाफ थी और राज्यों को ज्यादा अधिकार देना चाहती थी। अमेरिका के पहले राष्ट्रपति भले ही निर्दलीय थे लेकिन दूसरे राष्ट्रपति जॉन एडम्स इसी फेडरलिस्ट पार्टी के थे। 1798 से 1801 तक वो राष्ट्रपति रहे। बाकी के चार राष्ट्रपति डेमोक्रेटिक रिपब्लिकन ने दिए। 1815 में फेडरलिस्ट पार्टी भंग कर दी गई। 1824 के राष्ट्रपति चुनाव में ज्यादातर कैंडिडेट डेमोक्रेटिक रिपब्लिकन पार्टी के थे। भारत में कल्पना करके देखें तो एक दौर में जब केवल कांग्रेस का ही एक तरफा शासन था। नतीजा मोदी-राहुल एक ही टीम के लिए खेल रहे हो जैसा आया, मतलब राष्ट्रपति भी उसी पार्टी का चुना गया और रनर अप भी।
एडम्स और जैक्सन मैन
इस चुनाव में जॉन क्विंसी एडम्स की जीत हुई। रनर अप एंड्रयू जैक्सन रहे। लेकिन फिर पार्टी दो गुटों में बंट गई। एक गुट राष्ट्रपति जॉन क्विंसी एडम्स का समर्थन करने लगा तो दूसरा एंड्रयू जैक्सन का। इन गुटों को एडम्स और जैक्सन मैन कहा जाने लगा। 1828 में फिर दोनों नेता आमने सामने थे। लेकिन अबकी बार एंड्रयू जैक्सन नई पार्टी डेमोक्रेटिक से लड़े तो वहीं जॉन क्विंसी नेशनल रिपब्लिकन पार्टी से मैदान में रहे। इस बार नतीजे पिछले बार के ठीक उलट रहे। एंड्रयू जैक्सन डेमोक्रेटिक पार्टी से पहले राष्ट्रपति बने। जॉन क्विंसी एडम्स वाली नेशनल रिपब्लिकन आगे चलकर विग पार्टी बन गई। भारत के जनसंघ से बीजेपी तक के सफर के तौर पर इसे देख सकते हैं। विग पार्टी ने भी अपने कार्यकाल में चार राष्ट्रपति अमेरिका को दिए।