India's federal structure Part 3 | भारतीय संघ की वो विशेषताएं, जो आपको पता होना चाहिए| Teh Tak

By अभिनय आकाश | Aug 28, 2024

हम सब भारत के संविधान की कसमें तो खूब खाते हैं या लोगों को खाते हुए सुनते हैं। पर क्या आपने संविधान देखा है? अगर कोई फोटो वगैरह में देखा भी हो तो एक चीज तो आपको पता ही होगी की अपना संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है। सोने पर सुहागा ये कि पूरा संविधान हिंदी और अंग्रेजी में लिखा गया। हाथों से कैरीग्राफ किया गया, न कोई प्रिटिंग हुई और न कोई टाइपिंग। आजादी के बाद से भारत में संघवाद का विकास गतिशील रहा है और इसकी जांच विभिन्न चरणों में की जा सकती है, जैसे कि आंतरिक-पार्टी संघवाद, बहुदलीय संघवाद, सहकारी संघवाद, प्रतिस्पर्धी संघवाद आदि इत्यादि।  

इसे भी पढ़ें: India's federal structurePart 2 | फेडरल स्ट्रक्चर में कैसे किया गया है जिम्मेदारियों का बंटवारा | Teh Tak

भारत में संघवाद 

भारत एक एकात्मक सरकार की ओर झुकाव के साथ एक संघीय प्रणाली के रूप में कार्य करता है। अक्सर अर्ध-संघीय प्रणाली मानी जाती है, यह संघीय और एकात्मक दोनों प्रणालियों की विशेषताओं को समाहित करती है। जबकि "फेडरेशन" शब्द संविधान में अनुपस्थित है, संघीय तत्वों को 1919 में भारत सरकार अधिनियम के माध्यम से पेश किया गया था। 

भारतीय संघ की संघीय विशेषताएं 

1. दो स्तरों पर सरकारें: केंद्र और राज्य दोनों सरकारें सह-अस्तित्व में हैं। 

2. शक्तियों का विभाजन: सातवीं अनुसूची में तीन सूचियाँ संघ, राज्य और समवर्ती सूचियों में विषयों का आवंटन करती हैं। 

3. संविधान की सर्वोच्चता: भारत में संविधान सर्वोच्च कानून है, जिसे न्यायपालिका द्वारा बरकरार रखा जाता है। 

4. स्वतंत्र न्यायपालिका: शिखर पर सर्वोच्च न्यायालय के साथ एकीकृत न्यायपालिका संरचना। 

भारतीय संघ की एकात्मक विशेषताएं 

1. संविधान का लचीलापन: लचीलेपन और कठोरता का मिश्रण; कुछ प्रावधानों में आसानी से संशोधन किया जा सकता है। 

2. केंद्र के पास अधिक शक्ति: संविधान संघ सूची को अधिक शक्तियाँ प्रदान करता है, जिससे संसद को कुछ मामलों में राज्य के कानूनों को खत्म करने की अनुमति मिलती है। 

3. राज्यसभा में असमान प्रतिनिधित्व: राज्यों का प्रतिनिधित्व जनसंख्या पर आधारित है, जो एक आदर्श संघीय प्रणाली में समान प्रतिनिधित्व से भिन्न है। 

4. विधानमंडल के भाग के रूप में कार्यपालिका: केंद्र और राज्य दोनों कार्यपालिकाएँ अपने-अपने विधानमंडल का भाग हैं। 

5. लोकसभा का प्रभुत्व: लोकसभा के पास राज्यसभा से अधिक शक्तियाँ हैं। 

6. आपातकालीन शक्तियाँ: आपातकाल के दौरान केंद्र सरकार का राज्यों पर नियंत्रण बढ़ जाता है, जिससे राज्य की स्वायत्तता प्रभावित होती है। 

7. एकीकृत न्यायपालिका: न्यायपालिका एक एकल, एकीकृत इकाई के रूप में कार्य करती है। 

8. एकल नागरिकता: नागरिकों के पास केवल राष्ट्रीय नागरिकता होती है, जो एकता की भावना को बढ़ावा देती है। 

9. राज्यपाल की नियुक्ति: राज्यपालों की नियुक्ति केंद्र द्वारा की जाती है, राज्य सरकार द्वारा नहीं। 

10. नए राज्यों का गठन: संसद के पास राज्य क्षेत्रों और नामों को बदलने का अधिकार है। 

11. अखिल भारतीय सेवाएँ: आईएएस और आईपीएस जैसी सेवाओं के माध्यम से राज्य की कार्यकारी शक्तियों में केंद्रीय हस्तक्षेप। 

12. एकीकृत चुनाव मशीनरी: चुनाव आयोग केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर चुनाव कराता है। 

13. राज्य विधेयकों पर वीटो: राष्ट्रपति कुछ राज्य विधेयकों पर पूर्ण वीटो शक्ति का प्रयोग कर सकता है। 

14. एकीकृत ऑडिट मशीनरी: राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त CAG, केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर खातों का ऑडिट करता है। 

15. प्रमुख अधिकारियों को हटाने की शक्ति: राज्य स्तर पर कुछ प्रमुख अधिकारियों को राज्य सरकारों द्वारा नहीं हटाया जा सकता है, जो संघवाद सिद्धांतों से विचलन दर्शाता है।

इसे भी पढ़ें: India's federal structure Part 4 | क्या है नीति आयोग , क्या होता है इसका काम | Teh Tak

 


प्रमुख खबरें

दोस्त इजरायल के लिए भारत ने कर दिया बड़ा काम, देखते रह गए 193 देश

Nawada Fire: CM Nitish के निर्देश के बाद पुसिल का एक्शन, 16 लोगों को किया गिरफ्तार, पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग

Ukraine पहुंचे भारत के हथियार, रूस हो गया इससे नाराज, विदेश मंत्रालय ने मीडिया रिपोर्ट को बताया भ्रामक

Waqf Board case: आप विधायक अमानतुल्लाह खान की याचिका, दिल्ली हाईकोर्ट ने ईडी से रिपोर्ट मांगी