देश की राजधानी दिल्ली से करीब 643 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जम्मू कश्मीर का अमर पैलेस- "मैं महाराजा हरि सिंह जम्मू और कश्मीर को हिंदुस्तान में शामिल होने का ऐलान करता हूं।" इन लफ्जों के साथ महाराजा ने अपनी रियासत को हिंदुस्तान में शामिल होने के लिए एग्रीमेंट पर साइन कर दिया। इन शब्दों के साथ ही जम्मू और कश्मीर का मसला हमेशा के लिए खत्म हो जाना चाहिए। लेकिन ऐसा हुआ नहीं और ऐसा क्यों नहीं हुआ?
ये वही पीओके है जिसे लेकर देश की संसद से लेकर संयुक्त राष्ट्र तक भारत शपथ ले चुका है। भारत साफ कर चुका है कि पीओके खाली करो। पूरा कश्मीर भारत का था और अब भारत का होगा। पाकिस्तान को इस बात में कोई संदेह नहीं है कि भारत की पारंपरिक युद्ध शक्ति उसकी अपनी पारंपरिक युद्ध शक्ति से बेहतर है। यदि भारतीय सेना पीओके पर हमला करती है, तो पाकिस्तान निश्चित रूप से अंतर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी) और एलओसी के अन्य हिस्सों पर मोर्चा खोलेगा और हमारी हिमालयी सीमाओं पर अतिरिक्त मोर्चे खोलने और अक्षम करने वाले साइबर हमले करने के लिए चीन को भी संघर्ष में शामिल करेगा। ये भारत के लिए सैन्य और आर्थिक रूप से थका देने वाला हो सकता है। इसके अलावा, हताशा में पाकिस्तान परमाणु हथियार भी बना सकता है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पहले से ही यूक्रेन पर रूस के हमले से जुड़ा हुआ है।
पीओके की ‘भारत वापसी’ की पक्की वजह
पाकिस्तान की कमजोर सत्ता- आर्थिक बदहाली के साथ ही मुल्क अब राजनीतिक अस्थिरता भी झेल रहा है। वहां राजनेता और सेना के बीच मतभेद भी हालिया दिनों में खुलकर सामने आए हैं।
पीओके के हाला- अवैध कब्जे वाले इलाके में सेना की बर्बरता की खबरें लगातार आती रही हैं। वहीं पीओके की जनता की तरफ से खुलकर भारत से मदद की गुहार वाली अपील भी सामने आती रही है।
अलग-थलग पाकिस्तान- कोई देश खुलकर पाकिस्तान के साथ खड़ा नहीं है। भारत के अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के बाद अरब देश और इस्लामिक मुल्कों की तरफ से उसे अपेक्षाकृत सहयोग मिलने की उम्मीद न के बराबर है।
भारत की तैयारी- देश की संसद से गृह मंत्री का बयान हो या संयुक्त राष्ट्र में सार्वजनिक रूप से ऐलान। अवैध कब्जे को लेकर भारत अपनी स्थिति साफ कर चुका है।
जम्मू कश्मीर के बदलते हालात- धारा 370 के खात्मे के साथ ही घाटी में तरक्करी की राह सुनिश्चित हो रही है। इससे भी पीओके के लोगों की उम्मीदें भारत को लेकर बढ़ी हैं।
गंभीर राजनयिक स्थितियां
भले ही भारत एक तेज़ सैन्य अभियान द्वारा पीओके पर कब्जा कर लेता है, इस क्षेत्र को पाकिस्तानी जवाबी हमलों और शत्रुतापूर्ण आबादी के खिलाफ रखता है और चीन को खाड़ी में रखता है, इसके लिए अप्रभावी सैन्य और आर्थिक लागत आएगी और गंभीर राजनयिक स्थितियां पैदा होंगी। भारतीय सेना को वापस बुलाने के लिए भारत को पहले पीओके में भारत समर्थक नागरिक प्रशासन स्थापित करना होगा, जो असंभव नहीं तो एक कठिन प्रस्ताव है। जम्मू संभाग के पूर्वी जिलों में हिंदू बहुसंख्यक आबादी सांस्कृतिक रूप से हिमाचल प्रदेश की ओर झुकी हुई थी। दूसरी ओर कोटली, पुंछ और मीरपुर जैसे पश्चिमी जिलों में मुस्लिम बहुमत सांस्कृतिक रूप से पश्चिमी पंजाब के मैदानों की ओर झुका हुआ था।