देश स्वाधीनता के 75वें वर्ष से गुजर रहा है और 25 साल बाद वर्ष 2047 में हम स्वतंत्र भारत की 100वीं वर्षगाँठ मनाएंगे। स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष में देश को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महाशक्ति के रूप में स्थापित करना भारत का लक्ष्य है, जिसके लिए स्वयं को समर्पित करने के साथ-साथ एक विस्तृत रूपरेखा की आवश्यकता है।
देश के समग्र विकास में प्रौद्योगिकी की भूमिका सुनिश्चित करने के लिए नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार ने सूचना, पूर्वानुमान एवं मूल्यांकन परिषद् (टाइफैक) से प्रौद्योगिकी विजन-2047 दस्तावेज में प्रभावी कार्ययोजना को शामिल किये जाने का आह्वान किया है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग से सम्बद्ध टाइफैक द्वारा आयोजित दो दिवसीय ‘टेक्नोलॉजी ऐंड सस्टेनेबिलिटी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया’ मंथन सत्र के दौरान डॉ राजीव कुमार ने यह बात कही है।
डॉ कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी देश के समग्र विकास में प्रौद्योगिकी के योगदान को महत्वपूर्ण मानते हैं, और आगामी 25 वर्षों के दौरान देश के विकास में प्रौद्योगिकी की भूमिका को लेकर उनका अपना एक समग्र दृष्टिकोण है। स्थायी विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए डॉ कुमार ने जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों से लड़ने में अनुकूलन एवं रोकथाम जैसे प्रयासों को नाकाफी बताते हुए कार्बन कैप्चर, और कार्बन को मिट्टी में स्थापित करने जैसे टिकाऊ विकल्पों पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया है। एग्रो-इकोलॉजी के बारे में बताते हुए उन्होंने इसमें रसायन मुक्त खेती की भूमिका भी उल्लेख किया।
यह उल्लेखनीय है कि टाइफैक द्वारा ही विजन-2020 और विजन-2035 जैसे दृष्टिपत्र तैयार किए गए हैं, जिसमें देश के समग्र एवं संवहनीय विकास पर केंद्रित रूपरेखा प्रस्तुत की गई है। स्वाधीनता के 100वें वर्ष में भारत को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्व स्तर पर शीर्ष पंक्ति में खड़ा करने के लिए इसी प्रकार का दृष्टिपत्र टाइफैक द्वारा तैयार किया जा रहा है। दृष्टिपत्र तैयार करने के लिए आवश्यक विचार विमर्श की दृष्टि से इस आयोजन को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
यह दो दिवसीय ‘टेक्नोलॉजी ऐंड सस्टेनेबिलिटी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया’ सत्र 28-29 अप्रैल को नई दिल्ली में आयोजित किया गया है, जिसमें बदलते भारत में स्थायी विकास के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी हस्तक्षेपों पर गहन चर्चा की गई। स्थायी स्वास्थ्य, स्थायी पोषण, संसाधनों का टिकाऊ उपयोग और सस्ती एवं सुलभ शिक्षा के लक्ष्य को प्राप्त करने में प्रौद्योगिकी की भूमिका को लेकर गहन चर्चा इस सम्मेलन में की जा रही है।
सत्र के पहले दिन डॉ राजीव कुमार के अलावा टाइफैक के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर प्रदीप श्रीवास्तव, टाइफैक के चेयरमैन प्रोफेसर देवांग खाखर, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर पंजाब सिंह, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी के पूर्व निदेशक अमूल्य कुमार पांडा और एकोर्ड सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, फरीदाबाद के निदेशक डॉ जितेंद्र कुमार जैसे प्रबुद्ध विशेषज्ञ चर्चा में शामिल थे।
टाइफैक के चेयरमैन प्रोफेसर देवांग खाखर ने कहा कि भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सशक्त क्षमता रखता है, और हमें अपनी इस क्षमता को स्थायी विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में लगाना है।
(इंडिया साइंस वायर)