By उमाशंकर मिश्र | Jun 22, 2020
भारतीय नौसेना के मुंबई स्थित आईएनएचएस अस्विनी अस्पताल से संबद्ध इंस्टीट्यूट ऑफ नेवल मेडिसिन के नवाचार प्रकोष्ठ द्वारा विकसित नवरक्षक नामक पीपीई सूट के विनिर्माण की तकनीकी जानकारी का लाइसेंस पाँच सूक्ष्म व लघु उद्यमों को व्यावसायिक उत्पादन के लिए सौंप दिया गया है। इस पीपीई सूट के उत्पादन की तकनीक वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग के उपक्रम नेशनल रिसर्च डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन (एनआरडीसी) द्वारा व्यावसायिक उद्यमों को हस्तांतरित की गई है।
जिन पाँच कंपनियों को इस पीपीई सूट की तकनीक सौंपी गई है उनमें कोलकाता की ग्रीनफील्ड विनट्रेड प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई की वैष्णवी ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड, बंगलूरू की कंपनी भारत सिल्क्स, बड़ोदरा की श्योर सेफ्टी (इंडिया) लिमिटेड और मुंबई की ही एक अन्य कंपनी स्वैप्स काउचर शामिल है। इन कंपनियों की योजना प्रतिवर्ष एक करोड़ से ज्यादा पीपीई सूट उत्पादित करने की है। कहा जा रहा है कि यह पहल देश में गुणवत्तापूर्ण पीपीई किट की मौजूदा व्यापक माँग को पूरा करने में मददगार हो सकती है।
सुरक्षा के साथ-साथ इसे इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति को असुविधा न हो, इस बात का ध्यान इस सूट के निर्माण में रखा रखा गया है। इस सूट का इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति की त्वचा से ऊष्मा और नमी पीपीई से बाहर निकलती रहती है। अलग-अलग परिस्थितियों से जुड़ी आवश्यकताओं के अनुसार एक परत और दोहरी परत में ये पीपीई सूट उपलब्ध हैं। यह सूट हेड गियर, फेस मास्क और जाँघ के मध्य भाग तक जूतों के कवर के साथ भी आता है।
नवरक्षक सूट को नौसेना के एक चिकित्सक द्वारा डिजाइन किया गया है, जिसमें उन्होंने चिकित्सकों की सहूलियत और सुरक्षा के लिए पीपीई के इस्तेमाल में अपने व्यक्तिगत अनुभव को समाहित किया है। इस पीपीई सूट में उपयोग किए गए संवर्धित श्वसन घटक कोविड-19 के खिलाफ अग्रिम पंक्ति में लड़ रहे उन योद्धाओं को राहत प्रदान कर सकते हैं, जिन्हें ये सूट घंटों तक पहनना पड़ता है और काम के दौरान अत्यंत कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
इस पीपीई सूट का परीक्षण और प्रमाणन रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की प्रयोगशाला नाभिकीय औषधि तथा सम्बद्ध विज्ञान (इनमास) ने किया है। यह प्रयोगशाला नेशनल एक्रेडटैशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग ऐंड कैलिब्रेशन लैबोरेटरीज (एनएबीएल) से मान्यता प्राप्त उन नौ प्रयोगशालाओं में से एक है, जिन्हें आईएसओ के मापदंडों और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा कपड़ा मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार पीपीई प्रोटोटाइप सैम्पल टेस्टिंग के लिए अधिकृत किया गया है।
इस सूट के उत्पादन को किफायती बताया जा रहा है, क्योंकि इसमें किसी बड़े पूंजी निवेश की आवश्यकता नहीं पड़ती और सिलाई की बुनियादी दक्षता से इसे बनाया जा सकता है। इस सूट को बनाने की प्रौद्योगिकी और इसमें उपयोग किए गए कपड़े की गुणवत्ता ऐसी है कि पीपीई सूट की सिलाई को सील करने की कोई जरूरत नहीं होती। इसलिए, महंगी सीलिंग मशीनों और टेप को आयात करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। यहां तक कि पीपीई के कपड़े में पॉलिमर या प्लास्टिक फिल्म के लैमिनेशन की भी जरूरत नहीं होती है।
इंडिया साइंस वायर