तालिबान की चुनौती देखते हुए भारत की बागडोर मजबूत नेता के हाथ में रहना और जरूरी हो गया

By नीरज कुमार दुबे | Aug 17, 2021

तालिबान ने जिस तरह अफगानिस्तान पर कब्जा जमाया है उससे भारत का चिंतित होना स्वाभाविक ही है क्योंकि पहले से ही चीन और पाकिस्तान की ओर से चुनौतियाँ पेश की जा रही हैं और अब तालिबान भी फिर से सिर उठा कर खड़ा हो गया है। तालिबान ने जिस तरह से अफगान जेलों में बंद अपराधियों को रिहा कर दिया है उससे वहाँ अपराधियों और आतंकवादियों के हौसले बुलंद हो गये हैं। माना जा रहा है कि तालिबान को सत्ता मिलने के जोश में उसके लड़ाके भारत के लिए सुरक्षा संबंधी खतरा पैदा कर सकते हैं क्योंकि उनको पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का पूरा समर्थन हासिल है। हालाँकि तालिबान फिलहाल भारत के खिलाफ कुछ नहीं कह रहा है लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है कि आगे भी उसका रुख यही बना रहेगा। तालिबान को इंतजार है 31 अगस्त, 2021 का जब अमेरिकी सेना पूरी तरफ अफगानिस्तान छोड़ देगी। उसके बाद से तालिबान की असल मनमानी शुरू होगी, यही बात जानकर वहां लोग अपना ही देश छोड़कर जल्द से जल्द भाग जाना चाहते हैं।

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भारत को कितना चिंतित होने की जरूरत है?


जहाँ तक तालिबान से भारत को संभावित खतरे की बात है तो निश्चित रूप से यह चिंता का विषय है क्योंकि तालिबान को ना सिर्फ पाकिस्तान का बल्कि चीन का भी पूरा समर्थन हासिल है। संयुक्त राष्ट्र संघ में वीटो पावर रखने वाला चीन तो ऐलान भी कर चुका है कि वह तालिबान सरकार को मान्यता देने के लिए तैयार है। लेकिन भारत भी अच्छी तरह जानता है कि उसे अफगानिस्तान में बदले हालात को देखते हुए क्या करना है और किस तरह की सतर्कता बरतनी है। सरकार इस दिशा में लगातार कदम भी उठा रही है। देखा जाये तो आज के परिदृश्य में भारत की बागडोर मजबूत नेतृत्व के हाथ में बने रहना बेहद जरूरी है। मजबूत नेतृत्व से आशय ऐसे नेता से है जो दुश्मन की किसी भी हरकत का मुँहतोड़ जवाब दे सके और विश्व समुदाय को अपने साथ खड़ा कर सके। इस लिहाज से भारत सौभाग्यशाली है कि देश की बागडोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों में है जिन्होंने सदैव राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। मोदी के ही नेतृत्व में न्यू इंडिया ने पूरे विश्व को यह संदेश भी दिया है कि हम किसी को छेड़ते नहीं हैं और अगर कोई छेड़ता है तो उसे छोड़ते नहीं हैं।

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दुनिया में वीरों का ही सम्मान होता है


जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उरी हमले का बदला सर्जिकल स्ट्राइक से, पुलवामा हमले का बदला एयर स्ट्राइक से लिया गया और डोकलाम तथा गलवान में चीन को जिस तरह पीछे हटने तथा झुकने पर मजबूर किया गया उससे जनता में यह विश्वास है कि भले कोई कितनी भी गीदड़ भभकी दे लेकिन भारत की सरहदें सुरक्षित हैं और हमारी सेना तथा सरकार हर चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है। 2019 के लोकसभा चुनावों में जब हमने देशभर का दौरा किया तो एक चीज स्पष्ट रूप से दिखी थी कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर जनता मोदी सरकार को पूरे अंक देती है और यह विश्वास आज भी कायम है। भले कुछ मुद्दों को लेकर सरकार के खिलाफ कुछ लोगों में नाराजगी दिखे लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के मोर्चे पर इस सरकार के प्रति जनता में पूरा विश्वास नजर आता है।


बहरहाल, जो लोग मोदी को सत्ता से हटाने के लिए बेताब हैं, हमें समझना होगा कि उनका एकमात्र लक्ष्य सत्ता हासिल करना है और यही वह लोग हैं जो सेना के शौर्य पर समय-समय पर सवाल उठा चुके हैं, उनसे उनकी विजय का सबूत माँग चुके हैं। ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है जिनकी वजह से देश की सुरक्षा पर खतरा पैदा हो सकता हो। जिन लोगों की तुष्टिकरण की नीति की बदौलत आतंकवादियों का हौसला बढ़ता है, ऐसे नेताओं से राष्ट्रहित में दूरी बनाये रखना जरूरी है। हमें यह याद रखना चाहिए कि देश तभी तरक्की करेगा जब शांति होगी और शांति के लिए शक्तिशाली होना जरूरी है।


-नीरज कुमार दुबे

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