By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 14, 2021
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी शहर के बचाव की कोशिशों के तहत बुधवार को मजार-ए-शरीफ गए थे और उन्होंने सरकार से संबद्ध कई मिलिशिया कमांडरों के साथ बैठक की थी। तालिबान ने हालिया दिनों में तेजी से किए गए हमलों के बाद दक्षिणी अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है, जिसके कारण पूरे देश पर उसके कब्जे की आशंका बढ़ने लगी है। उसके तेजी से आगे बढ़ने के कारण पश्चिम- समर्थित सरकार का नियंत्रण काबुल और मजार-ए-शरीफ के साथ-साथ केवल मध्य एवं पूर्व में स्थित प्रांतों पर शेष रह गया है। विदेशी बलों की वापसी और वर्षों में अमेरिका से मिली सैकड़ों अरब डॉलर की मदद के बावजूद अफगानिस्तान से बलों के पीछे हटने के कारण यह आशंका बढ़ गई है कि तालिबान फिर से देश पर कब्जा कर सकता है या देश में गृह युद्ध की स्थिति पैदा हो सकती है। अफगानिस्तान में तालिबान के तेजी से पैर पसारने के बीच अमेरिकी दूतावास को आंशिक रूप से खाली करने में मदद करने के लिए अमेरिका की मरीन बटालियन का 3,000 कर्मियों का दस्ता शुक्रवार को यहां पहुंचा। शेष जवानों के रविवार को पहुंचने की संभावना है।
हालांकि अतिरिक्त सैनिकों के अफगानिस्तान पहुंचने से यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या अमेरिका सैनिकों की वापसी का काम 31 अगस्त की समयसीमा के भीतर पूरा कर पाएगा या नहीं। इस बीच, तालिबान ने शनिवार को कंधार में एक रेडियो स्टेशन पर कब्जा कर लिया। तालिबान ने एक वीडियो जारी किया जिसमें एक अज्ञात तालिबान ने शहर के मुख्य रेडियो स्टेशन को कब्जे में लेने की घोषणा की। रेडिया का नाम बदलकर ‘वॉइस ऑफ शरिया’ कर दिया गया है। उसने कहा कि सभी कर्मचारी यहां मौजूद हैं, वे समाचार प्रसारित करेंगे, राजनीतिक विश्लेषण करेंगे और कुरान की आयतें पढ़ेंगे। ऐसा लगता है कि स्टेशन पर अब संगीत नहीं बजाया जाएगा। तालिबान कई वर्षों से सचल रेडियो स्टेशन संचालित करता आ रहा है लेकिन प्रमुख शहर में उसका रेडियो स्टेशन पहले कभी नहीं रहा। वह ‘वॉइस ऑफ शरिया’ नाम का स्टेशन चलाता था जिसमें संगीत पर पाबंदी थी।