Delhi में लगेगा राष्ट्रपति शासन? राष्ट्रपति ने भाजपा के पत्र का संज्ञान लेते हुए गृह मंत्रालय से कार्रवाई करने को कहा

By नीरज कुमार दुबे | Sep 10, 2024

क्या दिल्ली में लग सकता है राष्ट्रपति शासन? यह सवाल हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि राष्ट्रपति ने दिल्ली सरकार को बर्खास्त करने की मांग करने संबंधी दिल्ली भाजपा की अपील को गृह मंत्रालय के समक्ष भेज दिया है। इस संबंध में दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा है कि संविधान के कथित उल्लंघन के लिए आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को बर्खास्त किए जाने की मांग को लेकर भारतीय जनता पार्टी के विधायकों द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपा गया ज्ञापन गृह मंत्रालय को भेज दिया गया है। विजेंद्र गुप्ता ने एक बयान में दावा किया है कि दिल्ली सरकार द्वारा छठे दिल्ली वित्त आयोग का गठन नहीं करना तथा कैग रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई न करना ‘‘संविधान का उल्लंघन’’ है।


हम आपको बता दें कि भाजपा विधायकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने 30 अगस्त को राष्ट्रपति से मुलाकात कर एक ज्ञापन सौंपा था जिसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जेल में होने के कारण ‘‘दिल्ली में उत्पन्न संवैधानिक संकट के बीच तत्काल हस्तक्षेप’’ करने का आग्रह किया गया था। विजेंद्र गुप्ता ने राष्ट्रपति सचिवालय से प्राप्त एक पत्र को साझा करते हुए कहा, ‘‘राष्ट्रपति ने ज्ञापन का संज्ञान लेते हुए उसे गृह सचिव को भेज दिया है।’’ उन्होंने कहा कि उन्होंने गृह सचिव से इस मामले पर ‘‘तत्काल और उचित कार्रवाई’’ करने का आग्रह किया है।

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हम आपको बता दें कि दिल्ली विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता के नेतृत्व में विधायकों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से दिल्ली में चल रहे संवैधानिक संकट में तत्काल हस्तक्षेप करने की अपील करते हुए अरविंद केजरीवाल सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए उन्हें ज्ञापन दिया था। ज्ञापन में सर्वप्रथम दिल्ली की पंगु हो चुकी प्रशासनिक व्यवस्था का मुद्दा उठाते हुए कहा गया था कि आबकारी नीति घोटाले से संबंधित गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपों में सीएम केजरीवाल चार महीने से अधिक समय से जेल में हैं। जेल में बंद होने के बावजूद, केजरीवाल ने इस्तीफा देने से इंकार कर दिया है, जिससे एक गंभीर स्थिति पैदा हो गई है और इसी कारण दिल्ली में प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। ज्ञापन में कहा गया था कि महत्वपूर्ण प्रशासनिक निर्णयों में देरी हो रही है और आवश्यक सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित हो रही हैं, जिसका खामियाजा दिल्ली की जनता को भुगतना पड़ रहा है।


ज्ञापन में AAP सरकार द्वारा किए गए महत्वपूर्ण संवैधानिक उल्लंघनों का मुद्दा उठाते हुए कहा गया था कि दिल्ली सरकार द्वारा छठे दिल्ली वित्त आयोग का गठन न करना इसकी विफलता है। आयोग का गठन जो अप्रैल 2021 से लंबित है, उसे नहीं करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243-I और 243-Y का गंभीर उल्लंघन है, जिसके चलते दिल्ली के लिए वित्तीय योजनाओं और संसाधनों का आवंटन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है, विशेष रूप से दिल्ली नगर निगम (MCD) पर इसका व्यापक असर पड़ा है।


ज्ञापन में कहा गया है कि इसके अलावा दिल्ली सरकार CAG की 11 रिपोर्ट्स को विधानसभा के सदन पटल पर रखने में बार-बार विफल रही है। महत्वपूर्ण सूचनाओं को दबाने से न केवल पारदर्शिता बाधित होती है बल्कि सरकार के क्रिया कलापों और खर्च के ब्योरे की उचित जांच नहीं हो पाने से इसके वित्तीय औचित्य पर भी गंभीर सवाल उठते हैं।


ज्ञापन में AAP सरकार के भीतर व्याप्त भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं का भी विस्तृत ब्यौरा दिया गया था। इसमें कहा गया था कि करोड़ों रुपये का दिल्ली शराब घोटाला, जिसके कारण सीएम केजरीवाल समेत सरकार के शीर्ष मंत्रियों की गिरफ्तारी हुई है, दिल्ली जल बोर्ड में वित्तीय अनियमितताओं के हालिया खुलासे और 2021-22 और 2022-23 की इसकी बैलेंस शीट तैयार नहीं होना जैसे मुद्दे इन समस्याओं की गंभीरता को दर्शाते हैं।


इसके अलावा, दिल्ली सरकार पर केंद्र सरकार की कई कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में जानबूझकर बाधा डालने का आरोप लगाया गया है। ज्ञापन देने के बाद विजेंद्र गुप्ता ने कहा था कि आम आदमी पार्टी सत्ता में रहने का नैतिक अधिकार खो चुकी है और दिल्ली की जनता द्वारा दिए गए जनादेश को इसने धोखा दिया है। हमने राष्ट्रपति से इस सरकार को बर्खास्त करने और दिल्ली में संवैधानिक व्यवस्था बहाल करने के लिए तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया है।


हम आपको बता दें कि इस प्रतिनिधि मंडल में शामिल विधायक मोहन सिंह बिष्ट, ओम प्रकाश शर्मा, अजय महावर, अभय वर्मा, अनिल वाजपेयी, जितेंद्र महाजन, करतार सिंह तंवर और दिल्ली के पूर्व मंत्री राजकुमार आनंद ने राष्ट्रपति मुर्मू से संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत मौजूदा आप सरकार को बर्खास्त करने का आग्रह किया था। देखा जाये तो राजधानी में शासन की बिगड़ती स्थिति के कारण दिल्ली के नागरिकों और उन्हें मिलने वाली सुविधाओं के बाधित होने की वजह से राष्ट्रपति से यह अपील की गई थी। विपक्ष का मानना है कि राष्ट्रीय राजधानी में संवैधानिक मूल्यों और लोकतांत्रिक मानदंडों के और अधिक पतन को रोकने के लिए राष्ट्रपति का तत्काल हस्तक्षेप महत्वपूर्ण है।

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