Health Tips: प्रेग्नेंसी के आखिरी महीने में इन बातों का रखें खास ख्याल, मां और बच्चा दोनों रहेंगे सेफ

By अनन्या मिश्रा | Aug 11, 2023

अगर आप भी जल्द ही मां बनने वाली हैं, तो बता दें कि प्रेग्नेंसी का आखिरी महीना सबसे ज्यादा नाजुक होता है। इस दौरान मां के मन में भी कई सारे सवाल होते हैं। क्योंकि प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। इन बदलावों को देखते हुए ही हेल्थ एक्सपर्ट्स एक विशेष रूटीन फॉलो करने की सलाह देते हैं। जिससे कि डिलीवरी के दौरान कोई दिक्कत न हो। ऐसे में हम आज आपको इस आर्टिकल के जरिए प्रेग्नेंसी के आखिरी महीने में ध्यान रखने वाली कुछ विशेष बातों को बताने जा रहे हैं। जैसे 9वें महीने में मां की डाइट कैसी होनी चाहिए, किन चीजों को अवॉइड करना चाहिए। अगर आप इन चीजों का ध्यान रखती हैं तो आपको डिलीवरी के दौरान कोई कॉम्‍प्‍लीकेशन नहीं होगा।


9वें महीने में क्या न खाएं

कुछ महिलाओं को सी फूड खाना अच्छा लगता है। लेकिन अगर आप गर्भवती हैं और आखिरी महीना है तो आपको सी फूड से दूरी बना लेनी चाहिए। बता दें कि सी फूड में ओमेगा 3 की प्रचुर मात्रा पायी जाती है। ऐसे में आपको प्रेग्नेंसी के आखिरी महीने में ओमेगा 3 पचाने में द‍िक्‍कत हो सकती है। इसके अलावा जंक और ऑयली फूड से भी दूरी बना लेनी चाहिए। क्योंकि चटपटा और मसालेदार चीजें खाने से पेट संबंधी बीमारी से परेशान हो सकती हैं। साथ ही आपको चाय और कॉफी के सेवन पर भी कंट्रोल करना चाहिए। क्योंकि यह आपके बच्चे के स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है।

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प्रेग्नेंसी के दौरान कैफीन के सेवन से बचना चाहिए। यह बच्चे के लिए काफी खतरनाक होता है। अगर आप प्रेग्नेंसी में कैफीन युक्त चीजों का सेवन करती हैं, तो 200 ग्राम से ज्यादा इसका सेवन न करें। एल्कोहॉल का सेवन भी नहीं करना चाहिए और तंबाकू आदि से दूर रहना चाहिए। अगर कोई भी चीज खाने से आपको शरीर में कुछ बदलाव महसूस होता है तो उसे अनदेखा न करें और डॉक्टर से संपर्क करें।


आख‍िरी महीने में क्‍या खाएं

इस दौरान आपको अपनी डाइट में आयरन शामिल करना चाहिए। इससे शरीर में खून की कमी नहीं होगी। वहीं कई महिलाओं को एनीमिया के कारण परेशानी होती है। ऐसे में इससे बचाव के लिए आपको अपनी डाइट में अंडे, दाल, मीट, बींस, नट्स और पत्तेदार सब्जियों को शामिल करना चाहिए। आप चाहें तो मछली, चिकन और सोयाबीन आदि का भी सेवन कर सकती हैं।


प्रेग्नेंट महिलाओं को कैल्शियम रिच डाइट लेनी चाहिए। कैल्शियम से हड्डियां मजबूत होती हैं। साथ ही कैल्शियम इंटेक से प्रेग्नेंसी के बाद जोड़ो के दर्द से जल्द राहत मिलती है। आखिरी यानी 9वें महीने में कैल्शियम के सेवन से बच्चे की हड्डियां भी मजबूत होती हैं। दूध, दही, संतरा और तिल आदि में भरपूर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है।


प्रेग्नेंसी के आखिरी महीने में बच्चे का पूरा विकास हो जाता है। जिसके कारण वजन भी बढ़ चुका होता है। इस दौरान आपको पाचन संबंधी समस्या परेशान कर सकती है। पाचन संबंधी समस्या से बचना के लिए आपको फाइबर इंटेक फूड का सेवन करना चाहिए। फल, मल्‍टीग्रेन ब्रेड, खजूर आदि में फाइबर की भरपूर मात्रा पाई जाती है। इसके अलावा आपको विटामिन सी से भरपूर चीजें जैसे कीवी, अंगूर, संतरा और शिमला मिर्च आदि का सेवन भी करना चाहिए। बता दें कि शरीर के लिए फॉलिक एसिड का होना बहुत जरूरी होता है। इसकी कमी को पूरा करने के लिए आपको अंकुरित अनाज और एवोकाडो को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए।


गर्भावस्था के 9वें महीने में बच्चे के वजन के चलते मांसपेशियों में खिंचाव रहता है। इस दर्द से बचने के लिए आपको गुनगुने पानी का सेवन करना चाहिए। गुनगुने पानी के सेवन से आपको मांसपेशियों के दर्द से राहत मिलती है और शरीर में अचानक दर्द नहीं उठेगा।


ब्रीथ‍िंग प्रैक्‍ट‍िस

आखिरी महीने में महिलाओं को अक्सर स्ट्रेस होता है। वह लेबर पेन, ऑपरेशन या फिर बच्चे की टेंशन से डर जाती हैं। इस तरह के स्ट्रेस से बचने के लिए महिलाओं को ब्रीथिंग प्रैक्टिस करनी चाहिए। क्योंकि जितनी फ्रेश एयर आपके शरीर में जाएगी, उतना ज्यादा आप फ्रेश और स्ट्रेस फ्री महसूस करेंगी। बच्चे के लिए ऑक्सीजन जरूरी है। ऐसे में आप सिंपल ब्रीथिंग प्रैक्टिस करें। इससे हाई बीपी, मानसिक तनाव और सिर दर्द से छुटकारा मिलेगा। 


इसके अलावा अगर आपको नींद नहीं आती है तो ब्रीथिंग प्रैक्टिस से आप स्‍लीप‍िंग डिस्‍ऑडर से भी छुटकारा पा सकती हैं। क्योंकी गहरी सांस लेने से शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है और शरीर का दर्द भी दूर होता है। इसे करने के लिए सीधा बैठ जाएं और पेट से सांस लें। जिससे कि आपका पेट फूले। अब कुछ सेकेंड के लिए हवा को रोकें और फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ें। इसके अलावा आप अनुलोम-विलोम भी कर सकती हैं। अनुलोम-विलोम करने के लिए आरामदायक तरीके से बैठ जाएं। फिर सांस भरकर 10 तक गिनें और दाएं नाक से उंगली हटाकर बाएं पर रखें। इस प्रक्रिया को करीब 10 बार करें। आप दिन में 3-4 बार इस प्रक्रिया को कर सकती हैं।

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