By अभिनय आकाश | Jul 04, 2022
किसी भी देश के महापुरुष उसके लिए एक पावर हाउस की तरह होते हैं और भारत के महापुरुष न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक पावर हाउस का काम करते हैं। स्वामी विवेकानंद को आप संकल्प शक्ति, विचारों की ऊर्जा अध्यात्म और आत्मविश्वास का एक पावर हाउस कह सकते हैं। उनसे केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को ऊर्जा मिलती है। आज 4 जुलाई है और आज ही के दिन 119 साल पहले स्वामी विवेकानंद की मृत्यु हुई थी। आज ही वो दिन है जब स्वामी विवेकानंद महासमाधि में लीन हो गए थे। वैसे तो महापुरुषों की कभी मृत्यु नहीं होती और उनके विचार कभी नहीं मरते, उनके विचार हमेशा जीवित रहते हैं।
विवेकानंद ने योग और वेदांत के दर्शन को पश्चिम में लाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 12 जनवरी, 1863 को जन्मे स्वामी विवेकानंद को उनके पूर्व-मठवासी जीवन में नरेंद्र नाथ दत्त के नाम से जाना जाता था। स्वामी विवेकानंद को 1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद में उनके व्याख्यान के लिए भी जाना जाता है। अध्यात्म के अलावा, विवेकानंद को विज्ञान और धर्म के बारे में भी बहुत ज्ञान था। स्वामी विवेकानंद के पिता विश्वनाथ दत्ता थे, जो कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक वकील थे, जबकि उनकी माँ भुवनेश्वरी देवी एक गृहिणी थीं। कम उम्र से ही विवेकानंद ने अध्यात्म में अपनी रुचि दिखाई। वे श्री रामकृष्ण के शिष्य भी थे।
जिस दौर में स्वामी विवेकानंद अपने जीवन के शिखर पर थे। उस दौड़ में भारत अंग्रेजों का ग़ुलाम था। गुलाम भारत की युवा पीढ़ी को संबोधित करते हुए स्वामी विवेकानंद ने कहा था उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त ना हो जाये। तुम जो सोच रहे हो उसे अपनी जिंदगी का विचार बनाओ। उसके बारे में सोचो। उसके लिए सपने देखो। उस विचार के साथ जियो। तुम्हारे दिमाग में तुम्हारी मांसपेशियों में तुम्हारी नसों में और तुम्हारे शरीर के हर हिस्से में वो विचार भरा होना चाहिए। यही सफलता का सूत्र है। स्वामी विवेकानंद का निधन मात्र 39 वर्ष की उम्र में 4 जुलाई, 1902 को हुआ। उस समय वे पश्चिम बंगाल के बेलूर मठ में रह रहे थे।
- अभिनय आकाश