By रेनू तिवारी | Jul 27, 2022
सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के कई प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ईडी की जांच, गिरफ्तारी, संपत्ति की कुर्की की शक्तियों को बरकरार रखा। कड़े पीएमएलए कानून के तहत गिरफ्तारी, जमानत देने, संपत्ति जब्त करने का अधिकार दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के दायरे से बाहर है। निर्णय महत्वपूर्ण है क्योंकि यह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की गई जांच शक्तियों, गवाहों को सम्मन, गिरफ्तारी और जब्ती और पीएमएलए कानून के तहत जमानत प्रक्रिया से संबंधित कई मुद्दों को संबोधित करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधेय अपराध में प्राथमिकी दर्ज नहीं होना ईडी की जांच के आड़े नहीं आता। अदालत ने कहा ईडी अधिकारी सीआरपीसी के तहत पुलिस अधिकारी नहीं हैं। ईडी अधिकारियों के सामने दर्ज बयान सबूत के तौर पर मान्य हैं। विधेय अपराध की प्रकृति या वर्ग का समय पर कोई असर नहीं पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में किसी आरोपी को हिरासत में लेते समय ईडी अधिकारियों के लिए गिरफ्तारी के आधार का खुलासा करना अनिवार्य नहीं है।