प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोरोना वायरस संकट पर इशारा भर है कि देश बड़ी चुनौती के लिए तैयार रहे। जनता कर्फ्यू के आह्वान को बड़े लॉकडाउन की तैयारी के रूप में भी देखा जाना चाहिए। चीन में कारोना वायरस बीमारी के फैलाव को हल्के में लेना यूरोप को भारी पड़ गया। कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित इटली मौतों के मामले में चीन से आगे निकल गया है। पिछले चौबीस घंटों के दौरान यहां 427 लोगों की मौत हुई है। इस यूरोपीय देश में अब तक 3405 लोग अपनी जान गवां चुके हैं। जबकि चीन में 3245 लोगों की जान गई है। जबकि भारत में कोरोना अभी दूसरे स्टेज में है।
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राज्यों में अपने हिसाब से पाबंदियां लगनी शुरू हो गई हैं। दिल्ली में माल, दुकाने सैलून मेट्रों सभी रविवार को बंद रहेंगे। महाराष्ट्र में चार शहर मुंबई, नागपुर, पुणे और पिंपरी में जरूरी सेवाओं को छोड़कर एक तरह से लाकडाउन का आदेश है।
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कौन-कौन सी जगहों को किया जा रहा है बंद
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कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए रविवार यानी 22 मार्च को प्रधानमंत्री मोदी की ओर से जनता कर्फ्यू का ऐलान किया गया है। कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से सरकार ने इस दिन लोगों को सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक घरों से बाहर नहीं निकलने की अपील की है। भारत की सबसे बड़ी खासियत यह है कि हम लोग घने अंधकार में भी सवेरा ढूंढ़ लेते है। प्रधानमंत्री जब बोलते हैं तो पूरा देश सुनता है। एक दिन पहले से जब पीएमओ द्वारा ट्वीट कर जानकारी दी गयी तो पूरा देश इस इंतज़ार में था कि प्रधानमंत्री कोरोना इमरजेंसी के इस दौर में क्या बोलेंगे। कुछ अफवाहें भी सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से आईं कि पीएम लॉकडाउन जैसी कोई घोषणा कर सकते हैं। हालांकि तुरन्त बाद ही इस तरह की खबरों को पीएमओ सूत्रों की तरफ से खारिज कर दिया गया। जनता कर्फ्यू को हम कुछ इस तरह समझ सकते हैं कि ये कर्फ्यू जनता का खुद पर लगाया गया एक प्रतिबंध है. यानी इसके लिए पुलिस या सुरक्षाबलों की तरफ से कोई भी पाबंदी नहीं लगाई जाएगी। लोग खुद ही अपने काम टालेंगे और बाहर निकलने से बचेंगे। कुल मिलाकर जनता द्वारा खुद के लिए औऱ खुद की ही मर्जी से अपने आप पर लगाया रोक है। जिससे वायरस के फैलाव का खतरा कम होगा।