Subhash Chandra Bose Birth Anniversary: क्रांतिकारी दल के नेता थे सुभाष चंद्र बोस, देश को आजाद कराने में निभाई अहम भूमिका

By अनन्या मिश्रा | Jan 23, 2024

भारत में नेताजी के नाम से फेमस सुभाष चंद्र बोस का आज ही के दिन यानी की 23 जनवरी को जन्म हुआ था। आज पूरा देश सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती मना रहा है। वह एक योद्धा, वीर सैनिक, महान सेनापति और कुशल राजनीतिज्ञ के तौर पर भी जाने जाते हैं। देश को अंग्रेजों से आजादी दिलाने में नेताजी का अहम योगदान है। इन्होंने देश को आजाद कराने के लिए आजाद हिंद फौज का गठन भी किया था। तो आइए जानते हैं नेताजी की बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर सुभाष चंद्र बोस के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म और शिक्षा

ओडिशा के कटक में 23 जनवरी 1897 को सुभाष चंद्र बोस का जन्म हुआ था। इन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा कटक के रेवेंशॉव कॉलेजिएट स्कूल से पूरी की। वहीं साल 1915 में सुभाष चंद्र बोस ने कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की। फिर सिविल सर्विस की तैयारी करने के लिए उन्होंने इंग्लैंड के कैंब्रिज विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया। साल 1920 में ने सुभाष चंद्र बोस इंडियन सिविल सर्विसेज की परीक्षा दी। जिसमें उनको चौथा स्थान हासिल हुआ। उस दौरान यह बड़ी उपलब्धि थी। भारत आकर उन्होंने अपना पद संभाला। लेकिन देश की दयनीय स्थिति को देखते हुए उन्होंने साल 1921 में नौकरी छोड़ दी और देश को आजाद कराने की मुहिम में जुट गए।

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कांग्रेस से जुड़े नेताजी

इस दौरान नेताजी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़ गए। उस दौरान नेता जी और महात्मा गांधी के विचारों में टकराव होता था। हांलाकि दोनों की मंशा भारत की आजादी थी। लेकिन जहां एक ओर महात्मा गांधी उदार दल के नेता थे, तो वहीं नेताजी क्रांतिकारी दल का नेतृत्व कर रहे थे। लेकिन महात्मा गांधी सुभाष चंद्र बोस को काफी ज्यादा मानते थे। गांधी जी ने उन्हें 'देशभक्तों के देशभक्त' की उपाधि से नवाजा था। वहीं जर्मन के तानाशाह अडोल्फ हिटलर ने उनको पहली बार 'नेताजी' कहकर बुलाया था।


आजाद हिंद फौज का गठन

आपको बता दें कि दूसरे विश्व युद्ध के शुरू होने पर सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेजों के खिलाफ मुहिम तेज कर दी। जिस कारण उनको घर में नजरबंद कर दिया गया। लेकिन वह किसी तरह से अंग्रेजों से बचते-बचाते जर्मनी पहुंच गए और वहां से अपनी मुहिम को जारी रखा। 21 अक्टूबर 1943 को सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज का गठन किया। इस दौरान उन्होंने आजाद हिंद बैंक की भी स्थापना की। उस दौरान दुनिया के 10 देशों ने नेताजी की सरकार, फौज और बैंको को अपना समर्थन दिया था। 


'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा'

आजाद हिंद फौज के गठन के बाद नेताजी बर्मा पहुंचे। जहां पर उन्होंने 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' का नारा दिया था। उस समय देश आजादी की ओर था। नेताजी की फौज में सिंगापुर, ब्रिटिश मलय और न्य दक्षिण पूर्व एशिया के हिस्सों के युद्ध बंदी और बागानों आदि में काम करने वाले मजदूर शामिल थे।


मौत

एक विमान हादसे में 18 अगस्त 1945 को सुभाष चंद्र बोस की रहस्यमई तरीके से मौत हो गई। बताया जाता है कि उस विमान से नेताजी ने ताइवान से जापान के लिए उड़ान भरी थी। हांलाकि नेताजी की मौत आज भी लोगों के लिए एक पहेली बनी हुई है। मौत के बाद भी तमाम किस्से-कहानियों में नेताजी को जीवित बताया गया। कुछ लोगों का मत है कि विमान हादसे में सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु नहीं हुई थी। बल्कि कहा जाता है कि फैजाबाद में नेताजी भेष बदलकर नए नाम गुमनामी बाबा के रूप में रहते थे। 


बताया जाता है कि गुमनामी बाबा  फर्राटेदार अंग्रेजी, बांग्ला और जर्मन बोलते थे। वहीं गुमनामी बाबा की मौत के बाद उनके पास से शराब, अखबार, पत्रिकाएं, महंगी सिगरेट, आजाद हिंद फौज की यूनिफॉर्म, नेताजी की निजी तस्वीरें, रोलेक्स की घड़ी, शाहनवाज और खोसला आयोग की रिपोर्ट आदि मिली थी। जिससे अंदाजा लगाया जाता है कि गुमनामी बाबा ही नेताजी थे। लेकिन यह बात आज तक साबित नहीं हो सकी।

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