युद्ध और बर्फीले तूफान से जूझ रहे यूक्रेन में एक सप्ताह की यात्रा के घर लौटे छात्रों ने ली राहत की सांस

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 04, 2022

मुंबई|  युद्ध प्रभावित यूक्रेन के विन्नित्सिया से बाहर निकलने के प्रयास में एक सप्ताह तक मार्ग में फंसे रहने और रोमानिया की सीमा पर बर्फीले तूफान का सामना करने के बाद घर लौटकर मेडिकल छात्र शोएब सलीम अतर ने राहत की सांस ली है। लेकिन, घर लौटने के बावजूद अतर को यूक्रेन में फंसे भारत के अन्य छात्रों की चिंता सता रही है।

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद 24 फरवरी की रात विन्नित्सिया से बाहर निकले 21 वर्षीय अतर ने पीटीआई/को बताया, ‘‘अल्लाह का फजल है कि मैं लौट आया।’’ अतर बुखारेस्ट से बृहस्पतिवार को मुंबई पहुंचे विशेष विमान से घर लौटे हैं। विन्नित्सिया नेशनल यूनिवर्सिटी में तीसरे वर्ष के छात्र अतर ने घर लौटने के लिए 27 फरवरी की टिकट 22 फरवरी को बुक करायी थी।

रूस ने यूक्रेन के विद्रोही क्षेत्रों लुहान्स्क और दोनेस्क को स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता देने की घोषणा 22 फरवरी को की थी। पड़ोसी कर्नाटक राज्य के बेंगलुरु के रहने वाले अतर ने बताया कि विश्वविद्यालय के डीन ने छात्रों से वापस नहीं लौटने की अपील करते हुए कहा था कि ‘‘बाहर शांतिपूर्ण हालत हैं।’’ छात्र ने कहा, ‘‘यूक्रेन स्थित भारतीय दूतावास ने परामर्श जारी किया है, लेकिन उससे कुछ खास मदद नहीं मिली।’’ उन्होंने कहा कि भारतीय दूतावास ने छात्रों से कहा कि वे एकदम अनिवार्य होने पर ही यूक्रेन छोड़ें।

अतर ने दावा किया, ‘‘यूक्रेन के विश्वविद्यालयों में 100 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है। विश्वविद्यालय ने भी हमें जाने की अनुमति नहीं दी। जब हमने यूक्रेन में हो रहे हमलों को लेकर अपनी चिंता जतायी तो, विश्वविद्यालय प्रशासन को लगा कि हम ऑनलाइन कक्षाएं लगाना चाहते हैं।’’ लेकिन उस वक्त तक अतर ने यूक्रेन छोड़ने का फैसला कर लिया था।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने पोलैंड की सीमा पर स्थित लावीव से टिकट बुक किया था, ताकि रूस द्वारा हमला किए जाने की स्थिति में भी हम सुरक्षित रहें। लेकिन तभी हमें एयरलाइन से संदेश आया कि उड़ान रद्द कर दी गई है।’’ बाद में यूक्रेन सरकार ने अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया और देश के भीतर से उड़ान भरने की हमारी आशाओं पर पानी फिर गया।

इसके साथ ही अतर और यूक्रेन छोड़ने वाले अन्य लोगों के लिए सुरक्षित घर वापसी का संघर्ष शुरू हो गया। यूक्रेन पर 24 फरवरी को रूस का हमला शुरू होने के बाद विन्नित्सिया के हवाई क्षेत्र में रूसी विमानों को उड़ान भरते हुए देखा जा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘हवाई हमले के बारे में हमें सचेत करने के लिए सायरन बजता था।(सायरन की आवाज सुनकर) हम भागते और सुरक्षित जगह शरण लेते। दिन में करीब सात-आठ बार ऐसा होता था। हम भागकर सुरक्षित जगह पर पहुंचते और तीन घंटे बाद जब लौटते तो फिर सायरन की आवाज सुनकर भागना पड़ता। और फिर हम वापस सुरक्षित जगह तक भागते। दिन भर हम यही भाग-दौड़ करते रहते।’’ इन समस्याओं से दो-चार होने के बाद भारत, मध्य एशिया और अफ्रीका के छात्रों ने यूक्रेन छोड़ने का फैसला लिया।

लेकिन विन्नित्सिया छोड़ना आसान नहीं था। अतर ने दावा किया कि कीव स्थित भारतीय दूतावास के कर्मचारी मदद के लिए बमुश्किल ही उपलब्ध थे। उनकी शिकायत है, ‘‘देश से बाहर कैसे निकलें, इस संबंध में भारतीय दूतावास की ओर से कोई दिशा-निर्देश नहीं था।

विन्नित्सिया से बाहर निकलने और रोमानिया के साथ नजदीकी सीमा तक पहुंचने के लिए हमने खुद से बस किराए पर लिया। भारतीय दूतावास बमुश्किल हमारी मदद के लिए उपलब्ध था। वह हमारे फोन कॉल का भी जवाब नहीं दे रहे थे।

प्रमुख खबरें

IPL 2025: इन खिलाड़ियों को नहीं मिला कोई खरीददार, मेगा ऑक्शन में रहे अनसोल्ड

जिम्बाब्वे ने बड़ा उलटफेर कर पाकिस्तान को दी शिकस्त, 80 रन से जीता पहला वनडे

IPL 2025: सस्ते में निपटे ग्लेन मैक्सवेल, पंजाब किंग्स ने महज 4.2 करोड़ में खरीदा

IPL 2025 Auction: सनराइजर्स हैदराबाद ने ईशान किशन पर लगाया बड़ा दांव, 11.25 करोड़ में खरीदा