दुनिया के पहले डिटेंशन सेंटर की कहानी और भारत की आंखें खोलने वाला विश्लेषण

By अभिनय आकाश | Dec 26, 2019

दुनिया में वैसे तो डिटेंशन सेंटर का इतिहास बहुत पुराना है। कहीं इन्हें नजरबंदी शिविर कहा जाता है तो कहीं यातना केंद्र। कहीं इमिग्रेशन डिटेंशन सेंटर कहते हैं तो कहीं कंसन्ट्रेशन कैंप। नाजी कंसन्ट्रेशन कैंप यहूदियों को यातना देने के लिए जाने गए तो चीन के शिविर उइगर मुस्लिमों को वहां रखने से चर्चा में आए।

सबसे पहले आपको दो लाइनों में बता देते हैं कि डिटेंशन सेंटर होते क्या हैं?

डिटेंशन सेंटर ऐसे ठिकाने होते हैं, जहां अवैध विदेशी नागरिकों को रखा जाता है। दि फॉरेनर्स एक्ट के सेक्शन 3(2)(सी) के तहत केंद्र सरकार को यह अधिकार है कि, वह किसी भी अवैध नागरिक को देश से बाहर निकाल सकती है। देश से बाहर करने की प्रॉसेस के दौरान ऐसे लोगों को डिटेंशन सेंटर में ही रखा जाता है। दुनिया में डिंटेशन सेंटर का इतिहास करीब 600 साल पुराना है। 1417 में आज के पेरिस के पास बेसिले नामक जगह बनाई गई थी जिसमें फ्रांस के राजा अपने पड़ोसी देशों से आए अप्रवासियों और युद्धबंदियों को रखता था। इसे बेसिले सैंट-एंटोनी के नाम से भी जाना जाता है। सबसे ज्यादा डिटेंशन सेंटर अमेरिका में है। यूएस में ओबामा प्रशासन के दौरान 3 मिलियन से ज्यादा लोगों को देश से बाहर निकाला गया। 

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अब आते हैं भारत पर। हिन्दुस्तान में डिटेंशन कैंप को लेकर जो बाते कहीं जा रही हैं उसमें कितनी सच्चाई है और कितना झूठ ये जानना जरूरी है। संसद में जब नागरिकता कानून पर बहस चल रही थी तो कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने दावा किया कि देशभर में डिटेंशन सेंटर बने हैं। कांग्रेस का ये आरोप बेहद गंभीर था वो भी तब जब एनआरसी की प्रक्रिया अभी सिर्फ चर्चा में ही है। प्रधानमंत्री बोलते हैं तो पूरा देश उन्हें सुनता है। सीएए और एनआरसी पर चल रहे हिंसक विरोध के बीच भरोसा दिलाने के लिए पीएम बोले और सीएए पर बोलते हुए डिटेंशन सेंटर की बात सिरे से नकार दी। 

पीएम के ये कहने के बाद भी कांग्रेस अपने बयान पर कायम रही। कांग्रेस ने ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री मोदी को लगता है कि उनके इस झूठ को पकड़ने के लिए देश के लोग एक गूगल सर्च भी नहीं करेंगे। डिटेंशन सेंटर एक सच्चाई है। जब तक ये लोग सत्ता में हैं ऐसे डिटेंशन सेंटर बनते रहेंगे। 

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इंडियन एक्सप्रेस के एक आर्टिकल के अनुसार बेंगलुरू से 30 किलोमीटर दूर सोडेंकोप्पा गांव में एक डिटेंशन सेंटर बनाया गया है। दावे के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से 2019 में राज्य सरकार को जारी निर्देश के तहत ये डिटेंशन सेंटर बनाया गया। राज्य सरकार ने पिछले महीने एक हॅास्टल को डिटेंशन सेंटर में बदल दिया है। जिसमें गैरकानूनी तौर पर भारत में रहने वाले विदेशियों को रखा जाएगा। 

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अब आपको थोड़ा और पीछे लिए चलते हैं। 27 नवंबर की बात है दोपहर का वक्त था और राज्यसभा में प्रश्नकाल चल रहा था। टीएमसी सांसद ने एक सवाल पूछा- नजरबंदी गृहों में सुविधाओं की कमी का सवाल, वहां हुई मौतों का सवाल? जवाब में देश के गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि राज्यों में भी बड़े-बड़े सेंटर हैं और वहां से उससे लेकर डिटेंशन सेंटर में भी डाक्टर हैं और ईलाज की व्यवस्था है। 

अब ये तो साफ हो गया कि असम के छह जिलों में डिटेंशन सेंटर हैं। कहां-कहां ये भी बता देते हैं।

गोलपारा, कोकराझार, सिल्चर, डिब्रूगढ़, जोरहाट, तेजपुर। 

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पीआईबी के मुताबिक इन छह डिटेंशन सेंटर में 1133 विदेशी नागरिकों को रखा गया है। असम के डिटेंशन सेंटर की खराब हालत और वहां 28 लोगों की मौत के बाद केंद्र सरकार ने मार्डन डिटेंशन सेंटर बनाने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद गोलपाड़ा में 46 करोड़ की लागत से एक डिटेंशन सेंटर प्रस्तावित किया गया। जिसका दावा कई मीडिया रिपोर्ट्स में भी किया गया है। 16 जुलाई 2019 को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेंड्डी से डिटेंशन सेंटर को लेकर सवाल किए गए। पहला सवाल था कि क्या सरकार ने असम में उन लोगों के लिए डिटेंशन सेंटर शुरू किया है। जिनके पास अपनी नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज नहीं है। जिसके जवाब में गृह राज्य मंत्री ने कहा कि नहीं, असम के डिटेंशन सेंटर उन घोषित और दोषी पाए गए विदेशी नागरिकों के लिए हैं जो अपनी सजा पूरी कर चुके हैं। लेकिन दस्तावेजी सबूत न होने के कारण उन्हें अब तक उनके देश नहीं भेजा गया है। गृह राज्य मंत्री ने ये भी कहा कि असम के डिटेंशन सेंटर 1946 के फॅारेनर एक्ट के तहत बनाए गए। केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से केवल उनकी हालत सुधारने के लिए मैनुअल जारी किया गया। 

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अब बीजेपी के शासनकाल में डिटेंशन सेंटर बनाए जाने और वहां विदेशियों को भेजने की तैयारी के कांग्रेस के दावे में कितनी सच्चाई है उससे भी आपको रूबरू करवाते हैं। 2 जुलाई 2019 को भाजपा सांसद पीसी मोहन के सवाल के जवाब में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में बताया था कि देश में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों की आवाजाही रोकने और उन्हें रखने के लिए डिटेंशन सेंटर बनाने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 2009, 2012, 2014 और 2018 में निर्देश जारी किए गए। इसके साथ ही बीजेपी ने कांग्रेस के आरोपों पर जवाब देते हुए कांग्रेस शासनकाल में डिटेंशन कैंप बनाने के आदेशों का पूरा चिट्ठा खोल दिया। 

वैसे तो प्रत्येक राज्य में ऐसे डिटेंशन सेंटर होने चाहिए। क्योंकि अवैध तरीके से आने वाला विदेशी हर जगह पकड़ा जाता है। अभी तक इन्हें गिरफ्तारी के बाद जेल भेज दिया जाता है। फिर जब इनकी वापसी होती है तो इन्हें बाहर निकाला जाता है। तो ऐसे में जिस डिटेंशन सेंटर की चर्चा इन दिनों इतनी ज्यादा हो रही है, वो नागरिकता कानून और एनआरसी से पहले से चल रही है। ऐसे में एनआरसी और सीएए को लेकर डिटेंशन कैंप बनाने के विपक्ष के दावे पूरी तरह से गलत साबित होते हैं। जिसको प्रधानमंत्री ने भी झूठ करार दिया था। 

 -अभिनय आकाश