By Anoop Prajapati | Jan 06, 2025
भारत के पूर्व क्रिकेट कप्तान कपिल देव को आज के दौर में देश में इस खेल को पहचान दिलाने के सबसे बड़े सिपहसालार माने जाते हैं। भारत को पहली बार क्रिकेट वर्ल्ड कप जिताने में कपिल देव ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जब किसी ने यह नहीं सोचा था कि भारत वर्ल्ड कप में जीतेगा तब कपिल देव ने साल 1999 एवं साल 2000 के बीच 10 महीने तक भारत के कोच की भूमिका निभाई थी। उन्हें लोग हरियाणा हरिकेन के नाम से जानते हैं। वह क्रिकेटर को क्रिकेट पिच पर कभी भी रन आउट होते हुए नहीं देखा गया था। इस खिलाड़ी ने अपने स्वास्थ्य एवं फिटनेस पर इतना खास ध्यान दिया था जिसके चलते इन्हें सेहत के कारण टेस्ट मैच से बाहर नहीं किया गया।
जन्म एवं शुरुआती जीवन
कपिल देव का जन्म चंडीगढ़ में 6 जनवरी 1959 को जन्म हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा डीएवी स्कूल से की और स्नातक की पढ़ाई के लिए सेंट एडवर्ड कॉलेज में दाखिला लिया था। खेल में रुचि एवं प्रतिभा को देखकर इन्हें प्रेम आजाद के पास क्रिकेट सीखने के लिए भेजा गया। जब भारत और पाकिस्तान को अलग किया जा रहा था तब इनका परिवार रावलपिंडी पाकिस्तान से भारत में आकर रहने लगा था। यहीं पर कपिल देव के पिता रामलाल ने लकड़ी का बिजनेस शुरू किया। वे 7 भाई बहन थे जिनमें से चार बहने, तीन भाई थे। कपिल देव माता-पिता की राजधानी में शिफ्ट हो गए, साल 1980 में रोमी भाटिया नाम नाम से इनका विवाह हुआ।
कप्तान कपिल देव
वेस्टइंडीज के खिलाफ उन्होंने 1979 में 124 में से 26 रन बनाए थे, जो कि इनके यादगार पारी के रूप में आज भी गिना जाता है। कपिल देव की कप्तानी के बारे में साल 1982 से 83 में भारत श्रीलंका से मैच खेलने गए थे, लेकिन उन्हें वेस्टइंडीज में ही हो रहे एक वनडे मैच की सीरीज में कैप्टन बनाया गया था। उस समय वेस्टइंडीज टीम का काफी अच्छा बोल बाला था। वेस्टइंडीज टीम को उस दौरान हराना नामुमकिन था और सुनील गावस्कर की शानदार पारी के सहारे वेस्टइंडीज को भारत ने इस मैच में हरा दिया था।
उस मैच में सुनील गावस्कर जो उनके साथी खिलाड़ी थे इन्होंने उन्होंने 90 रन बनाए थे वही कपिल देव ने 72 रन बनाए थे साथ में 2 विकेट भी लगाए थे। इस जीत के बदौलत भारत को आने वाले वर्ल्ड कप में वेस्टइंडीज को हराने का विश्वास गहरा हो गया था और जो कि वर्ल्ड कप जीतने में 1983 का वर्ल्ड कप में भारतीय टीम के प्रदर्शन को देखने के बाद किसी ने यह उम्मीद नहीं थी कि भारत वर्ल्ड कप जीतेगा।
1983 के वर्ल्ड कप में प्रदर्शन
कपिल देव ने जब वर्ल्ड कप में खेलना शुरू किया तब उनका औसत 24.94 साल की थी। भारत को सेमीफाइनल में पहुंचने के लिए से जीतना महत्वपूर्ण था। उस मैच के दौरान भारत लगातार हार की ओर तेजी से बढ़ रहा था तभी कपिल देव ने अपनी शानदार बैटिंग के मदद से भारत को हारने से बचा लिया। इसी मैच के दौरान उन्होंने 175 रन बनाए और जिम्बाब्बे को हरा दिया था, क्योंकि इन्हें सिर्फ 138 गेंदों में यह रन बनाए थे।
इस मैच में 126 रन की सबसे बड़ी साझेदारी किरमानी एवं कपिल देव के बीच हुई थी, जिसको 27 सालों तक किसी क्रिकेटर नहीं तोड़ पाए थे। इतना ही नहीं इस मैच में कपिल देव ने शानदार बॉलिंग करते हुए जिंबाब्वे के 5 विकेट लिए थे। वर्ल्ड कप जीतने के बाद कपिल देव को पुरस्कार के रूप में मर्सिडीज कार दिया गया। यही इनके जीवन का सबसे यादगार और महत्वपूर्ण खेल था। जिसने सबकी नजरों में कपिल देव को महान बना दिया था। इस मैच के बदौलत भारत को 1983 के वर्ल्ड कप जीतने के लिए अपना नया सफर तय किया था।
विवाद
इस महान क्रिकेटर का नाम भी करियर के दौरान और बाद में कई विवादों से जुड़ा। इनमें से एक विवाद साल 2000 का रहा। साल 2000 में कपिल देव के साथी खिलाड़ी रहे मनोज प्रभाकर ने कपिल देव पर मैच फिक्सिंग करने का आरोप लगाया था। मनोज प्रभाकर ने कपिल पर आरोप लगाया था कि कपिल ने 1994 में पाकिस्तान के साथी खिलाड़ियों को खराब प्रदर्शन करने को कहा था। जिसके चलते अगस्त 2000 में कपिल देव को इंडिया के कोच के पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
मई 2007 में कपिल देव ने जी टीवी ग्रुप के साथ मिलकर इंडियन क्रिकेट लीग की शुरूआत की थी। जिसका बीसीसीआई ने बहुत कड़ा विरोध किया और उन सभी खिलाड़ियों पर प्रतिबंध लगा दिया जो आईसीएल का हिस्सा बने थे। आईसीएल शुरू करने के एक दिन बाद ही अगस्त 2007 में कपिल देव को नेशनल क्रिकेट अकेडमी के चैयरमैन पर से भी हटा दिया गया।
जीत चुके हैं कई पुरस्कार
उन्हें 1979-1980 में अर्जुन अवार्ड, 1982 मे पदमश्री, 1983 में वेस्टन क्रिकेट ऑफ द इयर, 1991 में पदम् भूषण, 2002 में विस्डन इंडियन क्रिकेट ऑफ द सेंचुरी, 2010 में ICC cricket Hall of fame, 2013 में The 25 Greatest Global living Legends in india By NDTV, 2013 में सी. के. नायडू लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला था।