By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Feb 24, 2021
मुंबई। ब्याज दर के रिकार्ड न्यूनतमस्तर पर होने के बावजूद मंगलवार को 23,806 करोड़ रुपये के नए बाजार कर्ज जुटाने के लिएराज्य सरकारों के बांड पर ब्याज की लागत 11 माह के उच्चतम स्तर 7.19 प्रतिशत पर पहुंच गयी। केयर रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। उल्लेखनीय है कि इससे पहलेसात अप्रैल, 2020 को केरल को 6,000 करोड़ रुपये का कर्ज8.96 प्रतिशत पर लेना पड़ा था। आरबीआई के नकदी सुनिश्चित करने के कुछ उपायों के एक पखवाड़े के बाद यह स्थिति हुई थी। हाल के वर्षों में किसी राज्य द्वारा बाजार उधारी के लिये दिया गया सर्वाधिक ब्याज था।
विश्लेषकों के अनुसार कर्ज की ऊंची लागत का कारण बैंकों तथा सरकारी बांड के अन्य निवेशकों का राजकोषीय घाटा बढ़ने को लेकर डर है। राज्यों के लिये उधारी की मौजूदा लागत अप्रैल के 8.96 प्रतिशतके बाद सर्वोच्च स्तर है। वास्तव में, पिछले छह सप्ताह से राज्यों के लिये बाजार उधारी की लागत लगातार बढ़ी है। हालांकि निवेश पर रिटर्न में वृद्धि बजट घोषणा के बाद बढ़नी शुरू हुई है। इसके बावजूदउस समय से केवल 0.31 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
मंगलवार को हुई नीलामी में राज्यों के लिये कर्ज की भारित औसत लागत 7.19 प्रतिशत रही जो एक सप्ताह पहले 16 फरवरी को 7.01 प्रतिशत के मुकाबले 0.18 प्रतिशत अधिक है। चालू वित्त वर्ष में राज्यों की ओर से बाजार सेऔसत रुप से साप्ताहिक14,584 करोड़ रुपये के बांड नीलाम किए गए। अब जबकि वित्त वर्ष समाप्त होने में केवल एक महीना बचा है, राज्यों ने संचयी रूप से बजट के अनुसार बाजार उधारी का 84 प्रतिशत जुटा लिये हैं। कुल मिलाकर राज्यों ने 6.90 लाख करोड़ रुपये जुटाये जो एक साल पहले की तुलना में 33 प्रतिशत अधिक है। मंगलावार को 17 राज्यों ने राज्य सरकार की प्रतिभूतियों की नीलामी के जरिये 23,806 करोड़ रुपये जुटाये। झारखंड ने 400 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज लिया जबकिपंजाब ने इस नीलामी की कोई रकम नहीं ली।
केयर रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार 28 राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों ने सात अप्रैल, 2020 से 23 फरवरी, 2021 के बीच बाजार उधारी के रिये 6.90 लाख रोड़ रुपये जुटाये। यह एक साल पहले जुटायी गयी 5.18 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 33 प्रतिशत अधिक है। राज्य चालू वित्त वर्ष के लिये निर्धारित बाजार उधारी के तहत अबतक 84 प्रतिशत राशिक जुटा चुके हैं। सरकारी प्रतिभूतियों की मांग कम रही है। इसका कारण केंद्र एवं राज्यों के अधिक कर्ज की वजह से इन प्रतिभूतियों की अधिक आपूर्ति है। केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिये 80,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त उधारी की घोषणा की है। इससे कुल कर्ज 13.9 लाख करोड़ रुपये पहुंच जाएगा।