परिवार की परंपरा से हटकर शुरू की बॉक्सिंग, अब पेरिस में पदक भारत की झोली में डालने को तैयार हैं Jasmine Lamboria

By Anoop Prajapati | Jul 01, 2024

देश की उभरती मुक्केबाज जैस्मिन लंबोरिया पर इस ओलंपिक में पूरे भारत की नजरें टिकी रहेंगी। क्योंकि उन्होंने अपने हालिया प्रदर्शन की बदौलत खुद को बेहतर मुक्केबाज साबित किया है। जैसमिन ने शुरुआती सालों में लड़कों के साथ ही ट्रेनिंग की क्योंकि और कोई महिला बॉक्सर नहीं थी। घर में खेल के वातावरण के कारण जैस्मिन लंबोरिया को शुरू से ही एथलेटिक्स और क्रिकेट में खेलने का मान था। जब उन्होंने बॉक्सिंग में आगे जाने का निर्णय किया तो पिता ने घर के बड़ों और समाज का कारण बता कर खेलने से मना कर दिया। भारतीय सेना को ज्वाइन करने वाली जैस्मिन पहली महिला बॉक्सर भी बनी हैं।


जैस्मिन लंबोरिया का जन्म 30 अगस्त, 2001 को हरियाणा के भिवानी में हुआ। पिता जयवीर लंबोरिया होमगार्ड के रूप में काम करते हैं और मां जोगिंदर कौर गृहिणी हैं। जैस्मिन के चाचा संदीप और परविंदर, दोनों ही मुक्केबाज़ हैं। कुछ रिश्तेदार कुश्ती भी करते थे। भिवानी को 'लिटल क्यूबा' भी कहते हैं, क्योंकि हरियाणा के इस शहर ने भारत को एक से एक मुक्केबाज़ दिए हैं। सामान्यत: खिलाड़ियों के परिवार और ऐसे किसी शहर में पैदा होने का अर्थ होता है कि खेल वाला माहौल होगा। सभी को खेलने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, लेकिन जैस्मिन लंबोरिया के साथ ऐसा नहीं हुआ। 


घर में खेल के वातावरण के कारण जैस्मिन लंबोरिया को शुरू से ही एथलेटिक्स और क्रिकेट में खेलने का मान था। जब उन्होंने बॉक्सिंग में आगे जाने का निर्णय किया तो पिता ने घर के बड़ों और समाज का कारण बता कर खेलने से मना कर दिया। पिता ने कहा, 'कोई और खेल चुन लो!' लेकिन जैस्मिन लंबोरिया नहीं मानी ऐसे में उन्होंने अपने चाचाओं से बात की। दोनों ने उनके पिता को मनाया। फिर उनके चाचा संदीप उन्हें ट्रेनिंग के लिए भिवानी से बाहर ले गए। अब परेशानी यह थी कि जैस्मिन लंबोरिया के साथ प्रशिक्षण करने के लिए कोई महिला मुक्केबाज़ नहीं मिलीं। ऐसे में संदीप उनको वापस ले आए और लैम्बोरिया बॉक्सिंग अकादमी जॉइन करवा दी। लेकिन यहां भी वही दिक्क़त थी। सभी खिलाड़ी लड़के थे। फिर जैस्मिन लंबोरिया ने लड़कों के साथ ही ट्रेनिंग शुरू कर दी। 


एक इंटरव्यू में जैस्मिन लंबोरिया ने बताया कि प्रारम्भ के 2-3 साल वह लड़कों के सामने बहुत मुश्किल से ही टिक पाती थीं, लेकिन भारी मुक्कों को झेलते हुए उनका डिफेंस काफ़ी मज़बूत हो गया। धीरे-धीरे अटैक भी अच्छा होता गया और कुछ दिनों में लेवल-प्लेयिंग फ़ील्ड पर आ गईं। फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। बाद में जैस्मिन लंबोरिया एक के बाद एक टूर्नामेंट जीतती गईं। कई घरेलू चैंपियनशिप्स जीती थीं, लेकिन किसी बड़े खिलाड़ी के साथ नहीं खेली थीं। इस बार उनके सामने थीं एशियन चैंपियनशीप में कांस्य पदक जीतने वाली मनीषा मोउन। इस मुक़ाबले में जैस्मिन लंबोरिया ने मनीषा को हरा दिया। यह वह जीत थी, जिसका अंदाज़ा किसी ने नहीं लगाया था। फिर उसी साल मई में आईबीए वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए हुए ट्रायल में जैस्मिन लंबोरिया ने पूर्व विश्व चैंपियनशिप की कांस्य पदक विजेता सिमरनजीत कौर को मात दे दी। कुछ ही समय में दो बढ़िया खिलाड़ियों को हराने की वजह से उनका नाम हो गया। 


कॉमनवेल्थ गेम्स के क्वॉलिफिकेशन में जैस्मिन लंबोरिया ने एक बार फिर सिमरनजीत को हराया था। सीनियर लेवल के शुरुआती दिनों में जैस्मिन 57 कि.ग्रा. वज़न वर्ग में खेलती थीं। इस वर्ग में उन्होंने कई पदक भी जीते। जैसे- स्पेन में रजत और दुबई में हुए एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक। लेकिन फिर उन्हें कोविड हो गया, जिसकी वजह से वह कमजोर हो गईं और रिकवरी के समय उनका वज़न 63 कि.ग्रा. हो गया। अब वह 60 कि.ग्रा. वज़न वर्ग में खेलती हैं। जैस्मिन लंबोरिया ने वर्ष 2021 में दुबई में आयोजित एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक, वर्ष 2021 में बॉक्सम इंटरनेशनल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में सिल्वर मेडल, वर्ष 2022 में कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक जीता है।

प्रमुख खबरें

Jharkhand: चंपई सोरेन का सीएम पद से इस्तीफा, हेमंत फिर से संभालेंगे कमान, हमलावर हुई भाजपा

Why We Struggle to Open Up । शुरुआती डेटिंग में भावनाओं और ज़रूरतों को साझा करना क्यों मुश्किल है?

गुब्बारे फोड़ने से लेकर पेरिस ओलंपिक में क्वालीफाई करने तक दिलचस्प रहा है Tilottama Sen का सफर

भारत का UPI पर दुनियाभर में मचाएगा धमाल, इन 4 आसियान देशों के लोग कर सकेंगे पेमेंट, जानें पूरी जानकारी