दाग माननीय हैं (व्यंग्य)

By संतोष उत्सुक | Jan 30, 2023

समाज में माननीय कौन होते हैं या किसी भी समाज में कौन माननीय होने चाहिए इस विषय पर बात करना पंगा करना है लेकिन कुछ समय पहले यह सुप्रीम खबर ज़रूर आई थी कि दागी माननीयों पर चल रहे मुकद्दमे वापिस लेने के लिए अदालत की स्वीकृति ज़रूरी है। हमारे तथाकथित माननीयों पर मुकद्दमा तो क्या एफ़आईआर भी किसी न किसी की स्वीकृति के बगैर दर्ज नहीं हो सकती। क्यूंकि बहुत से दाग अच्छे माने जाते हैं इसलिए माननीयों को आराम से दागी नहीं माना जाना चाहिए अगर मजबूरी में ऐसा करना भी पड़े तो दागी माननीयों पर मुकदमा दायर करने की भी स्वीकृति ज़रूरी होनी चाहिए। 


ऐसा या वैसा या कैसा करवाना उनके लिए ज़्यादा मुश्किल न होगा। वास्तव में, दाग तो माननीयों का आभूषण होते हैं क्यूंकि माननीय वही होते हैं जिन पर दाग होते हैं। उनसे उनके व्यक्तित्व का आभामंडल निरंतर विकसित होता है। उनके खिलाफ जितने खतरनाक मामले लंबित होते जाते हैं उनका कद बढ़ता जाता है। दागी माननीय हो सकते हैं और माननीय को दागी कह देना आसान होता है लेकिन उन्हें कानूनन दागी घोषित करवाना, बहुत ज़्यादा मुश्किल, समयखपाऊ अनेक बार असंभव होता है।

इसे भी पढ़ें: कलाकार की स्वतन्त्रता (व्यंग्य)

इतिहासजी की फेसबुक में दर्ज है कि हमारे माननीयों ने जब भी दाग लगाऊ भाषा का प्रयोग किया, उनके चहेतों ने अविलंब उनकी भाषा को आत्मसात किया है। रंग बिरंगे दागों वाली इस भाषा के चाहने वाले बढ़ते जा रहे हैं। इसीलिए तो माननीय अपनी कुर्सी का कद बार बार बढ़ता देखकर, उस पर रीझकर यह कहते हैं, ‘हम कोई छोटे मोटे आदमी नहीं हैं’। हर नया दाग उन्हें कुछ भी करवा सकने का संकल्प लेने की प्रेरणा देता है। इंसानियत के ये रहनुमा ऐसी राहों पर चलते हैं जहां वक़्त को जेब में लेकर चलना होता है। आजीवन कारावास के मुकद्दमे परेशान, बीमार पड़े रहते हैं और माननीय, शान से इन्हें सामान्य  दाग मानकर इनका महंगा इलाज करते रहते हैं। गुज़रते वक़्त के साथ, सालों पुराने दाग इनके ब्यूटी स्पॉट होते जाते हैं।  


इनके दागी प्रयासों के सामने तो बेहद संजीदा आरोप भी हिम्मत हार जाते हैं। आरोप पत्रों को तो यह अदालत के प्राइमरी स्कूल में दाखिला भी लेने नहीं देते। उनका दाग बनना तो बहुत दूर की कौड़ी हो जाता है। ज्यादा भद्दे दागों को सुंदर माने जाने के प्रयास किए जाते हैं और उन्हें सुंदर मनवा दिया जाता है। दाग लगने के बाद भी माननीय बनना हर किसी के भाग्य में कहां होता है। कई दाग जो एक माननीय को पसंद नहीं आते उनका तबादला दूसरे माननीय के क्षेत्र में कर दिया जाता है। माननीयों के दाग धोने और अदृश्य करने के लिए बेहतर, महंगा, स्वास्थ्य को नुकसान न पहुंचाने वाला सुकर्म किया जाता है और दाग पवित्र होते जाते हैं। वैसे भी उन्हें जनसेवा से कहां फुर्सत मिलती है तभी तो सब जानते और मानते हैं कि ऐसे दाग तो अच्छे होते हैं। यही उनकी गहन पढ़ाई लिखाई का उचित आधार माने जाते हैं। माननीय बनना वास्तव में आसान काम नहीं होता। एक बार माननीय बन जाने के बाद वे सब कुछ अपने संज्ञान में समझकर, किसी को भी न बख्शते हुए, आवश्यक कार्रवाई करते हुए सख्त सज़ा दिलवाने के आदेश देते हैं। होनी धन्य हो उठती है।    


आम आदमी की पसंदीदा टीशर्ट पर दाग लग जाए तो वह परेशान हो जाता है। ज़ोर से गाने लगता है, कहीं दाग न लग जाए, कहीं और दाग न लग जाए लेकिन माननीयों के दाग अच्छे किस्म के दाग होते हैं तभी तो ज़्यादा दाग वाले माननीय समाज, धर्म और राजनीति में ऊंचा ओहदा पाते हैं और मन ही मन भड़कीला गुनगुनाते रहते हैं, एक दाग बढ़िया सा और लग जाए तो अच्छा।  


- संतोष उत्सुक

प्रमुख खबरें

IPL 2025: इन खिलाड़ियों को नहीं मिला कोई खरीददार, मेगा ऑक्शन में रहे अनसोल्ड

जिम्बाब्वे ने बड़ा उलटफेर कर पाकिस्तान को दी शिकस्त, 80 रन से जीता पहला वनडे

IPL 2025: सस्ते में निपटे ग्लेन मैक्सवेल, पंजाब किंग्स ने महज 4.2 करोड़ में खरीदा

IPL 2025 Auction: सनराइजर्स हैदराबाद ने ईशान किशन पर लगाया बड़ा दांव, 11.25 करोड़ में खरीदा